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India China Standoff: ठंड की मार नहीं झेल पा रहे चीनी सैनिक, फिंगर एरिया पर बड़ी तादाद में बीमार हुए

एलएसी के हाईट्स वाले इलाकों में इस वक्त न्यूनतम तापमान माइनस (-) 15-20 तक पहु्ंच रहा है.चीन की पीएलए सेना के विपरीत भारतीय सेना बारह महीने एलएसी के फॉरवर्ड लोकेशन पर तैनात रहती है.

पूर्वी लद्दाख: पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर चल रहे तनाव के बीच अब चीनी सैनिकों पर सर्दी का असर साफ दिखाई पड़ने लगा है. जानकारी के मुताबिक, पैंगोंग-त्सो लेक से सटे फिंगर एरिया पर चीनी सैनिकों के बड़ी तादाद में बीमार पड़ने की खबर है. फिंगर एरिया में पीएलए सेना के फील्ड-हॉस्पिटल में काफी हलचल बढ़ गई है, जिससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि चीनी सैनिक एलएसी की ठंड की मार नहीं झेल पा रहे हैं.

हाईट्स वाले इलाकों में न्यूनतम तापमान माइनस तक पहुंच रहा

जानकारी के मुताबिक, एलएसी के हाईट्स वाले इलाकों में इस वक्त न्यूनतम तापमान माइनस (-) 15-20 तक पहु्ंच रहा है. इसके साथ ही सर्द हवाएं भी काफी तेज चल रही हैं. जिसके चलते चीनी सैनिकों के लिए मुश्किलें खड़ी हो गई हैं. आपको बता दें की पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी 14 हजार फीट से लेकर 18 फीट तक है. ऐसे में इतनी उंचाई पर तैनात रहने से सैनिकों को एक्युट माउंटेन सिकनेस और हैपो यानि हाई-आल्टिट्यूड पलमोनेरी ओएडमा जैसी बीमारी हो जाती है. जिसके चलते चीनी सैनिकों को फॉरवर्ड-लोकेशन से निकालकर फील्ड हॉस्पिटल भेजे जाने की खबर है.

आपको बता दें कि चीनी सेना का फील्ड-हॉस्पिटल (मिलिट्री अस्पताल) फिंगर एरिया 4 और 8 के बीच में ही है. जब चीनी सेना ने कोरोना काल में फिंगर एरिया 4 से 8 के बीच में चोरी-छिपे अपना कब्जा किया था उसी वक्त पीएलए ने अपना फील्ड हॉस्पिटल यहां खड़ा कर लिया था.

चीनी सैनिकों को फॉरवर्ड लोकेशन में तैनात होने की खास ट्रैनिंग नहीं

सूत्रों के मुताबिक, चीनी सैनिकों को फॉरवर्ड लोकेशन में तैनात होने की खास ट्रैनिंग नहीं है. उसके सैनिक तनाव से पहले तक अमूमन एलएसी से काफी पीछे गैरिसन (मिलिट्री-छावनी) में रहते थे. चीनी सैनिक पैट्रोलिंग करने के लिए ही एलएसी पर आते थे. लेकिन जब से दोनों देशों के बीच तनाव शुरू हुआ है तब से चीनी सैनिकों की फॉरवर्ड लोकेशन पर तैनाती है, ये फॉरवर्ड लोकेशन्स काफी उंचाई पर हैं--खासतौर से फिंगर एरिया में. करीब में पैंगोंग-त्सो झील होने के चलते ठंड और बढ़ गई है.

एलएसी की फॉरवर्ड लोकेशन्स (यानि विवादित इलाकों में) क्योंकि कोई परमानेंट स्ट्रक्चर बनाना मुश्किल होता है इसलिए सैनिकों को टेंट में ही रहना पड़ता है. दिन के समय में इस इलाके में धूप काफी तेज होती है, जिसके चलते सैनिकों पर विपरीत जलवायु का असर नहीं पड़ता है. लेकिन जैसे ही दिन ढलता है तापमान एकदम तेजी से नीचे गिर जाता है. तापमान में तेजी से गिरावट से भी सैनिकों के स्वास्थय पर खासा असर पड़ रहा है.

आने वाले दिनों में एलएसी पर बर्फ पड़नी हो जाएगी शुरू 

फिंगर एरिया के अलावा पैंगोंग-त्सो लेक के दक्षिण में कैलाश-रेंज की पहाड़ियों पर भी चीनी सेना को खुले में चौकसी करनी पड़ रही है. क्योंकि कैलाश रेंज की मुखपरी, गुरंग हिल, मगर हिल और रेचिन-ला दर्रे की हाईट्स को भारतीय सेना ने अपने अधिकार-क्षेत्र में कर लिया है. यहां चीनी सेना की पहले से कोई तैनाती नहीं थी. भारतीय सेना की डोमिनेंस को देखते हुए चीनी सेना इस इलाके मोल्डो और स्पैंगूर-गैप छावनी से आगे बढ़ गई है. लेकिन स्थायी बेस ना होने के चलते सैनिकों को काफी दिक्कतें आ रही हैं. आने वाले दिनों में एलएसी पर बर्फ पड़नी शुरू हो जाएगी. तब मुश्किलें और बढ़ सकती हैं. यहां पर ये बताना बेहद जरूरी है कि फॉरवर्ड लोकेशन्स पर सैनिकों को टेंट में ही रहना पड़ता है. एक टेंट में तीन-चार सैनिक ही रह पाते हैं.

सूत्रों के मुताबिक, चीन की पीएलए सेना के विपरीत भारतीय सेना बारह महीने एलएसी के फॉरवर्ड लोकेशन पर तैनात रहती है. ऐसे में भारतीय सैनिक इस इलाके की टैरेन से लेकर जलवायु से भी अच्छे से वाकिफ है. हालांकि, हाई ऑल्टिट्यूड से जुड़ी स्वास्थय की दिक्कत भारतीय सैनिकों में भी देखने को मिली है, लेकिन चीनी सेना में ये बहुत ज्यादा है. सूत्रों के मुताबिक, अभी तक जिस किसी भारतीय सेना का फॉरवर्ड लोकेशन से इवेक्युशेन हुआ है वो प्रिवेंटिव-इवेक्युशेन हुआ है. यानि तबियत ज्यादा खराब होने से पहले ही उसे फील्ड-हॉस्पिटल में भर्ती करा दिया जाता है. और कुछ दिनों बाद वो फिर से अपनी ड्यूटी करने के लिए तैयार हो जाता है और उसे वापस एलएसी पर भेज दिया जाता है.

भारतीय सेना ने सर्दियों के लिए किए खास इंतजाम

एबीपी न्यूज ने हाल में ही लेह-लद्दाख में रिपोर्टिंग के दौरान बताया और दिखाया था कि भारतीय सेना ने सर्दियों के लिए अपनी कैसी तैयारी कर रखी है. भारत ने यूरोप से आर्टिक-टैंट से लेकर स्पेशन क्लोथिंग तक का इंतजाम किया है. यहां तक की अगर इन आर्टिक टेंट्स को बर्फ के ऊपर भी गाड़ कर सैनिक सो जाएं तो उन्हें इतनी ठंड महसूस नहीं होती है.

चीनी सैनिकों की तबीयत खराब होने का नतीजा ये है कि चीनी सेना पिछले एक महीने से एलएसी पर कोई बड़ी हरकत नहीं कर रही है. छठे दौर की मीटिंग में भी चीनी सेना एलएसी पर और अधिक सैनिकों की संख्या ना बढ़ाने के लिए तैयार हो गई है. यानि जितने सैनिक अभी तैनात हैं उससे ज्यादा तैनात नहीं किए जाएंगे. एक अनुमान के मुताबिक, दोनो देशों के करीब-करीब 50-50 हजार सैनिक इस वक्त पूर्वी लद्दाख से सटी 826 किलोमीटर लंबी एलएसी पर तैनात है, जो काराकोरम-दर्रे से शुरू होकर डीबीओ, डेपसांग प्लेन्स, गलवान घाटी, फिंगर एरिया, कैलाश रेंज से होती हुई चुमार और डेमोचोक तक जाती है.

सातवें दौर की मीटिंग में भी चीनी सेना ने पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर तनाव खत्म करने के लिए एक नया प्रपोजल दिया है जिसपर भारत विचार कर रहा है.

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नीरज राजपूत वॉर, डिफेंस और सिक्योरिटी से जुड़े मामले देखते हैं. पिछले 20 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में हैं और प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया का अनुभव है. एबीपी न्यूज के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म अनकट के 'फाइनल-असॉल्ट' कार्यक्रम के प्रेजेंटर भी हैं.
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