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कितने तरह के होते हैं परमाणु बम? डर्टी से लेकर हाइड्रोजन तक... जानें इनमें क्या होता है अंतर

परमाणु हथियार दुनिया के सबसे खतरनाक हथियार हैं. फिशन, हाइड्रोजन, न्यूट्रॉन और डर्टी बम जैसे प्रकार लाखों जिंदगियां खत्म कर सकते हैं. इनका नियंत्रण ही मानवता की सुरक्षा की कुंजी है.

परमाणु हथियार मानवता के लिए सबसे घातक अस्त्र माने जाते हैं. कुछ ही पलों में बड़ी संख्या में जानें लेना, शहरों को तबाह करना और दशकों तक पर्यावरणीय और स्वास्थ्य संकट पैदा करना इनमें शामिल है. आज हम इन हथियारों के प्रमुख प्रकार, इनके प्रभाव, ऐतिहासिक उदाहरण और वैश्विक स्तर पर उनके खिलाफ उठती चेतावनियों और कानूनी ढांचे को विस्तार से जानेंगे. परमाणु हथियारों को सामान्यतः चार बड़े प्रकारों में बांटा जाता हैं. 

1. फिशन (फिशन/एटॉमिक) बम

यह सबसे पुराना प्रकार है और इसमें भारी परमाणुओं के नाभिक टूटने (fission) से विशाल ऊर्जा निकलती है. ऐतिहासिक रूप से हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराए गए बम इसी श्रेणी में थे. छोटे शहर या बड़े इलाकों में भारी विनाश करने की यह क्षमता रखता है और तुरंत और दीर्घकालिक विकिरणीय प्रभाव छोड़ता है. 

2. थर्मोन्यूक्लियर (हाइड्रोजन) बम

फिशन के मुकाबले यह कई गुना अधिक ऊर्जावान होता है. इसमें समेकित रूप से फिशन-ट्रिगर और फ्यूजन प्रक्रिया शामिल होती है, जिसकी वजह से यील्ड किलोटन से मेगाटन तक जा सकती है. अत्यधिक उष्मा, विशाल दबाव तरंग और दीर्घकालिक रेडियोधर्मी प्रभाव बड़े भू-भाग को प्रभावित कर सकते हैं. इसलिए इसे सामरिक और रणनीतिक स्तर पर सबसे खतरनाक माना जाता है. इतिहास में सबसे शक्तिशाली परीक्षणों में से एक ‘त्सार बॉम्बा’ का नाम जुड़ा है, जिसकी यील्ड के अनुमान पर चर्चा रही है.

3. न्यूट्रॉन बम (रेडिएशन-फोकस्ड)

यह थर्मोन्यूक्लियर परिवार का एक विशेष प्रकार है जिसका उद्देश्य ब्लास्ट की अपेक्षा त्वरित उच्च-स्तरीय न्यूट्रॉन विकिरण के माध्यम से जीवित क्षति बढ़ाना होता है, जबकि भौतिक संरचनाओं को अपेक्षाकृत बचाकर रखा जा सकता है. इसका प्रयोग सैन्य रणनीतियों में माना जाता रहा है पर मानवीय और कानूनी चिंताओं के कारण व्यापक रूप से समर्थित नहीं है.

4. डर्टी बम (रेडियोलॉजिकल डिसपर्सल डिवाइस)

डर्टी बम पारंपरिक विस्फोटक के साथ रेडियोधर्मी सामग्री मिलाकर बनाया जाता है ताकि रेडियोधर्मी प्रदूषण फैलाया जा सके. यह पारंपरिक ‘न्यूक्लियर विस्फोट’ नहीं है, पर स्थानीय-क्षेत्र में भय, आर्थिक क्षति और दीर्घकालिक स्वास्थ्य जोखिम पैदा कर सकता है. इसका उद्देश्य आम तौर पर आतंकवाद या जनचेतना को भड़काना माना जाता है.

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