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Exclusive: हिंदू पक्ष के वकील का दावा- ज्ञानवापी से हिंदू धर्म के मिले सबूत, सुनवाई जरूर होनी चाहिए

Gyanvapi Hearing: ज्ञानवापी मामले में सारे दावे और सारे सबूत हिन्दू पक्ष के हैं. वहीं मुस्लिम पक्ष इसको लेकर हवा-हवाई बातें कर रहा है. अगर वो फव्वारा है तो मुस्लिम पक्ष ये साबित करके दिखाए

Gyanvapi Hearing in District Court:ज्ञानवापी मामले में डिस्ट्रिक कोर्ट में आज दोपहर 2 बजे सुनवाई होने वाली है. क्या आप बताएंगे कि सुनवाई के दौरान क्या कुछ हो सकता है?

जवाब - ज्ञानवापी मामले में हिन्दू पक्ष के वकील  हरिशंकर जैन ने एबीपी न्यूज से बातचीत करते हुए बताया, आज बहुत ही महत्वपूर्ण सुनवाई है. आज माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पहली तारीख है जब ज्ञानवापी मामले की डिस्ट्रिक कोर्ट में सुनवाई की जाएगी. आज जिला जज महोदय ये निश्चित करेंगे कि 7/11 की सुनवाई कब हो क्या प्रक्रिया होगी? और साथ-साथ जो एडोवकेट कमिश्नरी रिपोर्ट आई है उस रिपोर्ट पर ऑब्जेक्शंस लेना दोनों पक्षों का क्या होगा इसके बारे में आदेश होना चाहिए. और साथ-साथ जो वीडियो चिप है वो हमें दी जाए ताकि हम उसे देखकर अपना जवाब दे सकें. 

प्रश्न- 1991 का जो कानून है जिसे वर्सिप एक्ट कहा जा रहा है उसके तहत तो स्थिति 1947 वाली ही रहेगी यथा स्थिति इस पर आप लोग क्या दलील दे रहे हैं और इसको कैसे खारिज करने की कोशिश करेंगे?

जवाब- पब्लिक में मिस्नॉमर है और ये मिस्नॉमर मुस्लिम्स ने शुरू किया है. ये है कि अगर आपने मस्जिद कह दी है तो ये मान लिया जाए कि ये मस्जिद है. जबकि माननीय सुप्रीम कोर्ट का खुद का ऑब्जरवेशन है उसका धार्मिक स्वरूप धार्मिक चरित्र क्या था इसके बारे में साक्ष्य दिया जा सकता है. हमारे पास एक नहीं सैकड़ों साक्ष्य हैं, जिससे ये साबित होता है कि 1547 को वो स्थिति जो धार्मिक स्थिति थी वो हिन्दू मंदिर की थी तो कोर्ट को इस पर फैसला देना होगा कि इसकी स्थिति क्या है. दूसरी बात जो 7/11 की अप्लीकेशन है, पहले मैं बता दूं कि 7/11 क्या है? सीपीसी के आदेश के बाद नियम-11 कहता है कि अगर कोई सूट मेंटेनेबुल नहीं है तो विपक्ष यानि डिफेंडेंट दर्खास्त दे सकता है कि सूट खारिज किया जाए. तो इन्होंने दर्खास्त दी है कि ये सूट प्लेस ऑफ वर्सिप एक्ट से बाधित है लिहाजा इसका ट्रायल ना हो तो कोर्ट ये देखना है कि 7/11 के साथ इसका ट्रायल हो सकता है या नहीं हो सकता है. अभी कोर्ट इस मामले में नहीं जाएगी कि वहां की धार्मिक स्थिति क्या है. क्योंकि धार्मिक स्थिति सबूतों पर निर्भर करती है अभी एविडेंस शुरू नहीं हुआ है और जब एविडेंस शुरू होगी तो हम भी एविडेंस देंगे और अपोजीशन को भी एविडेंस देना होगा. 

प्रश्न- मुस्लिम पक्ष तो ये कह रहा है कि ये मामला सुनवाई के लायक ही नहीं है तो आप इस पर क्या कहेंगे? 

जवाब- मैं इसीलिए जवाब दे रहा हूं आपने मुस्लिम पक्ष की सुन ली अब हमारी भी सुनिए. मुस्लिम पक्ष भले ही कहे कि ये सुनवाई लायक नहीं है लेकिन हम तो कह रहे हैं कि सुनवाई की जाए. क्योंकि 1947 में इस तमाम जगहों पर पूजा हो रही थी और 1992-93 तक मां श्रंगार गौरी की पूजा हुई है. जो बयानात हुए हैं इन मामलों पर वो सब कोर्ट के सामने हैं. 1996 में एक कमीशन गया था उस कमीशन रिपोर्ट में भी है कि वहां पर मंदिरों में जगह-जगह पूजा हो रही है. अयोध्या के कब्जे में जो तहखाना था वहां भी पूजा हो रही थी तो इस मामले पर पूरा का पूरा धार्मिक स्वरूप देखा जाएगा कि बिल्डिंग का धार्मिक स्वरूप क्या है. दूसरी बात अगर किसी मंदिर को तोड़कर मस्जिद का ढांचा खड़ा कर दिया गया तो क्या वह मस्जिद कहलाएगी. 

हिन्दू और मुस्लिम लॉ के मुताबिक तय हो ऐसे मामले
हरिशंकर जैन ने कहा, ऐसी स्थिति में आपको उस समय हिन्दू लॉ और मुस्लिम लॉ दोनों को देखना पड़ेगा. हिन्दू कानून के मुताबिक, अगर कोई जमीन या स्थान भगवान को दे दी गई है तो वो ताउम्र देवता की रहेगी उसे कोई कयामत तक भी छू नहीं सकता है. ठीक इसी तरह से मुस्लिम कानून कहता है, पुण्य मस्जिद बनने के लिए वक्फ का होना जरूरी है और यहां पर कोई वक्फ नहीं है और बिना वक्फ हुए मस्जिद हो ही नहीं सकती है. जो उनका क्लेम है कि ये मस्जिद है वो पूरी तरह से बेबुनियाद है. इन लोगों ने हिन्दू ढांचे को तोड़कर एक हिस्से पर कब्जा कर लिया. उस कब्जे को दिखाने के लिए सबूत चाहिए जो उनके पास नहीं है हमारे पास सबूत हैं जिससे साबित होता है कि वहां मंदिर था, शिखर के निशान, डमरू के निशान, त्रिशूल के निशान, घंटी के निशान हैं जितने हिन्दू देवी-देवता हैं.

2 बजे वाराणसी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में होनी है सुनवाई
अब तो जिला जज साहब के यहां से फैसला आने वाला है और सबसे बड़ी बात ये है कि वहां स शिवलिंग निकला है इस शिवलिंग की जांच होनी चाहिए कि इसकी लंबाई कितनी है चौड़ाई कितनी है व्यास कितना है सारी बातों का फैसला हो जाएगा. ये तो पूरा-पूरा केस हमारे पक्ष में है. सारे दावे, सारे सबूत और सारे साक्ष्य हिन्दू पक्ष के हैं. वहीं मुस्लिम पक्ष इसको लेकर हवा-हवाई बातें कर रहा है उसके पास सिर्फ हवाई दावा है कि ये फाउंटेन है. अगर वो फव्वारा है तो मुस्लिम पक्ष ये साबित करके दिखाए उसमें कहां से पानी जाता था कैसी मशीन का उपयोग हुआ है, कैसे वो पानी को फेंकता है ये बातें प्रूव करके दिखाए. 

प्रश्न- सुप्रीम कोर्ट में अभी तक जो सुनवाई हुई है उसमें दो बातें सामने आईं हैं एक तो सुप्रीम कोर्ट ने कहा जहां से शिवलिंग निकला है उस जगह को संरक्षित रखी जाए, दूसरी बात जो मुस्लिम पक्ष है वो नमाज अदा करने के लिए पहले की तरह ही जाते रहेंगे. क्या अब तक के सुप्रीम कोर्ट के रुख से आप लोग सहमत हैं?

जवाब- सुप्रीम कोर्ट ने एक बैलेंस व्यू दिया है, नमाज तो वहां नहीं होनी चाहिए नमाज होना बिलकुल गलत है नमाज होने का वहां कोई अधिकार नहीं है लेकिन काफी दिनों से नमाज होती चली आ रही है तो मैं भी ये एकदम से रोक दिए जाने के लिए नहीं कहूंगा कि नमाज रोक दी जाए. तो सुप्रीम कोर्ट ने एक संतुलित फैसला लिया है कि शिवलिंग वाली जगह को सुरक्षित रखा जाए और उन्हें नमाज पढ़ने दी जाए अब कोर्ट में ये डिसाइड हो जाएगा कि पूरी की पूरी जगह मंदिर की है इसे हिन्दू पक्ष को दी जाए. 

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