1971 की जंग में पाकिस्तानी सैनिकों पर बम बरसाए, गोलियां लगने पर भी उड़ता रहा, कितना खास था भारत का पहला फाइटर जेट
HF-24 Marut: भारत ने आजादी के बाद अपनी रक्षा क्षमता को मजबूत करने का सपना देखा था. इसी सपने का पहला कदम था एचएफ-24 मारुत. भारत का पहला खुद का डिजाइन और निर्मित जेट फाइटर विमान.

भारत का पहला फाइटर जेट एचएफ-24 मारुत है, जिसे भारत ने ही डिजाइन किया और बनाया भी. इस विमान का डिजाइन जर्मन इंजीनियर कर्ट टैंक ने मिलकर तैयार किया था और इसकी पहली उड़ान 17 जून 1961 को हुई थी. मारूत को भारतीय वायुसेना में 1 अप्रैल 1967 को शामिल किया गया और कुल 147 मारूत विमान बनाए गए.
यह भारत का पहला खुद का डिजाइन और निर्मित जेट फाइटर था जो एशिया में भी इस तरह का पहला सफल विमान था. हालांकि इंजन की कमी की वजह से यह सुपरसोनिक नहीं बन सका और सबसोनिक ही रहा लेकिन यह जमीनी हमलों के लिए बहुत मजबूत और भरोसेमंद साबित हुआ.
मारूत ने मुख्य रूप से फाइटर-बॉम्बर की भूमिका निभाई
डिफेंस एक्सपी की रिपोर्ट के मुताबिक, मारूत का इस्तेमाल 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में किया गया. इस युद्ध में मारूत स्क्वाड्रनों ने पश्चिमी मोर्चे पर ग्राउंड अटैक मिशन उड़ाए थे. खासतौर पर लोंगेवाला की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जहां इन विमानों ने पाकिस्तानी टैंकों और सैन्य ठिकानों पर हमले करके भारतीय सेना की मदद की थी.
दिलचस्प बात यह है कि युद्ध में कोई भी मारूत विमान दुश्मन के हवाई हमले से नहीं गिराया गया. हालांकि कुछ जमीन से फायरिंग और दुर्घटना में नष्ट हुए. मारूत ने हवा से हवा में लड़ाई में हिस्सा नहीं लिया लेकिन जमीनी मदद में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया.
गोली लगने पर भी लगातार उड़ सकता था मारूत
फ्लाईजेट फाइटर की रिपोर्ट के मुताबिक, मारूत की खासियत थी ट्विन इंजन यानी दो ब्रिस्टल सिडली ऑर्फियस 703 टर्बोजेट इंजन. हर एक इंजन 4,900 पाउंड थ्रस्ट जनरेट करता था, जो इसे बहुत टिकाऊ और सुरक्षित बनाता था. यह गोली लगने पर भी उड़ान जारी रख सकता था. इसकी लंबाई 15.87 मीटर, विंगस्पैन 9 मीटर और अधिकतम स्पीड 1,112 किमी/घंटा थी.
इसमें 4 x 30mm एडेन तोपें, रिट्रैक्टेबल रॉकेट पैक (50 x 68mm रॉकेट्स) और अंडरविंग बम/रॉकेट्स लगे थे. यह कम ऊंचाई पर बेहतरीन हैंडलिंग और मजबूत स्ट्रक्चर के लिए मशहूर था.
1980 के दशक में रिटायर हुआ मारूत
इस विमान को 1980 के दशक के अंत तक सेवा में रखा गया और बाद में इसे रिटायर कर दिया गया. मारूत ने भारत की स्वदेशी रक्षा तकनीक की नींव रखी और बाद के विमानों जैसे तेजस के लिए रास्ता तैयार किया. कई इतिहासकार और विशेषज्ञ इसे भारतीय वायुसेना के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय मानते हैं.
द हैविलैंड वैंपायर और मारूत में पहला कौन?
एसएसबी क्रैक की रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ लोग द हैविलैंड वैंपायर को भारत का पहला जेट फाइटर मानते हैं जो 1948 में शामिल हुआ था लेकिन वह ब्रिटिश निर्मित था और भारत में लाइसेंस से कुछ असेंबल किए गए. मारूत ही पहला पूरी तरह भारतीय विकसित फाइटर जेट था. वैंपायर ने 1965 के युद्ध में हिस्सा लिया लेकिन मारूत का मुकाबला सिर्फ 1971 युद्ध तक सीमित रहा.
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Source: IOCL























