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आदर्श सोसायटी: हिल गई थी यूपीए सरकार, CM की चली गई कुर्सी, जानिए राहुल की यात्रा के बीच क्यों उठा ये मुद्दा

राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में पूर्व सेना प्रमुख जनरल दीपक कपूर के शिरकत करने पर बीजेपी ने एतराज जताया है. वो उनके आदर्श सोसायटी घोटाले में नाम आने को सेना के जांबाजों की बदनामी मान रही है.

राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा इस वक्त हरियाणा से गुजर रही है. इस यात्रा में रविवार 8 जनवरी को पूर्व सेनाध्यक्ष दीपक कपूर के शामिल होने को बीजेपी ने मुद्दा बनाया है. बीजेपी की नाराजगी है कि आदर्श सोसायटी घोटाले में आरोपी बनाए गए पूर्व सेनाध्यक्ष का इस यात्रा में शामिल होना सेना के वीरों का अपमान करना है. इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस और बीजेपी के बीच जुबानी जंग जारी है. आखिर ये आदर्श सोसायटी घोटाला क्या है जिसका भूत अभी भी जनरल कपूर का पीछा नहीं छोड़ रहा है. यहां ये जानने की कोशिश करेंगे की आखिर ये घोटाला सेना और उसके पूर्व जनरल से कैसे जुड़ा है.

ऐसे शुरू हुई बीजेपी और कांग्रेस के बीच जुबानी जंग

ये जगजाहिर है कि इन दिनों कांग्रेस नेता राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा पर हैं. उनकी ये यात्रा रविवार को हरियाणा में थी. रविवार को ये यात्रा जब करनाल के नीलोखेड़ी के इलाके दोद्वा से चलकर कुरुक्षेत्र पहुंची तो इसमें देश के पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल दीपक कपूर सहित रक्षा सेवाओं से जुड़े कई रिटायर सीनियर अधिकारियों ने इसमें शिरकत की. फिर क्या था जनरल दीपक कपूर का राहुल गांधी की इस यात्रा में शामिल होना बीजेपी को रास नहीं आया. बीजेपी नेता अमित मालवीय ने राहुल गांधी और पूर्व सेनाध्यक्ष कपूर की फोटो सोशल मीडिया में देखते ही तुरंत उस पर प्रतिक्रिया दी.

बीजेपी नेता अमित मालवीय ने ट्वीट किया, "पूर्व सेना प्रमुख जनरल दीपक कपूर ने राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में शिरकत. कपूर को अन्य सीनियर आर्मी ऑफिसर के साथ आदर्श घोटाले में आरोपी बनाया गया था. जांच कमेटी की राय थी कि सशस्त्र बलों को बदनाम करने के लिए उन्हें किसी भी सरकारी पद या कार्यालय को संभालने से वंचित किया जा सकता है."

इसके जवाब में कांग्रेस ने सोमवार (9 जनवरी) को बीजेपी पर पलटवार किया. कांग्रेसी की सोशल मीडिया विभाग प्रमुख सुप्रिया श्रीनेत ने ट्वीट किया, "जनरल कपूर, 1971 की भारत-पाक जंग के एक अनुभवी, पीवीएसएम, एवीएसएम, वीएसएम और सेना पदक से नवाजे गए के अनुभवी जाबांज हैं. उन्होंने 1967 से 2010 तक चार दशकों तक हमारे वतन की खिदमत की है. हमारे बहादुर जवानों की तस्वीर को बिगाड़ने के लिए आपको खुद पर शर्म आनी चाहिए. आप पर और आपके अफसोस करने वाले वजूद पर तरस आता है." 

जिस आदर्श सोसायटी घोटाले को लेकर कांग्रेस और बीजेपी के बीच शब्दों के बाण चल रहे हैं. उस घोटाले के बारे में जानना भी यहां जरूरी हो जाता है.

2010 में हुआ आदर्श घोटाले का खुलासा

आदर्श हाउसिंग सोसायटी 1999 के कारगिल युद्ध नायकों और युद्ध विधवाओं के लिए दक्षिण मुंबई के कोलाबा में बनाई गई थी. ये 31 मंजिला अपार्टमेंट कॉम्प्लेक्स है. साल 2010 में खुलासा हुआ कि राजनेताओं, नौकरशाहों और सैन्य अधिकारियों ने खुद को और अपने रिश्तेदारों को फ्लैट आवंटित करने के लिए जमीन के स्वामित्व और अन्य मानदंडों से संबंधित नियमों का उल्लंघन करने के लिए सांठगांठ की थी. इसी मिलीभगत को आदर्श हाउसिंग सोसायटी स्कैम नाम दिया गया. 

वास्तव में ये अपार्टमेंट कॉम्प्लेक्स छह मंजिला ही बनना था. 2010 में इसके कई अपार्टमेंट के 8 करोड़ रुपये तक होने का अनुमान लगाया गया था. ये अपार्टमेंट कथित तौर पर रक्षा कर्मियों, नौकरशाहों और राजनेताओं के रिश्तेदारों ने इस कीमत के दसवें हिस्से पर खरीदे थे. इस पर भी हैरानी वाली बात ये थी कि ज्यादातर अपार्टमेंट प्रॉक्सी (प्रतिनिधि) मालिकों के नाम पर रजिस्टर्ड किए गए थे.

उस वक्त महाराष्ट्र के सीएम रहे और कांग्रेसी नेता मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण, नगर निगम आयुक्त जयराज पाठक, कलेक्टरों, शहरी विकास विभाग के प्रमुख सचिव के नाम इस घोटाले में सामने आए थे. यहीं वजह रही थी कि तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण को अपनी कुर्सी से हाथ धोना पड़ा था. सीबीआई ने उसी साल जांच को अपने हाथ में लिया और 2011 में एक एफआईआर दर्ज की.

आपराधिक साजिश के लिए आईपीसी की धारा 120 (बी) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के विभिन्न सेक्शन के तहत महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण सहित 14 लोगों पर आरोप तय किए गए थे. उस वक्त सूबे में कांग्रेस की सत्ता थी. भ्रष्टाचार के आरोप सार्वजनिक होने के बाद 2010 में अशोक चव्हाण को सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा. 

महाराष्ट्र सरकार ने 2011 में आरोपों की जांच के लिए दो सदस्यीय न्यायिक टीम का गठन किया. इसकी अध्यक्षता न्यायमूर्ति जे ए पाटिल ने की. 2013 में टीम ने अपने निष्कर्षों में 25 अवैध आवंटन होने का खुलासा किया, जिसमें 22 प्रॉक्सी खरीद भी शामिल थी. 4 जुलाई 2012 को केंद्रीय एजेंसी ने सीबीआई की विशेष अदालत के सामने इस मामले में अपना पहला आरोप पत्र दायर किया. जांच के दौरान यह बात सामने आई कि सोसायटी के पास पर्यावरण  की मंजूरी नहीं थी. बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपार्टमेंट को ध्वस्त करने का आदेश दिया था.

बॉम्बे हाई कोर्ट ने यह मानते हुए कि टावर अवैध तौर पर बनाया गया था इसलिए राजनेताओं और नौकरशाहों के खिलाफ शक्तियों के कथित दुरुपयोग के लिए आपराधिक कार्यवाही शुरू करने की मांग की थी. कोर्ट ने केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय को आदर्श सोसायटी के खर्च पर अपार्टमेंट को ध्वस्त करने के लिए कहा था.

इस मामले में चव्हाण का अभियोजन (Prosecution) इस मामले में विवाद का विषय रहा है. दिसंबर 2013 में  महाराष्ट्र के तत्कालीन राज्यपाल के शंकरनारायणन ने चव्हाण के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी देने से इनकार कर दिया. हालांकि, एक सत्र अदालत ने बाद में मामले में आरोपी के तौर पर उनका नाम हटाने से इनकार कर दिया था. इस अदालत के आदेश को 2015 में बॉम्बे एचसी (Bombay HC) ने  समर्थन दिया था. 

2016 में, महाराष्ट्र के राज्यपाल विद्यासागर राव ने सीबीआई को चव्हाण के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दी थी. हालांकि, चव्हाण ने इस आदेश को चुनौती देते हुए बॉम्बे एचसी का रुख किया था. 

22 दिसंबर 2017 को बॉम्बे हाईकोर्ट ने वरिष्ठ कांग्रेस नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण पर मुकदमा चलाने के राज्यपाल फैसले को पलटते हुए राज्यपाल के आदेश को खारिज कर दिया. हालांकि न्यायमूर्ति रंजीत मोरे और न्यायमूर्ति साधना जाधव की पीठ ने कहा कि राज्यपाल विद्यासागर राव के लिए अपने पूर्ववर्ती के आदेश की समीक्षा या पुनर्विचार करना "जायज" था.

सीबीआई ने चव्हाण पर आदर्श सोसायटी के लिए अतिरिक्त फ्लोर स्पेस इंडेक्स (एफएसआई) को मंजूरी देने और मुख्यमंत्री रहने के दौरान बदले में अपने रिश्तेदारों के लिए दो फ्लैट लेने का आरोप लगाया है. उन पर पूर्व में राजस्व मंत्री के तौर पर सिविलियन को 40 फीसदी फ्लैटों के आवंटन को अवैध रूप से मंजूरी देने का भी आरोप है.

दरअसल दो पूर्व सेना प्रमुखों जनरल एनसी विज और जनरल दीपक कपूर और कई अन्य सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारियों को मुंबई में आदर्श हाउसिंग सोसायटी घोटाले में उनकी कथित मिलीभगत के लिए रक्षा मंत्रालय की बनाई गई एक उच्च-स्तरीय जांच समिति ने नामित किया था.

जनरल दीपक कपूर को भी इस सोसायटी में एक फ्लैट आवंटित किया गया था. जब 2010 में मामले में उनका नाम आया तो उन्होंने अपना फ्लैट छोड़ दिया था. दरअसल
मुंबई की आदर्श हाउसिंग सोसायटी घोटाला मामले में रक्षा मंत्रालय ने एक उच्च स्तरीय कमेटी गठित की थी. 2017 में कमेटी की जांच रिपोर्ट में दो पूर्व सेनाध्यक्षों एनसी विज और दीपक कपूर समेत कई अन्य रिटायर आर्मी अफसरों के नाम आए थे.

जांच रिपोर्ट में जनरल विज को जमीन देने की कोशिशों को सेफ्टी नेट सी सुरक्षा दी. उन्होंने इस मामले में किसी भी लेवल पर न तो सवाल उठाया और न ही एक सैन्य कमांडर होने के नाते वार्षिक सुरक्षा समीक्षा में सुरक्षा को लेकर कोई फिक्र जताई. रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे लगता होता है कि इस मामले में उनका अपना स्वार्थ था.

कमेटी की जांच रिपोर्ट में पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल दीपक कपूर के लिए कहा गया कि वो आदर्श सोसायटी घोटाले में सीधे तौर शामिल नहीं थे. उन्हें सोसायटी की सदस्यता लेने के लिए सही सलाह और जानकारी नहीं दी गई थी. जांच कमेटी ने यह भी कहा था कि ऐसा नहीं लगता कि उन्होंने इस कॉम्प्लेक्स में फ्लैट लेने के असर पर पर्याप्त गौर किया या उसका पूरा अंदाजा लगाया था.

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