35 की उम्र में केंद्रीय मंत्री बनने वाले ए राजा की पूरी कहानी जान लीजिए
ए राजा का जीवन बेहद कठिन रहा था. उन्हें पढ़ाई करने के लिए अपने घर से त्रिची जाना पड़ता था. जानिए उनकी पूरी कहानी.
नई दिल्ली: 2जी घोटाले से ए राजा को बरी कर दिया गया है. दरअसल इस मामले में सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया है. इस मामले में आरोपी रहे ए राजा का जीवन बेहद कठिन रहा था. उन्हें पढ़ाई करने के लिए अपने घर से त्रिची जाना पड़ता था.
तमिलनाडु के पेरांबलूर में 10 मई 1963 को राजा का जन्म हुआ था. उनके घर के आस-पास पढ़ाई का कोई साधन नहीं था लिहाजा पढ़ाई के लिए उन्हें बहुत कठिनाइयों से सामना करना पड़ा. उन्होंने बीएससी और कानून की डिग्री हासिल की.
धीरे धीरे राजा का झुकाव राजनीति की ओर हुआ. वह द्रमुक के मातृ संगठन द्रविड़ार कझगम के छात्र नेता रहे. वे तमिल भाषा में कविताएं भी लिखते थे. माना जाता है कि इन्हीं कविताओं के कारण वे करुणानिधि के करीब आए.
राजा द्रमुक का दलित चेहरा बन गए. करुणानिधि ने उन्हें केंद्र की राजनीति करने के लिए प्रेरित किया. एक वक्त प्रखंड स्तर के नेता रहे राजा केंद्रीय कैबिनेट में भी शामिल रहे. 1999 में 35 साल की उम्र में वह एनडीए सरकार में केंद्रीय मंत्री बने थे. इसके बाद वह यूपीए सरकार में भी मंत्री रहे.
मई 2007 में वह संचार मंत्री बने और 2जी घोटाले में आरोपों के बावजूद फिर से इस पद पर काबिज हुए. इस पद की दौड़ में कलानिधि मारन भी थे लेकिन दलित द्रमुक नेता होने और करुणानिधि के करीबी होने का फायदा राजा को मिला.