पोस्टर चिपकाने से लेकर उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी, लंबी है नायडू की यात्रा
आंध्र प्रदेश के नेल्लूर जिले के एक किसान परिवार से संबंध रखने वाले बीजेपी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष नायडू को उनकी बोलने की शैली के लिए जाना जाता है.

नई दिल्ली: सत्तर के दशक में बीजेपी का पूर्ववर्ती संगठन जनसंघ अपनी पहचान बना ही रहा था और दक्षिण में उसका कोई आधार नहीं था. ऐसे समय में आंध्र प्रदेश का एक युवा पार्टी कार्यकर्ता अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी जैसे दिग्गजों के पोस्टर लगाने में व्यस्त रहता था.
राजनीतिक कार्यकर्ता के उन दिनों से लंबी दूरी तय करके मुप्पावरापू वेंकैया नायडू एनडीए के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार चुने जाने तक पहुंचे हैं. इस पद पर उनका काबिज होना तय माना जा रहा है.
आंध्र प्रदेश के नेल्लूर जिले के एक किसान परिवार से संबंध रखने वाले बीजेपी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष नायडू को उनकी बोलने की शैली के लिए जाना जाता है. आंध्र प्रदेश विधानसभा में दो बार सदस्य रह चुके नायडू कभी लोकसभा के सदस्य नहीं रहे. हालांकि, वह तीन बार कर्नाटक से राज्यसभा में पहुंच चुके हैं और फिलहाल उच्च सदन में ही राजस्थान का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.
पीएम नरेंद्र मोदी ने नायडू को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार चुने जाने के बाद उनके लिए तेलुगू के शब्द ‘गारू’ का इस्तेमाल किया जो किसी को सम्मान देने के लिए बोला जाता है.
मोदी ने ट्वीट किया, 'एक किसान के बेटे. एम वेंकैया नायडू गारू सार्वजनिक जीवन में सालों का अनुभव रखते हैं और हर राजनीतिक वर्ग में सराहे जाते हैं.'
A farmer’s son, @MVenkaiahNaidu Garu brings years of experience in public life and is admired across the political spectrum.
— Narendra Modi (@narendramodi) July 17, 2017
एक समय आडवाणी के करीबी रहे नायडू ने 2014 के आम चुनावों से पहले प्रधानमंत्री पद के लिए मोदी का जोरदार समर्थन किया. नायडू फिलहाल सूचना प्रसारण और शहरी विकास मंत्रालयों का कामकाज संभाल रहे हैं. वह मोदी सरकार में संसदीय कार्य मंत्री भी रह चुके हैं.
अटल बिहारी वाजपेयी के समय एनडीए की पहली सरकार में 68 वर्षीय नायडू ग्रामीण विकास मंत्री रहे हैं. वह जुलाई 2002 से अक्तूबर 2004 तक लगातार दो कार्यकाल में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे. 2004 के लोकसभा चुनावों में पार्टी की हार के बाद उन्होंने पद छोड़ दिया था. इमरजेंसी के समय नायडू एबीवीपी के कार्यकर्ता रहे और उन्हें जेल भी जाना पड़ा.
मोदी सरकार में संसदीय कार्य मंत्री के नाते उन्होंने संसद में सरकार और विपक्ष के बीच गतिरोध की स्थिति में सोनिया गांधी समेत विपक्ष के नेताओं से संपर्क साधकर गतिरोध को दूर करने का प्रयास किया. अपने भाषण और बोलने समय शब्दों के चयन के कारण भी उन्हें अच्छा वक्ता माना जाता है.
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Source: IOCL





















