ED raided Fake Call Centers in Chandigarh Tricity: चंडीगढ़ ट्राइसिटी में फर्जी कॉल सेंटर पर ED की रेड, विदेशी कस्टमर्स से करोड़ों की ठगी का खुलासा
ED raided Fake Call Centers in Chandigarh Tricity: अधिकारियों के मुताबिक इन कॉल सेंटर्स में काम करने वाले लोग ठीक से टेक्निकल स्किल्स भी नहीं जानते थे.

चंडीगढ़ ट्राइसिटी में चल रहे कई फेक कॉल सेंटर्स पर ED की टीम ने बुधवार (23 जुलाई, 2025) को छापेमारी की. ये कॉल सेंटर्स विदेशी कस्टमर्स को टेक्निकल सपोर्ट देने के नाम पर ठग रहे थे. ये लोग खुद को Microsoft, HP जैसी बड़ी कंपनियों का पार्टनर बताते थे, जबकि इनके पास कोई वैध परमिशन या एग्रीमेंट नहीं था.
ED के मुताबिक इन फर्जी कंपनियों का नेटवर्क भारत के बाहर तक फैला हुआ है. ये लोग अमेरिका, UK जैसे देशों में फर्जी कंपनियां खोलते है और पेमेंट गेटवे के जरिए पैसा मंगवाकर उसे या तो बैंकिंग चैनल से या हवाला के जरिए भारत भेजते हैं. अधिकारी ने बताया कि FSAL Technologies Pvt Ltd नाम की कंपनी ने अमेरिका में Bios Tech नाम की फर्जी कंपनी बनाई थी. ये लोग खुद को HP प्रिंटर, Microsoft और Arlo जैसे ब्रांड्स का सपोर्ट सेंटर बता रहे थे, जबकि इसके लिए उनके पास कोई एग्रीमेंट नहीं था.
पूछताछ के दौरान कोई डॉक्यूमेंट नहीं दिखा सका पीरजादा
कंपनी के डायरेक्टर फैसल राशिद पीरजादा पूछताछ के दौरान कोई भी आधिकारिक डॉक्यूमेंट नहीं दिखा सका. जांच में ये भी सामने आया कि FSAL की वेबसाइट से जुड़े IP एड्रेस पर geeksworldwidesolutions.com नाम की वेबसाइट भी होस्ट की जा रही थी, जो कि अमेरिका की असली कंपनी Geek Squad की नकली कॉपी थी.
इस मामले में एक और बड़ा नाम साहू जैन का सामने आया है. जो Terrasparq और Visionaire नाम की दो कंपनियां चला रहा था. ये लोग 2016 से अमेरिका के कस्टमर्स को फर्जी टेक सपोर्ट के नाम पर ठग रहे थे. साहू जैन की बहन प्रिया जैन अमेरिका में CTS Mobility नाम की कंपनी चलाती है, जिससे लिंक बनाकर ये लोग ठगी कर रहे थे.
कैसे कर रहे थे ठगी ?
साहू जैन के ईमेल और वॉट्सएप चैट में Microsoft के पॉपअप कॉल्स, क्रेडिट कार्ड से पेमेंट फ्रॉड, और नकली सेवाएं देने की बातें सामने आई है. इनकी वेबसाइट्स पर जो दावे किए गए है जैसे - Device as a Service (DaaS), Mobile Device Management, सब झूठे निकले. ये भी देखा गया कि ऑफिस की जो तस्वीरें वेबसाइट पर लगाई गई थी. वो बड़े-बड़े आईटी पार्क्स की फोटो थीं, जबकि असली ऑफिस छोटे कमरे या किराए के फ्लैट में चल रहे थे.
ED के अधिकारियों के मुताबिक इन कॉल सेंटर्स में काम करने वाले लोग ठीक से टेक्निकल स्किल्स भी नहीं जानते थे. वेबसाइट्स पर कंपनी के डायरेक्टर या टीम का कोई नाम तक नहीं था. ED ने कई कॉल रिकॉर्डिंग्स, डिजिटल एविडेंस और कंप्यूटर डाटा जब्त किए है. जांच अभी भी जारी है और आने वाले दिनों में और भी खुलासे हो सकते है.
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Source: IOCL





















