दिल्ली में एमसीडी की टोल वसूली से लगने वाले जाम को सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण की बड़ी वजह कहा, 1 सप्ताह के भीतर इसे स्थगित करने पर फैसला लेने को कहा
एमसीडी ने टोल से होने वाली कमाई का हवाला दिया तो सीजेआई सूर्यकांत ने उन्हें आड़े-हाथों लिया और कहा, 'आप तो कल को आमदनी के लिए कनॉट प्लेस पर भी टोल वसूलना शुरू कर सकते हैं. लोग प्रदूषण से परेशान हैं.'

दिल्ली की 9 सीमाओं पर नगर निगम की से होने वाली टोल वसूली पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है. कोर्ट ने इसके चलते लगने वाले जाम को प्रदूषण की एक बड़ी वजह कहा है. चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच ने एमसीडी (नगर निगम) से कहा है कि वह फिलहाल टोल वसूली स्थगित करने पर विचार करे. इस बारे में 1 सप्ताह के भीतर फैसला लिया जाए.
सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) से कहा है कि वह दिल्ली की सीमाओं से दूर अपने टोल पर होने वाली वसूली का कुछ हिस्सा एमसीडी को देने पर विचार करे. इससे एमसीडी को होने वाले आर्थिक नुकसान की कुछ भरपाई हो सकेगी. दरअसल, एमसीडी की टोल वसूली से लगने वाले जाम का मसला लेकिन NHAI ही सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है. NHAI ने दिल्ली-एनसीआर प्रदूषण मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट में इस विषय को रखा था.
एमसीडी के वकील ने टोल वसूली को अपने खर्चों के लिए जरूरी बताया. इस पर चीफ जस्टिस सूर्य कांत ने उन्हें आड़े-हाथों लेते हुए कहा, 'आप तो कल को आमदनी के लिए कनॉट प्लेस पर भी टोल वसूलना शुरू कर सकते हैं. लोग प्रदूषण से परेशान हैं. हमें सार्वजनिक हित का सोचना है.' चीफ जस्टिस ने यह भी कहा कि हर साल 1 अक्टूबर से 31 जनवरी तक दिल्ली नगर निगम को टोल वसूली स्थगित रखनी चाहिए. इससे होने वाले आर्थिक नुकसान की भरपाई के लिए योजना बनाई जा सकती है.
सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि वह तात्कालिक उपायों की बजाय दीर्घकालिक समाधान पर चर्चा करना चाहता है. कोर्ट ने कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) और एनसीआर के राज्यों (दिल्ली, हरियाणा, यूपी और राजस्थान) को इन बिंदुओं पर काम करने के लिए कहा है :-
* वाहनों के आवागमन और सार्वजनिक यातायात की बेहतर व्यवस्था
* कम औद्योगिक प्रदूषण और स्वच्छ ऊर्जा साधन
* पराली जलाने से रोकने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करना
* प्रदूषण के चलते निर्माण कार्य रुकने पर मजदूरों को आमदनी और वैकल्पिक रोजगार उपलब्ध करवाना
* घरेलू गतिविधियों से होने वाले प्रदूषण को कम करना
* वृक्षारोपण कर हरित क्षेत्र को बढ़ाना
* नागरिकों में जागरूकता फैलाना
* कोई भी अन्य कदम जो CAQM को जरूरी लगे
कोर्ट के सामने क्रिसमस और नए साल पर पटाखों को रोकने, प्रदूषण के चलते बंद स्कूलों को खोलने जैसी कई मांगें रखी गईं, लेकिन कोर्ट ने इन विषयों को CAQM पर छोड़ते हुए कहा कि वह दीर्घकालिक समाधान पर चर्चा करना चाहता है. 6 जनवरी को मामले पर अगली सुनवाई होगी.
बुधवार (17 दिसंबर, 2025) को हुई सुनवाई में कुछ राज्यों ने बताया कि निर्माण कार्य रुकने से प्रभावित मजदूरों को उनके खातों में सीधे पैसे भेजे जा रहे हैं. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा, 'सीधे पैसे भेजना काफी नहीं है. मजदूरों का कई लोग शोषण करते हैं. जब उनके अकाउंट में पैसे जाते हैं, तो उनसे वह पैसे ले लिए जाते हैं. सरकार को कोशिश करनी चाहिए कि मजदूर अपने खाते में भेजे गए पैसे को टुकड़ों में ही बाहर निकल सके. इससे उसका खर्च कुछ दिनों तक चल सके.' मामले में दिल्ली सरकार के लिए पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि वह राज्यों को कोर्ट की इस भावना से अवगत करा देंगी.
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Source: IOCL























