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कोरोना वेरिएंट पर केजरीवाल का बयान बना सियासी और कूटनीतिक फजीहत का सबब

सिंगापुर उन देशों में शामिल है जिन्होंने कोविड की दूसरी लहर से निपटने में भारत की मदद की. भारत की सहायता के लिए सिंगापुर ने 8264 ऑक्सीजन कन्संट्रेटर, 51 हजार ऑक्सीमीटिर, 63 बाइपैप/ वैंटिलेटर और 10 हजार से अधिक ऑक्सीजन सिलेंडर समेत कई सामान मुहैया कराया है.

नई दिल्ली: कोरोना संकट के बीच वायरस वेरिएंट पर उठी ताजा चिंताएं राजनीतिक और कूटनीतिक विवाद का भी सबब बन गईं. दिल्ली के मुख्यमंत्री ने सिंगापुर में कथित तौर पर मिले वायरस के वेरिएंट को बच्चों के लिए अधिक घातक बताते हुए अपनी चिंताएं जाहिर की. वहीं सोशल मीडिया के सार्वजनिक मंच पर इस बाबत आए उनके बयान पर सिंगापुर सरकार ने तीखी प्रतिक्रिया दी. यहां तक कि भारत के उच्चायुक्त को तलब कर सिंगापुर सरकार ने अपनी नाराजगी भी जताई. 

सिंगापुर के विदेश मंत्री विवियन बालाकृष्णन ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के ट्वीट पर जवाब देते हुए कहा कि राजनेताओं को तथ्यों पर बने रहना चाहिए. सिंगापुर का कोई वेरिएंट नहीं है. ध्यान रहे कि केजरीवाल ने एक दिन पहले ट्वीट किया था कि सिंगापुर में आया कोरोना का नया रूप बच्चों के लिए बेहद खतरनाक बताया जा रहा है. भारत में ये तीसरी लहर के रूप में आ सकता है. उन्होंने केंद्र सरकार से अपील भी की थी कि सिंगापुर के साथ हवाई सेवाएं तत्काल प्रभाव से रद्द की जाएं. साथ ही बच्चों के लिए वैक्सीन के विकल्पों पर प्राथमिकता के आधार पर काम हो. 

"नागरिक उड्डयन नीति पर टिप्पणी करने के लिए दिल्ली CM अधिकृत नहीं"
सफाई देते हुए विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने ट्वीट पर ही सिंगापुर के विदेश मंत्री को जवाब देते हुए कहा कि जिन्हें अधिक समझना चाहिए उनकी तरफ से आए गैर जिम्मेदाराना बयान दीर्घकालिक साझेदारी को नुकसान पहुंचाते हैं. मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि दिल्ली के मुख्यमंत्री पूरे भारत की तरफ से नहीं बोलते. सिंगापुर का अपने सैन्य विमानों को तैनात कर भारत के लिए मदद भेजना एक बेहतरीन साझेदारी को दिखाता है. कोरोना के खिलाफ इस लड़ाई में हम साथ हैं. 

इस बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री की टिप्पणियों पर सिंगापुर सरकार ने भारत के उच्चायुक्त पी कुमारन को तलब कर सख्त एतराज दर्ज कराया. विदेश मंत्रालय प्रवक्ता ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि सिंगापुर सरकार ने अपनी आपत्ति दर्ज कराने के लिए भारतीय उच्चायुक्त को तलब किया था. इस संबंध ने भारतीय उच्चायुक्त ने सिंगापुर सरकार को स्पष्ट किया है कि कोरोना वेरिएंट या नागरिक उड्डयन नीति पर टिप्पणी करने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अधिकृत नहीं हैं. 

"सिंगापुर वेरिएंट जैसा कुछ भी नहीं"
इससे पहले सिंगापुर के स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी बयान जारी कर इस बारे में आई भारतीय मीडिया रिपोर्ट्स और दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल की टिप्पणियों को यह कहते हुए खारिज किया था कि इसमें कतई कोई सच्चाई नहीं है. सिंगापुर वेरिएंट जैसा कुछ भी नहीं है. जो स्ट्रेन हाल के हफ्तों के दौरान आए कई मामलों में सामने आया है वो B.1.617.2 है जो भारत में सबसे पहले उभरा. पॉलिजेनेटिक टेस्टिंग के दौरान सामने आया कि सिंगापुर के कई क्लस्टर में यह B.1.617.2 पाया गया है. 

इस पूरे मामले में भारत की झेंप और चिंता की एक वजह सिंगापुर से कोरोना संकट के दौरान मिल रही मदद को लेकर भी है. उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक ऐसे में जबकि सिंगापुर भारत की मदद कर रहा हो इस तरह के बयान सहयोग की संभावनाओं के लिए परेशानी पैदा करते हैं. साथ ही यह भारत की उस नीति के भी खिलाफ हैं कि किसी वायरस वेरिएंट का नाम देश से नहीं जोड़ा जाना चाहिए. इसी मामले को लेकर हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी स्पष्ट किया था जब कुछ लोगों ने B.1.617 को भारतीय वेरिएंट प्रचारित करना शुरु कर दिया था. 

ध्यान रहे कि सिंगापुर उन देशों में शामिल है जिन्होंने कोविड की दूसरी लहर से निपटने में भारत की मदद की. भारत की सहायता के लिए सिंगापुर ने 8264 ऑक्सीजन कन्संट्रेटर, 51 हजार ऑक्सीमीटिर, 63 बाइपैप/ वैंटिलेटर और 10 हजार से अधिक ऑक्सीजन सिलेंडर समेत कई साजो सामान मुहैया कराया है. 

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