'महात्मा गांधी को इनके गोडसे ने मारा, नाम हटाने का पाप...', मनरेगा का नाम बदलने पर भड़की कांग्रेस
कांग्रेस का आरोप है कि रोजगार की लीगल गारंटी स्कीम को बदलकर, अब केंद्र द्वारा संचालित प्रचार योजना में बदल दिया गया है, जिसमें खर्च राज्य करेंगे. ग्राम सभाओं और पंचायतों को दरकिनार किया जाएगा.

मनरेगा का नाम बदलने के मोदी सरकार के फैसले पर कांग्रेस लगातार हमलावर है. प्रियंका गांधी और शशि थरूर की प्रतिक्रिया के बाद अब कांग्रेस पार्टी की तरफ से एक लंबा चौड़ा बयान जारी किया गया है. कांग्रेस ने बीजेपी की सरकार की मानसिकता पर भी सवाल उठाया है.
'इनके गोडसे ने गांधी को मारा, अब नाम हटाने का पाप कर रहे'
कांग्रेस ने फेसबुक पर पोस्ट कर लिखा, "पीएम मोदी ने महात्मा गांधी रूरल एम्प्लॉयमेंट गारंटी एक्ट का नाम बदलकर 'विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण)' रख दिया है. महात्मा गांधी को इनके गोडसे ने मारा और उनके नाम को हटाने का पाप यह पापी कर रहे हैं. सिर्फ नाम ही नहीं बदला है, असल में मोदी सरकार ने काम के अधिकार की गारंटी वाले इस कानून को बदलकर उसमें शर्तें और केंद्र का नियंत्रण बढ़ा दिया है- जो राज्यों और मजदूरों दोनों के खिलाफ है."
'ग्रामीण अर्थव्यवस्था को पूरी तरह तबाह किया जा रहा'
कांग्रेस ने कहा, "वो MGNREGA जो ग्रामीण भारत के लिए संजीवनी साबित हुआ, जिसने गांव-देहात में लोगों को काम का अधिकार दिया, जिसने ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत की- उसे पूरी तरह से तबाह किया जा रहा है. MGNREGA unskilled मजदूरों के लिए स्कीम थी, जिसका बजट केंद्र सरकार देती थी. लेकिन अब बजट का 60% भार केंद्र सरकार और 40% भार राज्य सरकारों को उठाना पड़ेगा. यह राज्यों के राजस्व पर हमला है. इसका दुरुपयोग मोदी जैसे लोग विपक्ष की राज्य सरकारों के खिलाफ भयंकर रूप से करेंगे."
'राज्य भुगतान करेंगे और मोदी फोटो खिंचवाएंगे'
कांग्रेस ने लिखा, "इस न्यू इंडिया में राज्य भुगतान करेंगे और मोदी फोटो खिंचवाएंगे. MGNREGA मांग पर आधारित एक स्कीम थी, अब शर्तें लागू. MGNREGA मांग पर आधारित एक स्कीम थी, अगर कोई मजदूर काम मांगता था, तो केंद्र को उसे काम देकर उसका भुगतान करना पड़ता था. नई स्कीम में डिमांड के आधार पर काम नहीं मिलेगा. अब काम केंद्र के पूर्व-निर्धारित मानक और बजट आवंटन के आधार पर ही मिलेगा. फंड खत्म, तो अधिकार खत्म. अगर फंड से ज्यादा काम दिया तो उसका भुगतान राज्य सरकार को करना होगा."
केंद्र पर निशाना साधते हुए कांग्रेस ने लिखा, "रोजगार की लीगल गारंटी स्कीम को बदलकर, अब केंद्र द्वारा संचालित प्रचार योजना में बदल दिया गया है, जिसमें खर्च राज्य करेंगे. ग्राम सभाओं और पंचायतों को दरकिनार किया जाएगा. MGNREGA में काम ग्राम सभाओं और पंचायतों के जरिए होता था, जो स्थानीय जरूरतों के आधार पर काम की योजना बनाती थीं. इससे लोकतंत्र की पहली कड़ी पंचायतों को और भी मजबूती मिलती थी."
पार्टी ने कहा, "अब नई स्कीम में GIS Tools, PM Gati Shakti और केंद्र के डिजिटल नेटवर्क अनिवार्य हैं. स्थानीय प्राथमिकताएं अब विकसित भारत नेशनल रूरल इंफ्रास्ट्रक्चर स्टैक से फिल्टर होंगी. इसमें बायोमेट्रिक्स, जियो-टैगिंग, डैशबोर्ड्स और AI ऑडिट जरूरी हैं. साफ है, वह लाखों ग्रामीण मजदूर जो इतनी तकनीक नहीं समझते हैं, वो काम से वंचित रह जाएंगे. 60 दिन के काम का अनिवार्य निलंबन. नई स्कीम में मौसम के नाम पर हर साल 60 दिनों तक काम निलंबित करना भी अनिवार्य है."
यह रोजगार की गारंटी है या मजदूरी पर नियंत्रण?
कांग्रेस ने कहा, "मतलब यह योजना अब मजदूरों को कानूनी रूप से कह रही है, काम मत करो, कमाओ मत, इंतजार करो. सरकारी काम को रोककर, मजदूरों को निजी खेतों में मजदूरी के लिए धकेलना कल्याण नहीं बल्कि सरकार द्वारा मजदूरों की सप्लाई है जो उनसे उनकी आय, उनकी इच्छा और सम्मान सब छीनती है. असल में इस नई स्कीम का मतलब केंद्र सरकार का कंट्रोल, राज्यों को खर्च करने के लिए मजबूर करना, मजदूरों के अधिकारों को कम करके उसपर शर्त लगा देना है. हर बार की तरह इस बार भी यह कानून गरीब विरोधी है."
Source: IOCL























