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NCERT सिलेबस में 'पार्टिशन हॉरर्स' पर विवाद, कांग्रेस बोली- '...तो फाड़कर फेंक देनी चाहिए किताब'

कांग्रेस ने NCERT पर आरोप लगाया कि विभाजन के इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है. मॉड्यूल में कांग्रेस और जिन्ना को जिम्मेदार ठहराया गया, जिस पर नेताओं ने कड़ा विरोध जताया.

कांग्रेस ने रविवार (16 अगस्त 2025) को आरोप लगाया कि NCERT की तरफ से कक्षा 6 से 8 के लिए डिज़ाइन किए गए पाठ्यक्रम मॉड्यूल के एक हिस्से कल्प्रिट्स ऑफ़ पार्टीशन में इतिहास को तोड़ा-मरोड़ा गया है. इस मॉड्यूल में कांग्रेस और उस समय के ऑल इंडिया मुस्लिम लीग के नेता मोहम्मद अली जिन्ना को विभाजन के लिए दोषी ठहराया गया है. यह मॉड्यूल कक्षा 6 से 8 (मिडिल स्टेज) के लिए एक सप्लीमेंट्री बुक है. ये नियमित पाठ्यपुस्तकों का हिस्सा नहीं है और इसे परियोजनाओं, पोस्टरों, चर्चाओं और वाद-विवाद के लिए इस्तेमाल किया जाना है.

NCERT मॉड्यूल में लिखा गया है कि आखिरकार, 15 अगस्त, 1947 को भारत का विभाजन हो गया, लेकिन यह किसी एक व्यक्ति की करतूत नहीं थी. भारत के विभाजन के लिए तीन लोग जिम्मेदार थे. पहले, जिन्ना, जिन्होंने इसकी मांग की. दूसरा कांग्रेस जिन्होंने इसे स्वीकार किया और तीसरा माउंटबेटन (तत्कालीन वायसराय) जिन्होंने इसे लागू किया.

कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने क्या कहा?
मामले पर कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि अगर इसमें हिंदू महासभा की भूमिका का जिक्र नहीं है तो इस किताब को फाड़ देना चाहिए. 1938 में गुजरात के साबरमती तट पर हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अधिवेशन में सबसे पहले प्रस्ताव रखा गया कि हिंदू और मुस्लिम अलग-अलग रहे. इसको मुस्लिम लीग के 1940 के लाहौर अधिवेशन में समर्थन मिला. फिर, 1942 में सिंध प्रांत की संयुक्त सरकार, जो हिंदू महासभा और मुस्लिम लीग द्वारा बनाई गई थी ने एक प्रस्ताव पारित किया. अगर इन तारीखों का उल्लेख एनसीईआरटी किताब में नहीं है तो उसे फाड़ देना चाहिए

मनीष तिवारी ने क्या कहा?
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने NCERT पर छिड़े विवाद पर कहा कि भारत विभाजन की ओर ले जाने वाला दो-राष्ट्र सिद्धांत विभाजन से कम से कम सात दशक पहले का है. इसके समर्थक दोनों तरफ थे. मुस्लिम और हिंदू, और उन सात दशकों में वी.डी. सावरकर, सैयद अहमद खान, भाई परमानंद और लाला लाजपत राय जैसे अनेक लोगों के उद्धरण दिए. दरअसल, विभाजन भारत का नहीं, बल्कि इसके दो प्रांतों पंजाब और बंगाल का था. NCERT का ‘पार्टिशन हॉरर्स’ चैप्टर इतिहास को तोड़ने-मरोड़ने का मामला है. नॉर्थ वेस्ट फ्रंटियर प्रांत में हिंदू महासभा के सदस्य सरदार औरंगजेब खान (मुस्लिम लीग) के साथ गठजोड़ कर 1943 में सरकार बनाई थी. कैबिनेट में महासभा सदस्य मेहर चंद खन्ना वित्त मंत्री थे.

क्या है टू नेशन थ्योरी?
थ्योरी का मुख्य आधार यह था कि हिन्दू और मुसलमान चूंकि दो अलग अलग संप्रदाय हैं अतः उनकी राजनैतिक -आर्थिक ज़रूरतें भी अलग अलग हैं और वे एक साथ नहीं रह सकते. आखिर मुसलमानों के लिए अलग देश पाकिस्तान की मांग की गई. यह सांप्रदायिकता का चरम था, जिसकी परिणति भारत के विभाजन और सांप्रदायिक दंगे के रूप में हुई. टू- नेशन थ्योरी के आधार पर भारत का विभाजन माउंटबेटन ने योजना के तहत किया. पाकिस्तान के गठन की मांग उर्दू कवि मोहम्मद इकबाल से शुरू होती है. 1930 में मुस्लिम लीग के अधिवेशन में अध्यक्षीय भाषण देते हुए उन्होंने एक उत्तर-पश्चिमी भारतीय मुस्लिम राज्य की जरूरत पर ज़ोर दिया था. मगर उस भाषण में इकबाल एक नए देश के उदय पर नहीं बल्कि पश्चिमोत्तर भारत में मुस्लिम बहुल इलाकों की एकीकृत, शक्तिशाली भारतीय संघ के भीतर एक स्वायत्त इकाई की स्थापना पर जोर दे रहे थे

कब रखा गया मुस्लिम लीग का प्रस्ताव?
मुस्लिम लीग का प्रस्ताव 23 मार्च 1940 में रखा गया था. ये ए.के.फजलुल हक और मोहम्मद अली की तरफ से प्रस्तावित किया गया था. इस प्रस्ताव में भारत के उत्तर-पश्चिमी और पूर्वी क्षेत्रों में मुसलमानों के लिए स्वतंत्र राज्यों के निर्माण की मांग की गई थी. मुस्लिम लीग के 1940 वाले प्रस्ताव की मांग थी कि भौगोलिक दृष्टि से सटी हुई इकाइयों को क्षेत्रों के रूप में चिह्नित किया जाए, जिन्हें बनाने में जरूरत के हिसाब से इलाको का फिर से ऐसा समायोजन किया जाए कि हिंदुस्तान के उत्तर-पश्चिम और पूर्वी क्षेत्रों जैसे उन हिस्सों में मुसलमानों की संख्या ज़्यादा है. उन्हें इकठ्ठा करके स्वतंत्र राज्य बना दिया जाए, जिनमें शामिल इकाइयां स्वाधीन और स्वायत्त होंगी.

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