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जब नितिन नबीन की वजह से हुआ नीतीश-मोदी का झगड़ा!

बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष नितिन नबीन के पोस्टरों ने आज से 15 साल पहले बिहार की राजनीति में जो भूचाल लाया था, राजनीति को सजगता से देखने वाला कोई भी शख्स इसे भूला नहीं होगा.

नीतीश सरकार में मंत्री नितिन नबीन अब भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष हैं. ये भी लगभग तय है कि नितिन नबीन ही बीजेपी के अगले राष्ट्रीय अध्यक्ष भी होंगे, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यही नितिन नबीन जब महज एक विधायक हुआ करते थे तो इनके पटना शहर में लगाए पोस्टरों ने तब के बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच ऐसा झगड़ा करवा दिया था कि नीतीश कुमार ने वो बहुचर्चित डिनर कैंसल कर दिया था, जिसके बाद बीजेपी और जेडीयू का रिश्ता ही टूट गया था. क्या थी पूरी कहानी, बताएंगे विस्तार से.

साल था 2009. देश में लोकसभा चुनाव का माहौल बन रहा था. एनडीए की ओर से लाल कृष्ण आडवाणी को प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश करने की कोशिश जोरों पर थी. इसी सिलसिले में लोकसभा के लिए प्रचार अभियान के दौरान लुधियाना शहर में एक विशाल जनसभा का आयोजन किया गया था. इसमें एनडीए के सभी घटक दल के नेताओं को और एनडीए के मुख्यमंत्रियों को निमंत्रण पत्र भेजे गए थे. तब तेलंगाना राष्ट्र समिति के के चंद्रशेखर राव यूपीए से अलग हो गए थे और एनडीए के साथ थे, जिससे एनडीए का कुनबा और बड़ा हो गया था. इस रैली में नीतीश कुमार को भी शामिल होना था, लेकिन नीतीश हिचक रहे थे, क्योंकि वह नरेंद्र मोदी के साथ मंच साझा करने के खिलाफ थे.

तब मरहूम अरुण जेटली ने नीतीश कुमार को फोन किया और कहा कि आडवाणी चाहते हैं कि आप जरूर आएं. जेटली ने साथ ही संजय झा को भी कहा कि वो नीतीश को मनाएं. आखिरकार संजय झा के कहने पर नीतीश मान गए और रैली में आए. नीतीश जैसे ही एक छोर से रैली के मंच पर चढ़ रहे थे, दूसरे छोर से नरेंद्र मोदी भी मंच पर चढ़ गए. वरिष्ठ पत्रकार संकर्षण ठाकुर अपनी किताब बंधु बिहारी में लिखते हैं-

'मंच पर चढ़ते ही नरेंद्र मोदी ने नीतीश का हाथ पकड़ा और ऊपर उठा दिया ताकि सब देख सकें. कैमरे निकले, तस्वीरें खिचीं और नीतीश को लगा कि उनपर निशाना साधा जा रहा है. इससे पहले कि नीतीश होश संभालते, मोदी ने उन्हें छोड़ दिया और मंच पर अपने निश्चित स्थान पर जाकर बैठ गए.' रैली के बाद वापसी में नीतीश के साथ कार में संजय झा भी थे. नीतीश संजय झा पर भयंकर नाराज हो गए. कहा-

'आपने मुझे फंसाया है, आप जानते थे कि क्या होने वाला है. सब डेलिबरेट है. डिजाइन है, कल अखबार में वही फोटो छपेगा जो उस आदमी ने मेरा हाथ पकड़ के जबरदस्ती खिंचवाया. इस तरह की राजनीति के मैं सख्त खिलाफ हूं.'

लेकिन जो होना था, हो गया था. अब कुछ नहीं हो सकता था, लेकिन तस्वीर तो छप गई थी अखबार में. और तब संजय झा को समझ में आया कि हुआ क्या था, लेकिन अभी और भी कुछ होना बाकी था. और जो होना बाकी था, उसके नेपथ्य में थे यही नितिन नबीन जो उस वक्त तक बिहार बीजेपी के छोटे नेता थे. लुधियाना वाली घटना के करीब एक साल बाद जून 2010 में पटना में बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक होने वाली थी. इस बैठक से कुछ ही दिन पहले शहर की दीवारों पर पोस्टर लगने शुरू हो गए थे.  इसमें नरेंद्र मोदी के प्रति आभार जताया गया था, जिन्होंने बिहार में कोसी की बाढ़ से पीड़ित लोगों के लिए पांच करोड़ रुपये का महादान दिया था.

राष्ट्रीय कार्यकारिणी की एक रात पहले ही पटना शहर के लगभग हर चौराहे पर बड़े-बड़े विज्ञापन लगे थे, जिसमें गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति कृतज्ञता जताई गई थी. कुछ पोस्टर में वही फोटो लगी थी, जो लुधियाना वाले मंच पर खिंची गई थी, जिसमें नरेंद्र मोदी नीतीश कुमार का हाथ थामे दिख रहे थे. इन पोस्टर्स को लगवाने वाले थे बीजेपी के नेता रामेश्वर चौरसिया और नितिन नबीन. वहीं नीतीश कुमार ने सुशील मोदी से कहा था कि वो बीजेपी के नेताओं को अपने घर पर डिनर देंगे. 1 अणे मार्ग पर इसकी तैयारियां चल रही थीं. वरिष्ठ पत्रकार संकर्षण ठाकुर अपनी किताब बंधु बिहारी में लिखते हैं-

'मुख्यमंत्री आवास 1 अणे मार्ग के हरे-भरे मैदान पर एक शामियाना लगवाया गया था. ठेठ बिहारी व्यंजन जैसे बालूशाही, बेलग्रामी, खाजा, मालपुआ और लिट्टी-चोखा मेन्यू में था, जिसकी जिम्मेदारी मौर्य होटल के प्रभारी बीडी सिंह के पास थी.  निमंत्रण पत्र छप गए थे. बीजेपी के सभी नेताओं के नाम व्यक्तिगत तौर पर निमंत्रण पत्र भेजा गया था, जिसकी जिम्मेदारी बीजेपी के एक पुराने नेता श्याम जाजू के पास थी. '

लेकिन जब ये तैयारियां चल रही थीं तो नीतीश पटना में नहीं थे. वह विकास यात्रा लेकर उत्तरी बिहार के दौरे पर थे. रात को वो देर से लौटे और अगले दिन जब अखबार देखने लगे तो पता चला कि अखबार में विज्ञापन छपा है. उसमें वहीं नीतीश-मोदी की तस्वीर छपी है जो लुधियाना में खिंची थी और विज्ञापन में पांच करोड़ रुपये के लिए नरेंद्र मोदी का आभार जताया गया था. विज्ञापन देने वाले के नाम के तौर पर बिहार के मित्र लिखा था. इसे देखते ही नीतीश कुमार भड़क गए. उन्होंने संजय झा को बुलाया और कहा कि अब डिनर नहीं होगा, निमंत्रण पत्र वापस ले लो. इसके बाद नीतीश ने शामियाना उखाड़ने और रसोई को बंद करने का आदेश दिया.

डिनर कैंसल हो गया और उसके बाद का इतिहास तो सब जानते हैं कैसे फिर नीतीश-मोदी के रिश्ते और भी तल्ख होते चले गए और बिहार में बीजेपी-जेडीयू का गठबंधन टूट गया. हालांकि वो गठबंधन फिर से बना-टूटा, बना-टूटा और अब फिर से बना हुआ है, लेकिन अभी के बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष नितिन नबीन के पोस्टरों ने आज से 15 साल पहले बिहार की राजनीति में जो भूचाल लाया था, राजनीति को सजगता से देखने वाला कोई भी शख्स इसे भूला नहीं होगा. और न ही वो नितिन नबीन के कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने से नीतीश कुमार पर पड़ने वाले प्रभाव को अनदेखा कर पाएगा.

 

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अविनाश राय एबीपी लाइव में प्रोड्यूसर के पद पर कार्यरत हैं. अविनाश ने पत्रकारिता में आईआईएमसी से डिप्लोमा किया है और इलाहाबाद विश्वविद्यालय से ग्रैजुएट हैं. अविनाश फिलहाल एबीपी लाइव में ओरिजिनल वीडियो प्रोड्यूसर हैं. राजनीति में अविनाश की रुचि है और इन मुद्दों पर डिजिटल प्लेटफार्म के लिए वीडियो कंटेंट लिखते और प्रोड्यूस करते रहते हैं.

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