राम माधव ने कहा- भारत का हिस्सा है अक्साई चिन, एलएसी पर भी होना होगा मुखर
राम माधव ने कहा कि चीन स्वभाव से सीमा विवाद का हल नहीं चाहता है. बीजेपी नेता ने कहा कि हमें सैन्य मोर्चे पर मुखर रहते हुए चीन से कूटनीतिक चर्चा करनी होगी.
नई दिल्ली: भारत-चीन के बढ़ते तनाव के बीच बीजेपी महासचिव राम माधव ने अक्साई चिन पर भारत के दावे को दोहराया है. उन्होंने बुधवार को कहा कि भारत जिस तहर की मुखरता पाकिस्तान के साथ नियंत्रण रेखा पर दिखाता है उसी तरह की तत्परता चीन के साथ भी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर दिखानी चाहिए. माधव ने कहा कि मौजूदा संघर्ष का समाधान चीन के साथ कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर चीन को सक्रिय रूप से घेरना है. बीजेपी नेता आरएसएस के मुखपत्र 'आर्गेनाइजर' द्वारा भारत-चीन सीमा विवाद पर आयोजित समारोह में बोल रहे थे.
राम माधव बोले- हमारा दावा केवल एलएसी नहीं है, हमारा दावा इससे आगे का है
राम माधव ने कहा, "हमारा दावा केवल एलएसी नहीं है. हमारा दावा इससे आगे का है. जब बात जम्मू एवं कश्मीर की आती है तो, इसमें पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर भी शामिल है, उसी तरह से लद्दाख केंद्रशासित प्रदेश की बात आती है तो इसमें गिलगित-बल्टिस्तान और अक्साई चिन भी शामिल है."
माधव ने हालांकि जोर देकर कहा कि भारत चीन के साथ युद्ध नहीं चाहता है, लेकिन भारत को अपने तरफ की एलएसी के आत्मसम्मान की रक्षा करने की जरूरत है.
उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि आज का चीन ज्यादा आक्रामक है. लेकिन उन्होंने दावा किया कि आज का आक्रामक चीन मुखर भारत का नतीजा है.
चीन अपनी इच्छा से कभी भी सीमा विवाद को सुलझाना नहीं चाहता
बीजेपी के महासचिव ने दावा किया कि चीन अपनी इच्छा से कभी भी सीमा विवाद को सुलझाना नहीं चाहता है. यही वजह है कि जब पी.वी. नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री थे, चीन ने मौजूदा शब्द को आपसी समझौते में डालने से इनकार कर दिया था.
माधव ने चीन की आक्रामकता की वजह पुरानी राजनीतिक प्रतिक्रियाओं को बताया और कहा, "हम हमेशा शांति चाहते हैं. उन्होंने सूची बताते हुए कहा कि चाहे 1988 में राजीव गांधी, 1993 में नरसिम्हा राव हो या देवेगौड़ा या फिर यूपीए सरकार हो, सभी ने ड्रैगन से धोखा खाने के लिए चीन के साथ शांति स्थापना की कोशिश की."
गलवान घाटी में हिंसा वाली जगह पर चीन ने फिर लगाए टेंट
चीन की एक बड़ी धोखेबाजी सामने आई है. सूत्रों के मुताबिक, गलवान घाटी में हिंसा वाली जगह पर चीन ने टेंट लगा दिए हैं. जहां हिसंक झड़प हुई थी चीन ने वहीं पर फिर से अपने टेंट लगा दिए हैं. गलवान घाटी के पेट्रोलिंग प्वाइंट 14 पर ये टेंट लगाए गए हैं. ये वही जगह है जहां पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच में झड़प की घटनाएं हुई थीं. बाद में दोनों देशों की तरफ से ये प्रयास किए गए कि यहां तनाव घटाया जाए लेकिन एक बार फिर चीन अपने वादों से मुकर गया है. चीन का ये फैसला तनाव बढ़ा सकता है.
तनाव घटाने के लिए कदम उठाए जाने की पर चीन ने जताई थी सहमति
बुधवार को ही करीब ढाई घंटे की बैठक दोनों देशों के अधिकारियों के बीच हुई है. इस बैठक में चीन ने कहा कि वह डिसइंगेजमेंट के प्लान पर काम करने के लिए सहमत है. उसने तनाव घटाने के लिए कदम उठाए जाने की बात पर भी सहमति जताई.
इससे पहले भी चीन के साथ हुई थी बैठक
इससे पहले दोनों देशों के बीच 5 जून को भी संयुक्त सचिव स्तर का संवाद हुआ था. इसके बाद 6 जून को दोनों देशों के बीच चुशूल में सैन्य कमांडर स्तर की बातचीत हुई थी. वहीं सोमवार को दोनों देशों के कोर कमांडर्स की हुई मैराथन बैठक के बाद डिसइंगेजमेट का फैसला लिया गया था लेकिन ऐसी जगह पर फिर टेंट खड़े करना, चीन की पैतरेबाजी को दिखाता है.
हिंसक झड़प में चीन को भी हुआ था नुकसान
पीपी-14 (यानी पेट्रोलिंग प्वाइंट 14) पर ही हिंसक झड़प हुई थी. हिंसक झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे. इसके साथ ही बड़ी संख्या में चीनी सैनिक भी हताहत हुए थे.
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