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पुणे हिंसा: महाराष्ट्र में ‘बंद’ खत्म, अभी भी गिरफ्त से बाहर हैं हिंसा के आरोपी
हिंसा की शुरूआत करने का आरोप मिलिंद एकबोटे के संगठन हिंदू एकता मोर्चा और संभाजी भिड़े के संगठन शिव प्रतिष्ठान पर लगा है और उसी के विरोध में दलितों ने पूरे महाराष्ट्र में बंद का बुलाया था.

मुंबई: नए साल के पहले दिन से महाराष्ट्र में जारी जातीय संघर्ष के बाद बुधवार को बहुजन महासंघ के नेता और भीमराव अंबेडकर के पोते प्रकाश अंबेडकर द्वारा बुलाया गया बंद वापस ले लिया गया. सोमवार को पुणे के पास भीमा-कोरेगांव लड़ाई की 200वीं सालगिरह पर आयोजित कार्यक्रम में दो गुटों की हिंसा में एक शख्स की मौत हो गई थी. इसके बाद हिंसा मुंबई, पुणे, औरंगाबाद, अहमदनगर जैसे 18 शहरों तक फैल गई. पुणे हिंसा: कौन हैं वो दो लोग जिनकी गिरफ्तारी की मांग कर रहा है दलित समाज? ठाणे में आज भी जारी रहेगी धारा 144 बहुजन महासंघ, महाराष्ट्र डेमोक्रेटिक फ्रंट, महाराष्ट्र लेफ्ट फ्रंट समेत 250 से ज्यादा दलित संगठनों ने बुधवार को महाराष्ट्र बंद का एलान किया था. जिसके बाद मुंबई, ठाणे और औरंगाबाद समेत राज्य के कई इलाकों में प्रदर्शन हुए. ठाणे में एडमिनिस्ट्रेशन ने 4 जनवरी तक धारा 144 लगा दी गई है. यहां के ज्यादातर स्कूल और कॉलेज बंद हैं. वहीं, पुणे से बारामती और सतारा जिलों को जाने वाली बसें भी फिलहाल बंद कर दी गई हैं. प्रकाश अंबेडकर ने कहा कि इस मामले में अगर कार्रवाई नहीं हुई तो हम आगे आंदोलन करेंगे. हमने गुजरात में ऊना की वारदात सही, ऐसे और कब तक सहते रहेंगे? अगर हमने भीड़ को संभाला नहीं होता तो हिंदू संस्था के कम से कम 500 लोग मारे जाते. उधर हिंदू लीडर भीड़े गुरुजी के शिवराज प्रतिष्ठान और मिलिंग एकबोटे के समस्त हिंदू एकता अघाड़ी पर पुणे में केस दर्ज किया गया है, लेकिन अभी तक इनकी गिरफ्तारी नहीं हुई है. कहां से शुरु हुआ था विवाद? 29 दिसंबर को पुणे के वडू गांव में दलित जाति के गोविंद महाराज की समाधि पर हमला हुआ था, जिसका आरोप मिलिंद एकबोटे के संगठन हिंदू एकता मोर्चा पर लगा और एफआईआर दर्ज हुई. एक जनवरी को दलित समाज के लोग पुणे के भीमा कोरेगांव में शौर्य दिवस मनाने इकट्ठा हुआ और इसी दौरान सवर्णों और दलितों के बीच हिंसक झड़प हुई, जिसमें एक शख्स की जान चली गई और फिर हिंसा बढ़ती गई. हिंसा की शुरूआत करने का आरोप मिलिंद एकबोटे के संगठन हिंदू एकता मोर्चा और संभाजी भिड़े के संगठन शिव प्रतिष्ठान पर लगा है और उसी के विरोध में दलितों ने पूरे महाराष्ट्र में बंद का बुलाया था. दोनों आरोपियों पर दफा 302 के तहत मुकदमा चलाने की मांग हो रही है लेकिन सवाल है ये कि पुलिस के हाथ अब तक खाली क्यों हैं ? हिंसा के आरोपी कब गिरफ्तार होंगे?
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