दिल्ली ने पराली का सस्ता और आसान समाधान दे दिया है, अब किसी सरकार के पास कोई बहाना नहीं- अरविंद केजरीवाल
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हिरनकी गांव का दौरा किया. इस मौके पर पूसा रिसर्च इंस्टीट्यूट के तैयार किये गए बॉयो डीकंपोजर घोल के छिड़काव का पराली पर पड़ने वाले प्रभावों का जायजा लिया.

दिल्ली: मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को हिरनकी गांव का दौरा किया और पूसा रिसर्च इंस्टीट्यूट के तैयार किये गए बॉयो डीकंपोजर घोल के छिड़काव का पराली पर पड़ने वाले प्रभावों का जायजा लिया. हिरनकी गांव के उसी खेत मे अरविंद केजरीवाल ने दौरा किया जहां से 13 अक्टूबर को दिल्ली में छिड़काव की शुरुआत की गई थी.
छिड़काव के 15 दिन बाद ABP न्यूज़ की टीम जब पूसा की टीम के साथ इस खेत मे जायज़ा लेने पहुंची तब तक 90% पराली गल चुकी थी. अब 20 दिन से ज़्यादा का समय बीतने के बाद पराली पूरी तरह से गली हुई दिखाई दी. जिसे किसान के खेत मे छिड़काव किया गया वो भी परिणाम से काफी संतुष्ट हैं.
किसान सुमित और उनके पिता का कहना है कि पराली परंपरागत तरीकों की अपेक्षा जल्दी गल गई है और मिट्टी में खाद भी बन गई है. रोटावेटर चलाने में आने वाले खर्च में प्रति एकड़ करीब 2,000 रुपए की बचत होगी. यानि उनके 3 एकड़ के खेत की बात करें तो करीब 6,000 रूपए की बचत हो जायेगी. इसके अलावा यूरिया का खर्च भी बचेगा. अगले हफ्ते में खेत मे बुआई का काम शुरू हो जायेगा.
पंजाब में काफी ज़्यादा पराली जलाई जा रही है- अरविंद केजरीवाल
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में बॉयो डिकम्पोज़र तकनीक के इस्तेमाल पर कहा, "हर साल पराली के जलने की वजह से धुआं उठता है. अभी भी देखेंगे तो आसमान में धुआं है. मीडिया की रिपोर्ट और सैटेलाइट की तस्वीरों से यह लगता है कि आसपास के राज्यों में खासकर पंजाब में काफी ज़्यादा पराली जलाई जा रही है. एक तरफ किसान खुद ही दुखी है. उसको और पूरे गांव को कितना प्रदूषण बर्दाश्त करना पड़ता है.
आसपास के राज्यों की सरकारों ने उनके लिए कुछ भी नहीं किया. किसान अपनी पराली जलाने के लिए मजबूर हुआ और वह पूरा धुआं उत्तर भारत में फैल जाता है. पूसा इंस्टीट्यूट के साथ मिलकर दिल्ली सरकार ने इस बार एक अहम कदम उठाया है दिल्ली के सारे खेतों के अंदर बायो डीकंपोजर केमिकल का छिड़काव किया गया. 13 तारीख को छिड़काव किया था और आज जब हम यहां खड़े हैं तो पूरी पराली गल चुकी है. खाद में कन्वर्ट हो चुकी है और अब इसकी बुआई का काम शुरू हो सकता है."
उम्मीद करता हूं ये आखिरी साल हो प्रदूषण बर्दाश्त करने का- अरविंद केजरीवाल
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली के लोगों ने पहली बार पूसा इंस्टीट्यूट के साथ मिलकर पराली का एक समाधान दिया है. मुख्यमंत्री ने कहा, "ये तकनीक पराली का इतना सस्ता और इतना अच्छा समाधान है कि पराली अब खाद में तब्दील हो रही है तो मैं उम्मीद करता हूं कि अब यह आखिरी साल होगा जो हम यह प्रदूषण बर्दाश्त कर रहे हैं. अब किसी सरकार के पास कोई बहाना नहीं है अपने किसानों को तंग करने का.
किसान दुखी हो चुके हैं वह पराली नहीं जलाना चाहते मेरी बहुत किसानों से बात हुई है पंजाब और हरियाणा में, वह पराली नहीं जलाना चाहते. अब हमें समाधान मिल गया हम सुप्रीम कोर्ट को भी बताएंगे कि यह समाधान बहुत प्रभावकारी है. किसान भी बहुत संतुष्ट है और पूसा इंस्टिट्यूट के वैज्ञानिक भी परिणाम से काफी संतुष्ट हैं. अब समाधान मौजूद है और सरकारों की जिम्मेदारी है. कोई यह बहाना नहीं बना सकता कि हमारे पास समाधान नहीं है दिल्ली के अंदर सिर्फ 20 लाख रूपए में ही सारा छिड़काव हो गया जो कि कुछ भी नहीं है."
इस तकनीक के इस्तेमाल का सुझाब अन्य राज्यों को देने पर मुख्यमंत्री ने कहा, "मैंने इस बार भी केंद्रीय पर्यावरण मंत्री से कई बार मीटिंग करने की कोशिश की. जब हम लोगों ने दिल्ली में छिड़काव शुरू किया उस से 15 दिन पहले केंद्रीय पर्यावरण मंत्री को चिट्ठी लिखी. उनसे मिलने का समय मांगा, वह व्यस्त रहे होंगे उन्होंने मिलने का टाइम नहीं दिया. मैंने उनसे फोन पर बात की उनको कहा कि दिल्ली में हम कोशिश कर रहे हैं.
जितना रोक सकते हैं पराली जलाने को उतना कर हम कर रहे हैं- अरविंद केजरीवाल
इस बार मैं समझ सकता हूं कि काफी देर हो चुके हैं लेकिन कोशिश करते हैं जितना रोक सकते हैं पराली जलाने को उतना कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि आप अपना प्रयोग करके देख लीजिए अगर सफल रहा तो अगली बार देखेंगे. मैं उम्मीद करता हूं कि इसमें केंद्र सरकार और जो नया कमीशन केंद्र सरकार ने बनाया है वह भी दखल देगा और सुप्रीम कोर्ट भी इसमें साथ देगा."
पराली जलाने से उठने वाले धुएं के चलते दिल्ली एनसीआर में हर साल प्रदूषण में इज़ाफ़ा देखने को मिलता है. इसे लेकर राज्य सरकारों में भी तनातनी रहती है. ऐसे में पूसा रिसर्च इंस्टीट्यूट के विकसित की गई इस तकनीक से पराली से निजात पाने का एक कारगर विकल्प मिलता दिखाई दे रहा है.
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