Shiv Sena Symbol Row: उद्धव ठाकरे को एक और झटका, संसद में शिवसेना दफ्तर शिंदे गुट को दिया गया
Maharashtra Political Crisis: उद्धव ठाकरे को पहले चुनाव आयोग से निराशा मिली. वहीं, अब धीरे-धीरे उनके हाथ से बाकी चीजें भी छिनती जा रही हैं और एकनाथ शिंदे का गुट मजबूत होता जा रहा है.
Eknath Shinde vs Uddhav Thackeray: उद्धव बालासाहेब ठाकरे (UBT) के चीफ उद्धव ठाकरे को एक के बाद एक कई झटके लग रहे हैं. पार्टी का नाम और चुनाव निशान छिन जाने के बाद अब उनसे संसद का दफ्तर भी छिन गया है. चुनाव आयोग के फैसले के मद्देनजर, संसद में शिवसेना का दफ्तर अब शिंदे गुट का हो गया है. अब इस दफ्तर पर उद्धव गुट का कोई अधिकार नहीं होगा. संसद में शिवसेना के दफ्तर पर एकनाथ शिंदे गुट ने अपना दावा किया था.
बता दें कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे मंगलवार (21 फरवरी) को शिवसेना की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक करेंगे. सीएम के करीबी सहयोगी ने कहा है कि बैठक में विधायक, सांसद और शिवसेना के अन्य नेता शामिल होंगे. इससे पहले, सोमवार (20 फरवरी) को मुंबई के विधान भवन में भी शिंदे गुट ने शिवसेना के दफ्तर को टेकऑवर कर लिया था.
'मुझे शिवसेना की संपत्ति का कोई लालच नहीं है'
एकनाथ शिंदे ने सोमवार को कहा कि हम किसी भी पार्टी की संपत्ति पर कोई दावा नहीं करेंगे, क्योंकि हम बालासाहेब ठाकरे की विचारधारा के उत्तराधिकारी हैं और हमें कोई लालच नहीं है. उन्होंने संवाददाताओं से कहा, "मुझे शिवसेना की संपत्ति या धन का कोई लालच नहीं है. मैं एक ऐसा व्यक्ति हूं जिसने हमेशा दूसरों को कुछ दिया है." उन्होंने ये भी कहा कि संपत्ति और धन के लालच में आने वालों ने 2019 में गलत कदम उठाया था.
चुनाव आयोग से झटका, सुप्रीम कोर्ट से आस
एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को असली शिवसेना मानने और उसे इलेक्शन सिंबल धनुष एवं तीर आवंटित करने के चुनाव आयोग के फैसले को उद्धव ठाकरे गुट ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. याचिका में कहा गया कि चुनाव आयोग ने इस निष्कर्ष पर पहुंचने में गलती की कि दसवीं अनुसूची के तहत अयोग्य ठहराने और चुनाव संबंधी कार्यवाही अलग-अलग मामले हैं और विधायकों की अयोग्यता राजनीतिक दल की सदस्यता समाप्त करने पर आधारित नहीं है. इस मामले में अब बुधवार (22 फरवरी) को सुनवाई होगी.
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