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Aditya-L1 Solar Mission: पूरी दुनिया में चलाए गए अब तक कितने सूर्य मिशन
Aditya-L1 Solar Mission: इसरो का मिशन आदित्य एल-1 जल्द ही लॉन्च होने जा रहा है. इसे अगले महीने 2 सितंबर को लॉन्च किया जाएगा.
ISRO Solar Mission: इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) चंद्रयान 3 मिशन के बाद अब सूर्य पर जाने की तैयारी कर रहा है. इसी कड़ी में आदित्य एल -1 मिशन (Aditya-L1) को 2 सितंबर को श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाएगा. इस लॉन्चिंग से पहले आपका ये जानना जरूरी है कि आखिर अब तक पूरी दुनिया में कितनी बार सूर्य मिशन चलाए गए हैं.
इससे पहले कौन कौन गया सन मिशन पर?
- 1959 और 1968 के बीच नासा के पायनियर्स 5,6,7,8 और 9 की तरफ से सूर्य का निरीक्षण करने के लिए पहली सैटेलाइट लॉन्च की गई थी. इसकी मदद से विंड और सोलर मैग्नेटिक फील्ड का पहला डिटेल मेजरमेंट किया गया था और इन जांचों ने धरती के समान दूरी पर सूर्य की परिक्रमा की थी. 1983 में स्पेसक्राफ्ट सिग्नल भेजने में विफल हो गया था.
- 1970 के दशक में दो हेलिओस स्पेसक्राफ्ट और स्काईलैब अपोलो टेलीस्कोप माउंट ने वैज्ञानिकों को सोवर विंड और सोलर कॉरोना से जुड़ा नया डाटा दिया था. हेलिओस 1 और स्काईलैब अमेरिका-जर्मन के सहयोग से सूर्य पर पहुंचे थे. इसका मकसद बुध ग्रह के ऑर्बिट के अंदर स्पेसक्राफ्ट ले जाने वाली ऑर्बिट से सोरल विंड की स्टडी करना था.
- 1973 में नासा ने स्काईलैब स्पेस स्टेशन लॉन्च किया, जिसमें अपोलो टेलीस्कोप माउंट के नाम से जाना जाने वाला एक सोलर ऑब्जर्वेटरी मॉड्यूल शामिल था और पहली बार स्काईलैब ने सोलर ट्राजिशन जोन और सोलर कॉरोना से एल्ट्रावोईलेंट इमिशन को ओवरव्यू किया था.
- नासा ने 1980 में सोलर मैक्सिमम मिशन लॉन्च किया. ये मिशन स्पेसक्राफ्ट को हाय सोलर एक्टिविटी और सोलर फ्लेयर के समय सौर ज्वालाओं से गामा रेज़, एक्स-रे और यूवी रेडिएशन का निरीक्षण करने के लिए डिजाइन किया गया था.
- 1991 में जापान का योहकोह (सनबीम) सैटेलाइट लॉन्च किया गया था. एक्स-रे तरंग दैर्ध्य पर सौर ज्वालाओं को स्टडी करना इसका उद्देश्य था.
- सोलर और हेलिओस्फेरिक वेधशाला (SOHO) जिसे यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी और नासा की तरफ से संयुक्त रूप से बनाया गया था, 2 दिसंबर 1995 को लॉन्च किया गया सबसे महत्वपूर्ण सौर मिशन था.
- अक्टूबर 2006 में, नासा की तरफ से द सोलर टेरेस ट्रायल रिलेशन ऑब्सर्वेट्री (STEREO) मिशन लॉन्च किया गया था. इसकी मदद से सूर्य की अनदेखी तस्वीरें यानी स्टीरियो ए और बी को कैप्चर करने से सूर्य और सौर घटनाओं जैसे कॉरोनल मास इजेक्शन, इंटरप्लेनेटरी स्पेस में कणों का त्वरण और स्थलीय परिणामों की स्टीरियोस्कोपिक इमेजिंग सक्षम करने की बात कही गई.
- नासा का इंटरफेस रीजन इमेजिंग स्पेक्ट्रोग्राफ (IRIS) स्पेसशिप 27 जून 2013 को लॉन्च किया गया था. ये मिशन सोलर वातावरण की स्टडी करने के लिए था, जिसे ऑर्बिटल साइंसेज कॉर्पोरेशन पेगासस एक्सएल रॉकेट की तरफ से ऑर्बिट में स्थापित किया गया था.
- नासा ने महत्वाकांक्षी सोलर प्रोब प्लस मिशन को विकसित करने के लिए जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी एप्लाइड फिजिक्स लेबोरेटरी (एपीएल) का इस्तेमाल किया. इस मिशन के तहत चार्ज पार्टिकल के करेंट को स्टडी करने के लिए सूर्य के कोरोना के अंदर से स्पेस में प्रवेश किया. इसे 31 जुलाई, 2018 को लॉन्च किया गया था.
- अब आदित्य-एल1 सूर्य की स्टडी करने वाला पहला भारतीय मिशन है. ये इसरो का एक सौर कोरोनोग्राफ मिशन है. इसमें इसरो, आईआईए (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स), उदयपुर सोलर ऑब्जर्वेटरी, एआरआईईएस (आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंसेज), टीआईएफआर (टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च) और कुछ इंडियन इंस्टीट्यूट शामिल है.
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