साल 2012 में ही अभिजीत बनर्जी को ABP न्यूज़ नेटवर्क ने किया था सम्मानित, आज मिला अर्थशास्त्र का नोबेल
अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार संयुक्त रूप से अभिजीत बनर्जी के साथ एस्थर डुफ्लो और माइकल क्रेमर को मिला है. बता दें कि एस्थर डुफ्लो अभिजीत बनर्जी की पत्नी हैं.

नई दिल्ली: भारतीय मूल के अमेरिकी अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी और उनकी पत्नी एस्थर डुफलो को अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार मिला है. इनको दुनिया से गरीबी खत्म करने के लिए किए गए शोध के लिए सम्मानित करने का फैसला किया गया है.अभिजीत की रिसर्च की बदौलत की भारत में 50 लाख बच्चे गरीबी रेखा से बाहर आए. बता दें कि एबीपी न्यूज़ नेटवर्क ने अभिजीत बनर्जी की प्रतिभा देखते हुए साल 2012 में ही उन्हें सम्मानित किया था. एबीपी न्यूज़ के सहयोगी चैनल एबीपी आनंदा के कार्यक्रम 'सेरार सेरा बंगाली' में उन्हें सम्मानित किया गया था. यहां देखें पुरुस्कार लेने बाद अभिजीत बनर्जी ने क्या कहा था?
Serar Sera Bangali 2012 Prof Abhijit Banerjee and wife Esther Duflo win Nobel in Economics "for their experimental approach to alleviating global poverty." A proud moment for every Indian,and obviously,for every Bengali #NobelPrize2019 #SeraBangali Exclusive Interview @8pm #GKSS pic.twitter.com/Kb5TG5hS13
— Sange Suman (@IamSumanDe) October 14, 2019
वैश्विक गरीबी कम किए जाने के प्रयासों के लिए अभिजीत बनर्जी को अर्थशास्त्र का नोबल दिया गया है. उनके साथ एस्थर डुफ्लो और माइकल क्रेमर को भी नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. एस्थर डुफ्लो प्रोफेसर अभिजीत बनर्जी की पत्नी हैं. 21 साल बाद अर्थशास्त्र का नोबल किसी भारतीय मूल के अर्थशास्त्री को मिला है, इससे पहले 1998 में प्रोफेसर अमर्त्य सेन को ये सम्मान मिला था.

जानें कौन हैं अर्थशास्त्र में भारत को दूसरा नोबेल पुरस्कार दिलाने वाले अभिजीत बनर्जी
अभिजीत बनर्जी का जन्म कोलकाता में हुआ, उनके माता-पिता भी अर्थशास्त्र के प्रोफेसर थे. उनके पिता कोलकाता के मशहूर प्रेसिडेंसी कॉलेज में अर्थशास्त्र विभाग के प्रमुख थे. अभिजीत बनर्जी ने कोलकाता यूनिवर्सिटी में शुरुआती पढ़ाई की. इसके बाद अर्थशास्त्र में एमए के लिए जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय आ गए.
इसके बाद उन्होंने हावर्ड यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में साल 1988 में पीएचडी की. 58 साल के अभिजीत बनर्जी फिलहाल अमेरिका की मेसाचुसेट्स यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं. अभिजीत और इनकी पत्नी डुफलो अब्दुल लतीफ जमील पॉवर्टी ऐक्शन लैब के को-फाउंडर भी हैं. बनर्जी संयुक्तराष्ट्र महासचिव की ‘2015 के बाद के विकासत्मक एजेंडा पर विद्वान व्यक्तियों की उच्च स्तरीय समिति’ के सदस्य भी रह चुके हैं.
लगातार अर्थशास्त्र पर लेख लिखने वाले अभिजीत बनर्जी ने चार किताबें भी लिखी हैं. उनकी किताब पुअर इकनॉमिक्स को गोल्डमैन सैक्स बिजनेस बुक ऑफ द ईयर का खिताब भी मिला. अभिजीत ने दो डॉक्यूमेंटरी फिल्मों का डायरेक्शन भी किया है. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में भी अपनी सेवाएं दी हैं.
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