AAP अब नेशनल पार्टी पार्टी बनने को तैयार, क्या होती है प्रक्रिया और कितना फायदा, जानिए सबकुछ
National Party Process: बीते दिनों में हुए चुनावों ने आम आदमी पार्टी की तस्वीर बदल दी है. 10 साल पुरानी पार्टी अब राष्ट्रीय स्तर पाने के मुकाम पर है. यहां हम पार्टी प्रोसेस के बारे में बात करेंगे.

Aam Aadami Party: अरविंद केजरीवाल... इस नाम को सुनकर, पढ़कर या देखकर आप लोगों के मन में चाहे जो प्रतिक्रिया आती हो, लेकिन 10 साल पहले साल 2012 में जब इसी शख्स ने आम आदमी पार्टी को बनाया था तो किसी ने नही सोचा होगा कि वो आज इस मुकाम को हासिल कर पाएगी. जब आप की शुरूआत की गई थी तो इसे रातों रात खत्म होने वाली पार्टी के नाम पर खारिज भी किया गया.
जब इस पार्टी की शुरूआत हुई, उससे पहले अरविंद केजरीवाल को लोग एक इनकम टैक्स ऑफिसर, आरटीआई कार्यकर्ता और साल 2011 में अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के कर्ताधर्ता के रूप में जानते थे. इसके बाद इन 10 सालों के दौरान दो चीजे हुईं. पहली कि बीजेपी सबसे मजबूत पार्टी बनकर उभरी, दूसरी... कांग्रेस पार्टी का पतन होना चालू हो गया. इन सब के बीच आम आदमी पार्टी चुपचाप अपना काम करती रही और आज एक राष्ट्रीय पार्टी के रूप में उभर कर सामने आई है.
आम आदमी पार्टी, राष्ट्रीय पार्टी कैसे?
एक राष्ट्रीय पार्टी की कैटगरी में आने के लिए किसी पार्टी को कम से कम तीन राज्यों में 2 प्रतिशत लोकसभा सीटें होनी चाहिए. कहने का मतलब है कि 11 सीटें लोकसभा में हों. फिर भी आम आदमी पार्टी के पास लोकसभा को कोई भी सांसद नहीं है. इस तरह से लोकसभा में तो आप शून्य है. वहीं, संसद में नजर आने वाले 3 सांसद... संजय सिंह, राघव चड्डा और क्रिकेटर हरभजन सिंह राज्यसभा से भेजे गए हैं.
इसके अलावा, एक कैटगरी ये है कि अगर कोई पार्टी 4 राज्यों में राज्य पार्टी की कैटगरी में शामिल हो जाती है या उसे मान्यता मिल जाती है तो वो राष्ट्रीय पार्टी वाली कैटगरी में आ सकती है. राज्य पार्टी वाली कैटगरी में शामिल होने के लिए किसी भी पार्टी को राज्य के विधानसभा चुनावों में 6 प्रतिशत वोट/ 2 सीटें निकालनी होती है. अगर उसका वोट शेयरिंग 6 प्रतिशत से कम है तो उसे 3 सीटें निकालनी होंगी.
इस तरह से देखा जाए तो आम आदमी पार्टी का स्कोर राष्ट्रीय पार्टी वाली कैटगरी में शामिल होने के लिए पूरा है. कैसे ये समझ लेते हैं... दिल्ली में पूर्ण बहुमत की सरकार, पंजाब में भारी जनादेश मिलने के बाद सरकार. गोवा में 6 प्रतिशत वोट शेयर हासिल किया जो दो सीटें जीतने वाली बात को पूरा करता है. इसके बाद गुजरात का प्रदर्शन, यहां पार्टी ने 12.92 प्रतिशत वोट शेयर लिया.
राष्ट्रीय पार्टी बनने के बाद 'आप' कितनी बदल जाएगी?
लोगों के मन में सवाल तो है कि राष्ट्रीय बनने पर क्या फायदे होते हैं तो इसका जवाब यहां मिल जाएगा. इसको क्रमवार समझते हैं.
- पहला, आम आदमी पार्टी का जो चुनाव चिन्ह है झाड़ू जो पूरी दिल्ली में चल गई, वो पूरे भारत में यही रहेगा. इसको नहीं बदला जा सकेगा.
- दूसरा, इनके ज्यादा से ज्यादा 40 स्टार प्रचारक हो सकते हैं, उनके आने जाने का खर्चा उम्मीदवारों के खाते में से नहीं ले सकते. मतलब इन स्टार प्रचारकों में से कोई भी पार्टी उम्मीदवार के लिए प्रचार करने जाएगा तो उसका खर्चा उम्मीदवार नहीं देगा.
- तीसरा, आम चुनावों के दौरान राष्ट्रीय पार्टियों को दूरदर्शन और आकाशवाणी पर प्रसारण और टेलिकास्ट होने का दर्जा मिलता है.
- चौथी और महत्वपूर्ण, एक राष्ट्रीय पार्टी घोषित हो जाने पर उसको अपना पार्टी हेडक्वार्टर बनाने के लिए सरकारी जमीन मिलती है.
- पांचवी बात, मान्यता प्राप्त राज्य या राष्ट्रीय पार्टी का नामांकन दाखिल करने के लिए सिर्फ एक प्रस्तावक की जरूरत होती है.
कौन-कौन सी हैं राष्ट्रीय पार्टियां?
राष्ट्रीय पार्टियों की अगर बात करें तो, जिसमें आम आदमी पार्टी अभी शामिल नहीं है. चुनाव आयोग ने जिन पार्टियों को मान्यता दी है उनमें, केवल 8 राजनीतिक दल शामिल हैं, जिनमें बीजेपी, कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल, टीएमसी, एनसीपी, सीपीआईएम, सीपीएम और बीएसपी.
इनमें से अगर एनसीपी, टीएमसी, सीपीआई और बीएसपी की बात करें तो ये अभी तलवार की धार पर चल रही हैं क्योंकि, चुनाव आयोग ने इन सभी पार्टियों को नोटिस जारी कर रखा है और पूछा है कि इन पार्टियों को राष्ट्रीय दलों के रूप में मान्याता क्यों दी जाए? इसके जवाब में इन पार्टियों ने कहा कि साल 2024 के लोकसभा चुनाव होने तक हमें छूट दी जाए और ये प्रक्रिया अभी लंबित है.
दरअसल, ममता बनर्जी वाली टीएमसी के पास लोकसभा सांसद तो पर्याप्त हैं लेकिन वो सभी पश्चिम बंगाल से हैं, एनसीपी अब महाराष्ट्र तक ही सीमित रह गई है. इसके अलावा सीपीएम केरल या त्रिपुरा में ही एक्टिव है. तो वहीं सीपीआई किस्मत भरोसे बैठी है. अगर ये पार्टियां अपना दर्जा खो देती हैं तो ऐसे में आम आदमी पार्टी का रुतबा अलग ही नजर आएगा. खासतौर पर तब जब बीजेपी और कांग्रेस से लड़ने के लिए कोई तीसरा विकल्प खोजना होगा.
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Source: IOCL





















