सास-ससुर संग क्रूरता करने वाली बहू उनके घर में नहीं रह सकती: दिल्ली हाई कोर्ट
दिल्ली हाई कोर्ट ने एक बड़ा फैसला देते हुए कहा है कि अगर कोई महिला अपने सास-ससुर के साथ क्रूरता करती है, तो वो उनके घर में नहीं रह सकती है.

नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने एक बड़ा फैसला देते हुए कहा है कि अगर कोई महिला अपने सास-ससुर के साथ क्रूरता करती है, तो वो उनके घर में नहीं रह सकती है. ये कहते हुए हाई कोर्ट ने ऐसी ही एक महिला की अर्ज़ी को खारिज कर दिया. दिल्ली मेंटेनेंस एंड वेलफेयर ऑफ़ पैरेंट्स एंड सीनियर सिटिजन (संसोधन) नियम, 2016 के मुताबिक एक सीनियर सिटिजन अपने बेटे या बेटी को बुरे बर्ताब के लिए अपने घर से निकाल सकता है लेकिन ये कानून उसकी बहू पर लागू नहीं होता था.
जस्टिस विभू भाकरी ने कहा कि इस कानून से बहू को बाहर रखना इसके साथ न्याय नहीं होगा और इससे उन वरिष्ठ नागरिकों के अधिकारों की रक्षा नहीं की जा सकेगी जिनके लिए ये कानून बनाया गया है. कोर्ट ने 11 पन्नों के अपने आदेश में कहा कि ये समझ से परे हैं कि जब ऐसी स्थिति में कोई वरिष्ठ नागरिक अपने बेटे या बेटी को घर से बाहर निकाल सकता है तो वो अपनी बहू की हिंसा या बुरे बर्ताव को क्यों बर्दाश्त करेगा.
दिल्ली की एक ज़िला अदालत ने एक महिला को अपने सास-ससुर के पहले तल्ले को खाली करने का आदेश दिया था जिसके बाद दर्शना नाम की इस महिला ने हाई कोर्ट में इस फैसले को चैलेंज किया. यहां भी दर्शना को मुंह की खानी पड़ी. हाई कोर्ट ने कहा, "नोट किया जाता है कि दर्शना को धनी राम और उनकी पत्नी के साथ रहने का कोई अधिकार नहीं है. ऐसा इसलिए है क्योंकि तीनों के रिश्ते इस हद तक खराब हैं जिनके सही होने की कोई गुंजाइश नहीं हैं."
आपको बता दें कि दर्शना के अपने पति के साथ अच्छे रिश्ते नहीं है. उसने अपने सास-ससुर के खिलाफ घरेलु हिंसा का केस दर्ज करवाया जिसके बाद उसके पति ने उससे तलाक की अर्ज़ी दे दी. दर्शना का पति लंबे समय से अपने परिवार के साथ नहीं रह रहा था. इस बीच धनी राम ने जिला न्यायालय में बेटे और बहू को घर से निकाले जाने की अपील दायर की थी. दर्शना के वकील ने मामले में पहले से मौजूदा कानून का हवाला दिया. कोर्ट ने इसी दलील के खिलाफ फैसला दिया.
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Source: IOCL























