Kantara Chapter 1 Review: शानदार विजुअल्स वाली ये फिल्म थिएटर में ही देखिए, ना ये मास्टरपीस है और ना बॉलीवुड खत्म हुआ है
Kantara Chapter 1 Review: ऋषभ शेट्टी की फिल्म कांतारा चैप्टर 1 बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचा रही है. फिल्म को देखने का प्लान बना रहे हैं तो पहले पढ़ लें रिव्यू.
ऋषभ शेट्टी
ऋषभ शेट्टी, रुक्मिणी वसंत, गुलशन दैवेया, जयराम
सिनेमाघर
बॉलीवुड को शर्म आनी चाहिए, बॉलीवुड तो खत्म हो गया. जब भी साउथ की कोई ठीक ठाक फिल्म आती है तो अक्सर आप इसी तरह ही हेडलाइन्स पढ़ते होंगे लेकिन क्या वाकई ऐसा है. कांतारा चैप्टर 1 एक अच्छी फिल्म है, इसमें कमाल के विजुअल हैं. कुछ सीन ऐसे हैं कि थिएटर में ही देखने चाहिए. आप वो सीन देखकर हैरान रह जाएंगे और उन सीन्स को देखने थिएटर ही जाना होगा लेकिन इस फिल्म में कुछ कमियां भी हैं. पूरा रिव्यू पढ़िए और तय कीजिए कि आपको ये फिल्म देखनी है या नहीं.
कहानी
कहानी वहीं से शुरू होती है जहां पहले वाली खत्म हुई. ये कहानी है बांगडा किंग्डम और कांतारा के लोगों के बीच के झगड़े की. बांगड़ा के राजा कांतारा पर कब्जा चाहते हैं लेकिन इसकी एक खास वजह है. वो क्या है, कैसे कांतारा के लोग बांगडा पहुंच जाते हैं, फिर क्या होता है, ये देखने आपको थिएटर जाना होगा क्योंकि कहानी वहां जाकर समझ आएगी और हो सकता है पूरी ना भी आए.
कैसी है फिल्म
ये एक अच्छी फिल्म है जिसमें कमाल के विजुअल हैं और ये थिएटर में ही देखनी चाहिए. पहला हाफ ठीक लगता है, इंटरवल से पहले वाला सीन कमाल है, लेकिन दूसरा हाफ जबरदस्त है. नेरेशन में कई बार स्टोरी डिप होती है. कई जगह ऐसा लगता है उस सीन की जरूरत नहीं थी. कई जगह लगता है चीजों को थोड़ा सिंपल किया जा सकता था क्योंकि हर किसी के लिए ऐसी फिल्म समझना आसान नहीं होता लेकिन फिर बीच बीच में कुछ ऐसे सीन आ जाते हैं तो पहले वाले सारे हल्के सीन्स पर भारी पड़ जाता है. क्लाइमैक्स जबरस्त है, एक्शन एकदम नई तरह का है. स्पेशल इफेक्ट्स शानदार हैं, लेकिन कहानी का फ्लो टूटता है और यही इस फिल्म की कमी है लेकिन तब भी फिल्म थिएटर में देखने लायक है. पहले वाली के मुकाबले में ये फिल्म ज्यादा अच्छी है. स्केल के हिसाब से भी, ग्राफिक्स और एक्शन के लिहाज से भी.
एक्टिंग
ऋषभ शेट्टी ने कमाल का काम किया है, उन्हें देखकर लगता है जैसे उनका जन्म कांतारा बनाने के लिए ही हुआ है. वो इतने पावरफुल लगते हैं कि फिल्म की सारी कमियों को छिपा देते हैं. एक एक फ्रेम में वो कमाल हैं. रुक्मिणी वसंत को फर्स्ट हाफ में देखकर लगा कि इन्हें क्यों लिया गया लेकिन सेकेंड हाफ में वो ये साबित कर देती हैं. क्लाइमैक्स में उनका काम कमाल है. गुलशन देवैया पर ये किरदार सूट नहीं किया, वो कमाल एक्टर हैं लेकिन यहां वो गच्चा खा गए. जयराम ने शानदार काम किया है खासतौर पर क्लाइमैक्स में वो जबरदस्त हैं.
म्यूजिक
B Ajaneesh loknath का म्यूजिक जबरदस्त है. बीजीएम भी बढ़िया है. फिल्म के फील के हिसाब से दिया गया है. कहीं कहीं लाउड है लेकिन वो जस्टिफाइड है.
कुल मिलाकर ये फिल्म शानदार विजुअल्स के लिए देखी जा सकती है लेकिन ना तो ये मास्टरपीस है और ना ही इसमें बॉलीवुड को शर्म आने वाली कोई बात है.
रेटिंग- 3.5 स्टार्स

























