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पॉपुलर टूरिस्ट डेस्टिनेशन 'उत्तराखंड' में आने वाले समय में बढ़ेंगी भूस्खलन की घटनाएं, जानें क्यों?
अगर जमीन का इस्तेमाल मौजूदा समय के मुताबिक बदलता रहेगा तो हम आने वाले समय में लैंडस्लाइड में वृद्धि देखेंगे.
![पॉपुलर टूरिस्ट डेस्टिनेशन 'उत्तराखंड' में आने वाले समय में बढ़ेंगी भूस्खलन की घटनाएं, जानें क्यों? Uttarakhand Highway Stretch May Increase Risk Of Landslides In Future पॉपुलर टूरिस्ट डेस्टिनेशन 'उत्तराखंड' में आने वाले समय में बढ़ेंगी भूस्खलन की घटनाएं, जानें क्यों?](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/01/17/2c2b352f290ad31f0a4f01f3026a86081673967759696635_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
उत्तराखंड के जोशीमठ से लेकर ऋषिकेश के मध्य तक वनस्पति के लगाटार कटने और पहाड़ों के ढलानों के अनस्टेबल होने की वजह से हाईवे का ये हिस्सा कमजोर पड़ गया है. साइंटिस्ट का कहना है कि यहां भूस्खलनों के मामलों में बढ़ोतरी होने की संभावना है. साइंटिस्ट ने NH-7 पर 247KM लंबे हाईवे के लिए हर किलोमीटर पर 1.25 बार एवलांच आने का खतरा जताया है. यह स्टडी भूस्खलनों के सिस्टमैटिक सर्वे और स्टैटिकल मॉडल पर बेस्ड है. इसका उद्देश्य हाई स्पेशियल रेजोल्यूशन में NH-7 पर भूस्खलन की संवेदनशीलता के बारे में पता लगाना है.
न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2022 में सितंबर और अक्टूबर में ज्यादा बारिश के बाद इस कोरिडोर पर 300 से ज्यादा लैंडस्लाइड्स की लिस्ट पर बेस्ड स्टडी में बड़ी घटनाओं को कंट्रोल करने वाले मुख्य कारकों की पहचान की गई है. जर्मनी के पोट्सडैम यूनिवर्सिटी में एनवायरमेंटल साइंस और जियोग्राफी इंस्टीट्यूट के साइंटिस्ट और इस स्टडी के ऑथर जर्गन ने कहा कि सबसे ज्यादा लैंडस्लाइड यानी भूस्खलन लिथोजोन-2 के अंदर ऋषिकेश और श्रीनगर के बीच एवं लिथोजोन-1 के तहत पीपलकोटी और जोशीमठ के मध्य हुए. लिथोजोन एक जैसे शैल लक्षण की चट्टानें होती हैं. उत्तराखंड के ज्योग्राफिकल मैप से शैल लक्षण की रिग्रुपिंग की.
चट्टानें बारिश के लिहाज से कमजोर
भारत के पंजाब राज्य के रोपड़ में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के सिविल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर रीत कमल तिवारी ने कहा कि ये चट्टानें ज्यादा बारिश के लिहाज से काफी कमजोर हैं. हालांकि हिमालय के कई क्षेत्र में ऐसे ही पहलू हैं. यही वजह है कि ऐसे हिस्सों को नजरअंदाज करना थोड़ा मुश्किल है. लेकिन स्टेबिलिटी के सही तरीकों के जरिए ऐसे ढलानों को सेफ बनाया जा सकता हैं. स्टडी में यह भी कहा गया है कि टेक्टोनिक एक्टिविटी ने मोड़ बनाकर चट्टानों की मजबूती को कमजोर करने का काम किया है. इस अध्ययन के मुताबिक, वनस्पतियों को हटाकर और मिट्टी एवं चट्टानों को काटकर सड़कों को चौड़ा किया गया, जिससे ढलान अनस्टेबल हो गए.
भविष्य में लैंडस्लाइड के बढ़ेंगी घटनाएं
उन्होंने कहा कि अगर जमीन का इस्तेमाल मौजूदा समय के मुताबिक बदलता रहेगा तो हम आने वाले समय में लैंडस्लाइड में वृद्धि देखेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि अगर भारी बारिश की घटनाएं ऐसे ही जारी रहेंगी तो हिमालय के क्षेत्रों में भूस्खलन की कई घटनाएं देखने को मिलेंगी. इसके चलते भारी नुकसान होने और लोगों के मरने की आशंका बढ़ सकती है.
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