Mahabharat: पांडवों की जान बचाने को श्रीकृष्ण ने द्रौपदी से कराया था ये काम, झेलना पड़ा भीष्म का प्रकोप
Mahabharat: महाभारत काल में श्रीकृष्णजी की कुछ युक्तियां पांडवों को हार से बचाने के लिए कारगर साबित हुईं. आइए जानते हैं, भीष्म से द्रौपदी को जबरन आशीर्वाद दिलाने की रोचक कहानी.
Mahabharat: महाभारत युद्ध में अर्जुन के संहार से डरे दुर्योधन ने भीष्म पितामह पर पांडवों के प्रति प्रेम के चलते वध नहीं किए जाने का आरोप जड़ दिए. ऐसे आरोपों से आक्रोशित भीष्म ने दुर्योधन को मंत्र पढ़कर पांच सोने के तीर देकर कहते हैं कि इन्हीं बाण से पांडवों का अंत कर देंगे. दुर्योधन पांचों तीर अपने पास रख लेते हैं. इस बीच श्रीकृष्ण को इसका पता वला तो वो अर्जुन को दुर्योधन के पास भेज देते हैं.
मान्यता है कि एक बार गंधर्वों के साथ युद्ध में अर्जुन ने दुर्योधन की जान बचाई थी तो दुर्योधन ने वचन दिया था कि वो उससे कुछ भी मांग सकता है. इस पर कृष्ण ने अर्जुन को दुर्योधन से पांचों सोने के तीर मांग लेने को कहा, जिसे दुर्योधन ने बिना हिचक दे दिए. इस पर भीष्म दुर्योधन पर भड़क गए. दुर्योंधन के और ऐसे तीर तैयार करने के आग्रह को ठुकरा दिया. मगर दुर्योधन से यह वादा करते हैं कि वो पांचों पांडवों को मारकर द्रौपदी को विधवा कर देंगे.
इसका पता कृष्ण को लगा तो वो द्रौपदी को भीष्म के पास जाकर पैर छूने का आदेश देते हैं, वह भी ये बताए कि वो कौन है. द्रौपदी ऐसा ही करती है. इस पर भीष्म उन्हें सदा सुहागन और लंबी आयु का आशीर्वाद देते हैं. मगर जब पितामह को सच का पता चलता है तो वो कृष्ण से नाराज हो जाते हैं. तब कृष्ण उन्हें आश्वात करते हैं कि अगर आपका वचन मेरी वजह से टूटा तो मेरा वचन भी आपकी वजह से टूटेगा.
इसके बाद अगले दिन युद्ध में नाराज भीष्म अर्जुन का वध करने के लिए युद्ध शुरू कर देते हैं. भीष्म के पराक्रम के आगे अर्जुन निढाल होकर गिर जाते हैं. इस पर श्री कृष्ण रथ का टूटा पहिया उठाकर भीष्म को मारने बढ़ते हैं, मगर अर्जुन उन्हें उनकी शस्त्र नहीं उठाने की प्रतिज्ञा की याद दिलाकर रोक लेते हैं. इस बीच भीष्म रथ से गिरकर तीरों पर गिर जाते हैं, फिर भी कृष्ण सुदर्शन उठा लेते हैं. इस तरह श्रीकृष्ण का वचन भी भीष्म के चलते टूट जाता है.
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