Ganpati 21 Durva Significance: गणपति को 21 दूर्वा चढ़ाने का रहस्य! जानें विघ्न दूर करने और जीवन में खुशहाली पाने का अचूक उपाय
21 Durva Importance: गणेश जी की मोदक के अलावा दूर्वा भी काफी पसंद है. उनसे जुड़े हर धार्मिक कार्यों में उन्हें 21 दूर्वा अर्पित की जाती है. जानते हैं गणपति जी को 21 दूर्वा ही क्यों अर्पित करते हैं?

Ganpati 21 Durva Significance: भगवान गणेश को मोदक की तरह दूर्वा भी काफी प्रिय है. इस बात का वर्णन शास्त्रों में भी देखने को मिलता है कि गणपति जी को दूर्वा से शीघ्र प्रसन्न किया जा सकता है. मान्यताओं के मुताबिक बप्पा को 21 दूर्वा अर्पित करने से सभी तरह की विघ्न-बाधाएं दूर होती है.
दूर्वा का शीतल प्रभाव गणेश जी के उग्र स्वरूप को शांत करता है. आइए जानते हैं गणेश जी को 21 दूर्वा क्यों चढ़ाया जाता है और इसका क्या महत्व है?
गणेश जी को 21 दूर्वा क्यों अर्पित की जाती है?
भगवान गणेश को 21 दूर्वा चढ़ाने की परंपरा के पीछे पौराणिक और धार्मिक मान्यताएं हैं. माना जाता है कि एक बार गणेश जी ने अनलासुर नामक राक्षस को निगल लिया था. उसके तेज के कारण गणपति महाराज का पेट जलने लगा था. तब ऋषियों ने उन्हें दूर्वा खाने को दी, जिससे उनका पेट शांत हो गया.
माना जाता है कि इस घटना के बाद से ही गणेश जी को दूर्वा प्रिय हो गई. बात की जाएं दूर्वा के 21 संख्या की तो यह शरीर के तीन तत्वों सत्त्व,रज और तम के 7-7 गुणों का प्रतीक है. इस वजह से उन्हें दूर्वा अर्पित की जाती है. 21 दूर्वा अर्पित करने से जीवन में सभी तरह की समस्याओं से छुटकारा मिलने के साथ सभी दोषों से छुटकारा मिलता है.
21 दूर्वा का महत्व
- एकाग्रता मन को एकाग्र करने में सहायता
- द्वैत, बलिदान, सुख और दुख का प्रतीक
- तीसरी दूर्वा सत्व (ज्ञान), रज (इच्छा) और तम (आलस्य) पर नियंत्रण
- चतुर्वेद उपासना और ज्ञान प्राप्ति की दिशा में
- पांच तत्वों का बोध जिसमें पृथ्वी, अपा, अग्नि, वायु और आकाश का संतुलन
- मूलाधार से आज्ञा चक्र तक छह चक्र को जागृत कर ऊर्जा प्रवाह का निर्माण करना
- सप्तधातु शुद्धि शरीर में सात धातुओं की शुद्धता
- आठ दिशाओं में सुरक्षा
- नवग्रह शांति ग्रह दोष निवारण
- दसों दिशाओं में नकारात्मक ऊर्जा का नाश
- ग्यारहवां रुद्र तत्व जागृत रुद्र तेज
- बारह आदित्य तेज जागरण सूर्य की विभिन्न शक्तियां और विशेषताएं
- तेरहवें मृत्यु तत्व पर विजय
- चौदहवें दिन मन के भय पर विजय पाना
- पूर्णिमा समृद्धि और शांति की प्राप्ति
- सोलह संस्कार जागृति जीवन में महत्वपूर्ण संस्कार जागृत करना
- ऋषियों के मार्ग की सप्तर्षि स्मरण स्मृति
- आठ सिद्धियों की प्राप्ति
- नवविधा भक्ति का अध्ययन
- विश्वरूप दर्शन हेतु योग्यताएं
- पूर्ण समर्पण 'आप ही सब कुछ हैं' की भावना से परिपूर्णता
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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