Sawan 2025: जलाभिषेक और रुद्राभिषेक में है ये बड़ा अंतर, लेकिन 99% लोग नहीं जानते
Sawan 2025 Jalabhishek vs Rudrabhishek: सावन में रुद्राभिषेक कराना लाभकारी होता है. लेकिन कई लोग रुद्राभिषेक और जलाभिषेक को एक ही समझते हैं, जबकि दोनों में बड़ा अंतर है. दोनों की विधि, पूजा सामग्री और महत्व में भी अंतर होता है.

शुभ और पवित्र सावन या श्रावण महीने की शुरुआत 11 जुलाई 2025 से होने वाली है. सावन का महीना भगवान शिव का प्रिय महीना होता है. साथ ही धार्मिक दृष्टिकोण से भी या महीना बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. सावन के पूरे महीने लोग शिवजी की उपासना करते हैं. इस दौरान व्रत, उपवास और कावड़ यात्रा का सिलसिला भी चलता है.
जलाभिषेक और रुद्राभिषेक भी सावन में किए जाते हैं. मान्यता है कि सावन में किए रुद्राभिषेक से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं. वहीं कुछ लोग सावन में जलाभिषेक भी करते हैं. कई लोग रुद्राभिषेक और जलाभिषेक को एक ही समझने की गलती कर देते हैं, जबकि दोनों अलग है और दोनों में खास अंतर भी होता है. साथ ही दोनों के महत्व और नियम में भी अंतर होता है. आइए जानते हैं रुद्राभिषेक और जलाभिषेक में क्या अंतर है?
रुद्राभिषेक और जलाभिषेक में अंतर (difference between jalabhishek and rudrabhishek)
जलाभिषेक क्या है- जलाभिषेक का सामान्य अर्थ होता है ‘जल से अभिषेक करना’. पूजा-पाठ के दौरान देवताओं की मूर्तियों में पवित्र जल अर्पित करने की विधि को जलाभिषेक कहते हैं. यह एक विशेष धार्मिक अनुष्ठान होता है. शिवलिंग में जल चढ़ाने को भी जलाभिषेक कहते हैं. शिवलिंग को शीतलता प्रदान कराने के लिए मुख्य रूप से पूजा के दौरान जलाभिषेक किया जाता है जोकि शिव पूजन का महत्वपूर्व अंग होता है. लेकिन रुद्राभिषेक की विधि काफी अलग होती है.
रुद्राभिषेक क्या है- रुद्राभिषेक शिवलिंग पूजन का एक हिस्सा होता है. इसमें पांच द्रव्यों से ब्राह्मणों के द्वारा वेद-मंत्रों के उच्चारण के साथ शिवलिंग स्नान कराया जाता है. इसे रुद्राभिषेक कहते हैं. कई लोग सावन में महारुद्राभिषेक भी कराते हैं. आमतौर पर नवग्रहों की शांति, रोग से छुटकारा, संतान प्राप्ति या मनोकामना पूर्ति के लिए रुद्राभिषेक कराया जाता है. अगर घर पर रुद्राभिषेक करा रहे हैं तो, सबसे पहले उत्तर दिशा में शिवलिंग स्थापना करनी होती है और पूर्व दिशा को ओर मुख करके रुद्राभिषेक किया जाता है.
इन बातो का रखें ध्यान
- रुद्राभिषेक या जलाभिषेक में तुलसी पत्ते का इस्तेमाल न करें.
- रुद्राभिषेक शांत-चित्त मन और एकाग्रता के साथ करें. भक्तों को आपस में बातचीत करने से बचना चाहिए.
- रुद्राभिषेक के दौरान मंत्रों का उच्चारण गलत तरीके से न करें.
- रुद्राभिषेक यदि जल से कर रहे हैं तो उसके लिए तांबे के बर्तन का ही प्रयोग करें.
- रुद्राभिषेक के दौरान रुद्राष्टाध्यायी के मंत्रों का जाप करना फलदायी साबित होता है.
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