सफलता की कुंजी : सबसे बड़ी डिजायनर है नेचर, चारों ओर बिखरे हैं अनोखे मॉडल
मनुष्य प्रकृति से सीखता है. संवरता है. सृजन की प्रेरणा लेता है. प्रकृति व्यक्ति की सफलता का सबसे जीवंत माध्यम है. प्रकृति की झोली में आर्ट और साइंस से जु़ड़े लोगों के लिए हर प्रकार के डिजाइन मौजूद हैं.

सफलता सहज बात है. प्रकृति ने सभी को समान संसाधन उपलब्ध कराए हैं. उसके जीवंत दृश्यों में अनोखे मॉडल मौजूद हैं. उसके अद्भुत आकारों में कल्पनाओं और सृजन के रंग भरकर व्यक्ति किसी भी देश काल और परिस्थिति में सफल होता आया है. आज भी वह सरलता से उपलब्धि अर्जित करता है.
भीमकाय हाथी से लेकर लघुत्तम कीटादि तक इंजीनियरिंग के अद्भुत नमूनों की झलक देते हैं. सेव, संतरे, तरबूज, खरबूज आदि से प्रारंभिक मानव में घड़े की कल्पना का साकार किया. खास प्रकार की मछली के आकार के टॉरपीडो समंदर में मीलों चुपचाप आगे बढ़ जाते हैं. आकाश में गर्जना करते जेट विमान पक्षियों से प्रेरित नजर आते हैं.
‘यत् पिंडे तत् ब्रह्मांडे‘ वेद वाक्य हमें प्रकृति से गहरे जुड़ाव और शिक्षा की प्रेरणा देता है. प्राचीन काल के लगभग सभी यंत्र प्रकृति में उपलब्ध आकारों से प्रेरित हैं. फिर चाहे किसान का हल हो या बच्चे का झूला. आकार और सृजन की सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उसे प्रकृति से सहजता से सामंजस्य स्थापित कर लेना होता है. इसके लिए प्रकृति की ओर रुख करना अनिवार्य हो जाता है.
अभिप्राय यह है कि व्यक्ति किसी से क्षेत्र से संबंधित कार्य करता हो उसे प्रकृति पर उत्सुकता से भरी नजर बनाए रखनी चाहिए. ऐसा कोई यंत्र दुनिया में अब तक नहीं बना है जो प्रकृति की कलाकृति में पूर्व से उपलब्ध न हो. कवि चित्रकार साहित्यकार जैसे विशुद्ध कल्पनाशीलता के वाहक भी प्रकृति पर गहरे निर्भर होते हैं. तितलियों के पंखों में उकरे रंग से लेकर इंद्रधनुष तक हमें नित्य प्रति सुझाते रहते हैं.
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