Mahima Shani dev Ki: शनिदेव को मां संध्या की सच्चाई बताकर इंद्र ने लिया बदला
Mahima Shani dev Ki: शनिदेव को सूर्यलोक से बहिष्कृत करवाकर अपने अधीन करने के प्रयास में लगे इंद्र को इसकी कीमत अपना पद और सिंहासन खोकर चुकानी पड़ी.

Mahima Shani dev Ki: सूर्यदेव के सामने अपने अपहरण की बात से पहले इनकार कर चुकी मां संध्या भगवान विश्वकर्मा की शर्त पर निरुत्तर हो गईं. अपने पुत्र यम की झूठी सौगंध खाने में असमर्थ संध्या ने यम की जान बचाने के लिए भरी सभा में इंद्र की साजिश का पर्दाफाश कर दिया, जिसके बाद शनिदेव की शर्त अनुसार इंद्र से उनका देवराज का पद और सिंहासन छीन लिया गया. इससे बदले की आग में झुलस रहे इंद्र ने सौगंध ले डाली कि वह अब शनिदेव के जीवन में इतने दुख भर देंगे कि वह खुद इंद्र के अधीन हो जाएंगे या खुद पृथ्वी पर चले जाएंगे.
इंद्र ने एक तीर से किए दो शिकार
एक दिन सूर्यलोक के जंगल में शनि से मिलने पहुंचे इंद्र ने बताया कि जरा विचार करें शनि कि आखिर मां संध्या अपनी लोरिया, महल के कक्ष और जिंदगी भर तक शनि को जिस जंगल में रखकर पाला, उसका रास्ता भूल जा रही हैं, इसकी वजह ये है कि वह शनिदेव की वास्तविक मां हैं ही नहीं, वो सिर्फ यम और यमी की माता हैं. यह सुनकर शनिदेव अपने आपे से बाहर हो गए और इंद्र को चेतावनी दे डाली कि वह अंतिम बार उन्हें माफ कर रहे हैं, अन्यथा अगली बार अपने प्राण गंवा बैठेंगे. यह सुनकर कुटिलता से मानमुहार करते हुए इंद्र ने चुनौती स्वीकार कर ली. इंद्र ने चुनौती दी कि जिस तरह दोषी पाए जाने पर इंद्र से उनका पद और सिंहासन छीन लिया गया, उसके क्रम में वह अपनी मां के झूठे निकलने पर क्या न्याय करेंगे.
शनि का न्याय के साथ खड़े होना अभ्यास है और नियति भी
शनिदेव ने इंद्र की चुनौती को स्वीकार कर चेताया कि अगर इंद्र की कही गई बात सही निकली तो शनि अपने न्याय के सिद्धांत से पीछे नहीं हटेंगे. वह खुद मां या किसी भी संबंधों से विरक्त हो जाएंगे. साथ ही इंद्र की बात झूठी निकाली तो शिन के दिव्यदंड का प्रहार भी सहना होगा. शनिदेव ने दोहराया कि अगर इंद्र की बातें सही निकलीं तो शनि का न्याय के साथ खड़े होना उनका अभ्यास भी है और नियति भी.
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Source: IOCL





















