अयोध्या में कोरियाई रानी की मूर्ति का अनावरण, भारत-कोरिया के अटूट रिश्ते की निशानी!
अयोध्या में कोरियाई रानी ह्वांग-ओक की कांस्य (Bronze) की मूर्ति का अनावरण हुआ है. रानी जिन्हें भारतीय संस्कृति और बौद्ध धर्म के अमूल्य ज्ञान को समुद्र पार ले जाने का श्रेय दिया जाता है.

Bronze statue of Korean Queen in Ayodhya: उत्तर प्रदेश स्थित अयोध्या ने अपने ऐतिहासिक वृत्तांत में एक और नया अध्याय जोड़ लिया है, जो भारत की सीमाओं से भी कहीं आगे तक फैला है.
अयोध्या में कोरियाई रानी ह्वांग-ओक की कांस्य (Bronze) की मूर्ति का अनावरण हुआ है, जो उस पौराणिक किंवदंती का सम्मान करती है जो इस मंदिर नगर को कोरिया के प्राचीन इतिहास और उन लोगों से जोड़ती है, जो मानते हैं कि वे उनकी वंशज है.
भारत की राजकुमारी जो कोरियाई रानी बनी
कई दक्षिण कोरियाई लोगों के लिए अयोध्या मात्र पौराणिक कथाओं तक ही सीमित नहीं है, वे इसे राजकुमारी सुरिरत्ना का जन्म स्थान मानते हैं. ऐतिहासिक लोककथाओं के मुताबिक, करीब 48 ईस्वी में कोरिया की यात्रा की और प्राचीन गया साम्राज्य के संस्थापक राजा किम सूरो से शादी रचाई.
उन्हें रानी हेओ ह्वांग-ओक के की पहचान मिली और उन्हें भारतीय संस्कृति और बौद्ध धर्म के अमूल्य ज्ञान को समुद्र पार ले जाने का श्रेय दिया जाता है.
यह कहानी सामगुक युसा में देखने को मिलती है, जो किंवदंतियों और इतिहास का एक प्रसिद्ध कोरियाई संकलन है, जिसमें उनकी जन्मभूमि को आयुता बताया गया है.
बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक कुछ चीनी भाषा अभिलेखों में बताया गया है कि, अयोध्या के राजा ने सपना देखा कि, उनकी पुत्री का विवाह राजा सूरो से होना चाहिए. इसी वजह से उन्होंने युवा राजकुमारी समुद्र की यात्रा पर भेज दिया.
किंवदंती के माने तो शाही दंपति दीर्घायु होने के साथ बुद्धिमानी से राज्य पर शासन किया और करक वंश के पूर्वज बने, जिनके सदस्य आज भी उनसे अपनी वंशावली को जोड़ते हैं.
A bronze statue of Korean queen Heo Hwang-ok has been unveiled in city of her birth Ayodhya.
— News Arena India (@NewsArenaIndia) December 25, 2025
Princess Suriratna travelled by boat around 48 AD to marry King Suro, founder of Korea's Gaya kingdom.
She is credited with bringing Indian culture and Buddhism, and today millions of… pic.twitter.com/lB8cgqxUqe
इस तथ्य पर कोई पुख्ता सबूत नहीं
मानवविज्ञानी किम ब्युंग-मो ने एक बार तर्क पेश किया था कि, आयुता असल अयोध्या हो सकती है, हालांकि इतिहासकारों ने कहा कि, राजकुमारी के अस्तित्व का कोई सख्त प्रमाण नहीं है.
अयोध्या में दी गई यह प्रतिमा पहली श्रद्धांजलि नहीं है. रानी हेओ ह्वांग-ओक को समर्पित एक मूर्ति साल 2001 में उत्तर प्रदेश और कोरिया के गिम्हे शहर की साझेदारी से स्थापित किया गया था.
लेकिन बाद में साल 2015 में इसका पुनर्निमाण किया गया. हर वर्ष, करक वंश के सदस्य यहां आते हैं और इस स्थान को भारत और कोरिया के बीच मिलन स्थल और संबंध को याद दिलाते हैं.
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