Gupt Daan: शास्त्रों में बताए गुप्त दान का महत्व भूलते जा रहे लोग, अब दान मतलब कैमरा ऑन
Gupt Daan Benefits: शास्त्रों में गुप्त दान को अक्षय पुण्य के समान माना गया है. हालांकि आजकल लोग इसकी महत्ता को भूलते जा रहे हैं. आज के समय में गुप्त दान का मतलब है कैमरा ऑन. लेकिन क्या ये सही है?

Gupt Daan Benefits: भागवत पुराण, अग्नि पुराण, महाभारत और मनुस्मृति समेत लगभग सभी धर्म शास्त्रों में गुप्त दान का महत्व बताया गया है. गुप्त दान का अर्थ होता है, ऐसा दान जोकि दाएं हाथ से किसी को दिया जाए तो बाएं हाथ को भी पता न चले. इसलिए गुप्त दान पुण्य फल देने वाला होता है. शास्त्रों में तो गुप्त दान को अक्षय पुण्य के समान माना गया है.
हिंदू धर्म में दान को पुण्य, करुणा और आत्मशुद्धि का सबसे बड़ा साधन माना जाता है. आइए जानते हैं जिस गुप्त दान को शास्त्र में श्रेष्ठ और सर्वोच्च बताया गया है, वह आज के डिजिटल और सोशल मीडिया के दौर में कितना फॉलो किया जा रहा है.
दान का साधारण अर्थ है कि, जिस वस्तु का आप दान कर रहे हैं उस वस्तु पर से आपका अधिकार अब समाप्त हो चुका है. धर्म शास्त्रों और पौराणिक कथाओं में हमने कई दानवीरों के किस्से-कहानियों को सुना है. लेकिन सवाल यह है कि, क्या सच में आज के आधुनिक समय में गुप्त दान का महत्व लोग समझ रहे हैं और इसे निभा रहे हैं. इसका जवाब हां भी है और नहीं भी. आज भी कई लोग हैं जो मंदिर आदि जैसे धार्मिक स्थलों पर गुप्त दान करते हैं, गरीबों को भोजन दान करते है, लेकिन सभी नहीं..
भगवद गीता के अनुसार- जो दान कर्तव्य समझकर बिना किसी फल या इच्छा के, उचित समय, उचित स्थान और योग्य पात्र को दिया जाए, वही सात्त्विक दान है.
भगवत गीता में बताए इसी सात्त्विक दान का सबसे शुद्ध रूप से गुप्त दान माना गया है. जिसमें दान देने वाले में अहंकार नहीं सिर्फ करुणा हो. लेकिन धीरे-धीरे इसे भुलाया जा रहा है. आज स्थिति यह है कि पशु हो या गरीब हो या कोई जरूरतमंद, लोग उनकी मदद करने से पहले कैमरा ऑन करना नहीं भूलते. इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि, आज के आधुनिक समय में गाय और गरीब को लोग दिखावे की रोटी दे रहे हैं.
जबकि शास्त्रों के लिए अनुसार गुप्त दान का अर्थ ऐसा दान है जिसे, सार्वजनिक न किया जाए, न ही दान पाने वाला अपमानित हो और न ही समाज में उसका प्रचार हो. गरुड़ पुराण और मनु स्मृति जैसे धर्म ग्रथों के अनुसार, जो दान दिखावा, प्रसिद्धि या स्वार्थ से किया जाता है, उसका पुण्यफल क्षीण हो जाता है.
बदलते दौर में बदलती दान की रूपरेखा
सोशल मीडिया के समय में भले ही गुप्त दान का महत्व बदलता या यूं कहें कि लुप्त होता रहा है. लेकिन दान के प्रति लोगों को प्रेरित भी किया जा रहा है, जिससे कई लोग बढ़ चढ़क मदद करने के लिए आगे भी आते हैं. सोशल मीडिया एक रोटी गाय के नाम या गरीब को भोजन जैसे मुहीम की शुरुआत कर वीडियो वायरल होते हैं, जिसमें लोग मदद करने के लिए आगे भी आते हैं. लेकिन इसे गुप्त दान नहीं कहा जा सकता है. हालांकि दान का पुण्यफल किसी न किसी रूप में जरूर मिलता है.
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