हिंदू धर्म में प्याज-लहसुन खाना क्यों माना? जानिए इसके पीछे की पौराणिक कथा और धार्मिक मान्यताएं!
Onion And Garlic: हिंदू धर्म में प्याज और लहसुन को क्यों तामसिक भोजन की श्रेणी में रखा जाता है? क्यों किसी भी देवी-देवताओं को भोग में प्याज-लहसुन नहीं लगता? जानिए इसके पीछे का आध्यात्मिक कारण.

Onion and garlic prohibited Hinduism: लहसुन-प्याज न खाने के कई धार्मिक, आयुर्वेदिक और शारीरिक कारण हैं. इन्हें तामसिक भोजन माना जाता है, जो उत्तेजना, आलस्य और क्रोध बढ़ा सकते हैं, जबकि कुछ लोगों को इनसे पाचन संबंधी समस्याएं या एलर्जी भी हो सकती है.
धार्मिक कार्यों और व्रतों में इन्हें वर्जित माना गया है, वहीं आयुर्वेद भी इनसे बचने की सलाह देता है, हालांकि ये सबके लिए आवश्यक नहीं हैं.
हिंदू धर्म में लहसुन और प्याज क्यों वर्जित?
प्याज और लहसुन को राजसिक तामसिक भोजन माना गया है. इसलिए ये ध्यान, साधना और पूजा करने वालों के लिए वर्जित हैं. प्याज लहसुन को देवताओं को भोग नहीं लगाया जाता, न ही इनका प्रयोग हवन, यज्ञ, पूजन आदि में होता है.
स्कंद पुराण और मनुस्मृति जैसे ग्रंथों में कहा गया है कि, तामसिक भोजन आध्यात्मिक पतन का कारण बनता है.
लहसुन और प्याज को अशुद्ध क्यों माना जाता है?
अमृत से पैदा होने के कारण लहसुन में रोग नाशक और जीवनदायिनी गुण हैं. लेकिन वह राक्षस के रक्त से निकला है, इसलिए उसमें तामसिक गुणों का समावेश हो गया है, जो उत्तेजना, क्रोध, हिंसा, अशांति और पाप को बढ़ावा देता है. इसी के कारण लहसुन और प्याज को अशुद्ध और तामसिक माना गया है.
लहसुन प्याज न खाने के धार्मिक और आध्यात्मिक कारण
- तामसिक गुण: शास्त्रों में प्याज-लहसुन को तामसिक भोजन की श्रेणी में रखा गया है, जो मानसिक अशांति, आलस्य, और काम वासना को बढ़ाते हैं.
- धार्मिक अनुष्ठानों में वर्जित: इन्हें पूजा-पाठ और विशेष व्रतों में नहीं खाया जाता है, क्योंकि ये नकारात्मक ऊर्जा और अशांति पैदा कर सकते हैं.
- योगियों का परहेज: ध्यान और आध्यात्मिक मार्ग पर चलने वाले योगी इनसे परहेज करते हैं, क्योंकि ये इंद्रियों को उत्तेजित करते हैं और शांत मन में बाधा डालते हैं.
- साधना में बाधा: ये गुण ध्यान, प्राणायाम और पूजा के लिए आवश्यक एकाग्रता और शांत मन को बाधित करते हैं, जिससे आध्यात्मिक मार्ग पर चलना कठिन हो जाता है.
पौराणिक कथा
एक कथा के अनुसार, अमृत पान कर रहे राहु और केतु का भगवान विष्णु ने सिर काट दिया था. उनके कटे सिर से गिरी रक्त की बूंदों से प्याज और लहसुन उत्पन्न हुए. इस प्रकार, इन्हें राक्षस के अंश से उपजा हुआ और अपवित्र माना जाता है.
- सात्विक आहार का महत्व: व्रत और धार्मिक कार्यों का उद्देश्य मन और शरीर की शुद्धि करना होता है. इसलिए, इस दौरान सात्विक भोजन, जैसे फल, दही, और अनाज का सेवन किया जाता है, जो शरीर को हल्का रखता है और मन को स्थिर.
- हवन और पूजन में निषेध: अपनी तामसिक प्रकृति के कारण, प्याज और लहसुन को देवताओं को भोग नहीं लगाया जाता और न ही इनका प्रयोग हवन, यज्ञ या पूजन आदि में किया जाता है.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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