Durga Navami 2025 Highlights: चैत्र नवरात्रि की दुर्गा नवमी आज, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त, विधि और महत्व
Durga Navami 2025 Highlights: चैत्र नवरात्रि की महानवमी आज मनाई जा रही है. देशभर में इस दिन को बहुत धूम-धाम से मनाया जाता है. इस दिन मां दुर्गा के आखिरी स्वरुप मां सिद्धिदात्री की आराधना की जाती है.

Background
Durga Navami 2025 Highlights: चैत्र नवरात्रि का पावन पर्व पूरे देश में आज मनाया जा रहा है. दुर्गा नवमी को श्रृद्धालु श्रद्धा और भक्ति भाव से मनाते हैं. साल 2025 में नवमी 6 अप्रैल 2025, रविवार को मनाई जाएगी. नवरात्रि का समापन नवमी तिथि पर होता है. इस दिन कन्या पूजन किया जाता है. नवरात्रि के 9 दिन के व्रत का पारण नवमी तिथि को होता है. पूरी श्रद्धा के साथ व्रत करने के बाद पूर्ण फल की प्राप्ति चाहते हैं तो व्रत खोलते समय कुछ खास नियमों का ध्यान रखें.
इस बार नवमी तिथि 5 अप्रैल 2025 की रात 7 बजकर 25 मिनट से शुरू होकर 6 अप्रैल 2025 की रात 7 बजकर 21 मिनट तक रहेगी. ऐसे में 6 अप्रैल को राम नवमी मनाई जाएगी. इस दिन माता रानी की विशेष पूजा के साथ-साथ कन्या पूजन और व्रत का पारण करना बहुत शुभ माना जाता है.
मां सिद्धिदात्री का स्वरूप और महिमा
नवरात्रि की नवमी तिथि पर मां दुर्गा के नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है. इन्हें सभी प्रकार की सिद्धियां और शुभ फल प्रदान करने वाली देवी कहा जाता है. मां सिद्धिदात्री के चार हाथ होते हैं. वे शंख, चक्र, गदा और कमल पुष्प धारण करती हैं. उनका वाहन सिंह है और वे कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं. ऐसी मान्यता है कि मां सिद्धिदात्री की पूजा से भक्तों को सिद्धि, धन-संपत्ति, सुख-शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि (Pujan Vidhi)
- प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें.
- पूजा स्थल को साफ कर मां सिद्धिदात्री की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें.
- दीपक, अगरबत्ती जलाएं और फूल चढ़ाएं.
- मां को तिल और मेवे से बने पकवानों का भोग लगाएं.
- मां के मंत्रों का जप करें और ध्यान लगाएं.
- अंत में मां की आरती करें और प्रसाद सब में बांटें.
आरती भगवान श्री रामचंद्रजी की (Shri Ram Ji Ki Aarti)
श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भव भय दारुणम्।
नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम्।।
कंदर्प अगणित अमित छवी नव नील नीरज सुन्दरम्।
पट्पीत मानहु तडित रूचि शुचि नौमी जनक सुतावरम्।।
भजु दीन बंधु दिनेश दानव दैत्य वंश निकंदनम्।
रघुनंद आनंद कंद कौशल चंद दशरथ नन्दनम्।।
सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदारू अंग विभूषणं।
आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खर-धूषणं।।
इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनम्।
मम ह्रदय कुंज निवास कुरु कामादी खल दल गंजनम्।।
मनु जाहिं राचेऊ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सावरों।
करुना निधान सुजान सिलू सनेहू जानत रावरो।।
एही भांती गौरी असीस सुनी सिय सहित हिय हरषी अली।
तुलसी भवानी पूजि पूनी पूनी मुदित मन मंदिर चली।।
दोहा- जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि।
मंजुल मंगल मूल वाम अंग फरकन लगे।।
बोलो – जय श्रीराम, जय श्रीराम, सीता माता की जय, भगवान राम की जय
अयोध्या में रामलला की विशेष पूजा-अर्चना (Ram Navami 2025)
आज पूरे देश में भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव की भव्य धूम देखने को मिल रही है. श्रीराम नवमी के इस पावन अवसर पर श्रद्धालु बड़े ही उत्साह और आस्था के साथ भगवान राम की पूजा-अर्चना कर रहे हैं. अयोध्या धाम में रामलला के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी है.
विशेष बात यह है कि आज दोपहर 12 बजे भगवान रामलला के ललाट पर सूर्य की किरणों से अलौकिक तिलक (सूर्य अभिषेक) किया जाएगा. इसे सूर्य तिलक या सूर्य किरणों द्वारा तिलक कहा जाता है. यह सूर्य तिलक एक अद्भुत ज्योतिविज्ञान और वास्तुशिल्प का उदाहरण है, जिसमें विशेष तकनीक से सूर्य की किरणें रामलला के माथे पर पड़ेंगी और उनके ललाट को स्वर्णिम आभा से चमका देंगी. भक्तों के लिए यह क्षण बेहद दिव्य और भावपूर्ण होगा. इस ऐतिहासिक दृश्य को देखने के लिए देशभर से लाखों श्रद्धालु अयोध्या पहुंचे हैं. भगवान श्रीराम का सूर्य तिलक उनकी दिव्यता और तेजस्विता का प्रतीक है, जिसे देखकर श्रद्धालु अपने आप को धन्य मानेंगे.
टॉप हेडलाइंस
Source: IOCL























