Ekadashi Vrat 2025: साल की आखिरी एकादशी कब 30 या 31 दिसंबर? यहां जानें पुत्रदा एकादशी व्रत की सही डेट और मुहूर्त
Ekadashi Vrat 2025: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत बहुत पवित्र माना जाता है. जानें पौष माह की पुत्रदा एकादशी संतान सुख, परिवार की खुशहाली और जीवन में अच्छे बदलाव लाने के लिए खास है.

Ekadashi Vrat 2025: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत को सबसे पवित्र और प्रभावशाली व्रतों में गिना जाता है. यह दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा के लिए समर्पित होता है.
साल भर में आने वाली 24 एकादशियों में पौष पुत्रदा एकादशी का अलग ही महत्व है. यह व्रत विशेष रूप से संतान सुख, परिवार की उन्नति और जीवन में सकारात्मक बदलाव के लिए किया जाता है. आइए जानते हैं इसका महत्व-
क्या है पुत्रदा एकादशी व्रत?
हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने में अलग-अलग तिथि को एकादशी व्रत पड़ता है. पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी कहा जाता है. इस दिन का विशेष महत्व है.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है. जिन दंपतियों को संतान सुख की प्राप्ति नहीं होती है या फिर जो संतान से जुड़ी परेशानियों की समस्याओं से घिरे हैं, उनके लिए यह व्रत काफी लाभदायक साबित होता है.
यह व्रत उन सभी के लिए विशेष है, जो संतान सुख, पारिवारिक शांति और जीवन में सकारात्मक बदलाव चाहते हैं. सरल नियमों और सच्चे मन से किया गया यह व्रत भगवान विष्णु की विशेष कृपा दिलाता है. जीवन को सुखमय बनाता है.
पारिवारिक सुख व संस्कार के लिए भी करें व्रत
पुत्रदा एकादशी केवल संतान प्राप्ति तक सीमित नहीं है. यह व्रत संतान की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य, बुद्धि और संस्कारों के लिए भी किया जाता है. कहा जाता है कि जिनके पहले से संतान है, वे इस व्रत को अपने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य और पारिवारिक सुख-शांति के लिए रखते हैं.
धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि इस दिन सच्चे मन से की गई पूजा से भगवान विष्णु शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं. यही कारण है कि यह व्रत पीढ़ियों से आस्था के साथ किया जाता रहा है.
तिथि और शुभ योग
साल 2025 में पौष पुत्रदा एकादशी का विशेष महत्व है. यह वर्ष की अंतिम एकादशी होगी. पंचांग के अनुसार, पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 30 दिसंबर 2025 को सुबह 7 बजकर 50 मिनट से शुरू होगी और 31 दिसंबर 2025 को सुबह 5 बजे समाप्त होगी.
इस बार यह व्रत दो खास शुभ योगों में पड़ रहा है. एक ओर भरणी नक्षत्र रहेगा और दूसरी ओर सिद्ध योग का संयोग बनेगा. ज्योतिष के अनुसार, यह योग पूजा, व्रत और संकल्प सिद्धि के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है.
इस योग में व्रत करने से दोगुना फल मिलता है. इस बार एकादशी तिथि दो दिनों तक रहेगी. इसलिए कुछ लोग 30 दिसंबर को और कुछ 31 दिसंबर को व्रत रखेंगे. मान्यता है कि गृहस्थ लोग पहले दिन व्रत रखते हैं, जबकि वैष्णव संप्रदाय के लोग दूसरे दिन उपवास करते हैं.
व्रत रखने की सही विधि
पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत श्रद्धा और नियम के साथ करना चाहिए. व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें. साफ वस्त्र पहनें. इसके बाद भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें. दिनभर सात्विक आचरण रखें. झूठ, क्रोध और नकारात्मक विचारों से दूर रहें.
यदि संभव हो तो फलाहार करें या केवल जल ग्रहण करें. व्रत का पारण 31 दिसंबर 2025 को किया जाएगा. पारण का शुभ समय दोपहर 1 बजकर 26 मिनट से 3 बजकर 31 मिनट तक रहेगा. पारण के समय भगवान विष्णु को भोग लगाकर व्रत खोलना शुभ माना जाता है.
संतान प्राप्ति के लिए विशेष पूजा
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले लोगों को पौष पुत्रदा एकादशी के दिन विशेष पूजा करनी चाहिए. संध्या के समय भगवान विष्णु के बाल स्वरूप श्रीकृष्ण की पूजा करें.
पूजा में पीले फूल, पीले वस्त्र, खीर और पीले रंग की मिठाई अर्पित करें. पूजा के दौरान एकादशी व्रत कथा का पाठ करें. इसके बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी से संतान सुख की प्रार्थना करें.
मान्यता है कि जो दंपति इस दिन पूर्ण श्रद्धा से पूजा करते हैं. उनकी संतान प्राप्ति की इच्छा शीघ्र पूरी होती है. कहा जाता है कि एक वर्ष के भीतर शुभ परिणाम मिल जाता है.
पुत्रदा एकादशी व्रत से मिलने वाले लाभ
पुत्रदा एकादशी का व्रत केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि मानसिक और पारिवारिक दृष्टि से भी बहुत लाभकारी माना जाता है. इस व्रत से मन को शांति मिलती है और परिवार में सकारात्मक वातावरण बनता है.
धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत को करने से घर में सुख-समृद्धि आती है. धन-धान्य की कमी नहीं रहती और जीवन की बाधाएं धीरे-धीरे दूर होती हैं. भगवान विष्णु की कृपा से जीवन में स्थिरता, विश्वास और संतोष का भाव आता है.
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