राजा भागीरथ की तपस्या से गंगा को पृथ्वी पर लाया गया था, जिससे उनके पूर्वजों को मोक्ष मिल सके। इसी कारण गंगा को मोक्षदायिनी कहा जाता है।
Asthi Visarjan: हिंदू धर्म में गंगा में ही क्यों करते है अस्थि विसर्जन? गरुड़ पुराण में मिलता है इसका जवाब!
Asthi Visarjan: सनातन धर्म में जब भी किसी की मृत्यु होती है तो उसका दाह संस्कार करने के बाद उसकी अस्थियों को गंगा नदी में विसर्जन करने की परंपरा है. मगर ऐसा क्यों है, क्या है इसके पीछे का महत्व?

Asthi Visarjan: हिंदू धर्म में जब भी किसी इंसान की मृत्यु होती है, तो उसका अंतिम संस्कार पूरे विधि-विधान से किया जाता है. यह सिर्फ एक परंपरा या रिवाज नहीं है, बल्कि सदियों से चला आ रहा एक धार्मिक अनुष्ठान है.
इसके बाद सभी रिती-रिवाज को पूरा कर अस्थियों को किसी पवित्र नदी में या खासकर के गंगा नदी में विसर्जित किया जाता है. ऐसे में कई लोगों के मन में यह सवाल आता है कि, आखिर हज़ारों सालों से लोग गंगा में अस्थियां क्यों प्रवाहित करते हैं.
गरुड़ पुराण में मिलता है जवाब
इसका उत्तर गरुड़ पुराण में मिलता है कि, किसी भी इंसान का शरीर पांच तत्वों से मिलकर बनता है- पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश. मृत्यु के बाद यह उन्हीं पांच तत्वों में विलीन हो जाता है.
जब भी अंतिम संस्कार किया जाता है तो उस शरीर को आग यानी अग्नि तत्व लोटा दी जाती है फिर तीन दिन बाद उन अस्थियों को चुनकर एक लौटे में भर लिया जाता है. इसके बाद 10 दिनों के अंदर इससे किसी पवित्र नदी या गंगा जी में विसर्जित कर देने की परंपरा है.
क्या है गंगा में अस्थि विसर्जन का महत्व?
पुराणों के मुताबिक जब भी अस्थियों का विसर्जन गंगा नदी में किया जाता है तो आत्मा मोक्ष मिलता है और यह स्वर्ग की ओर बढ़ जाती है. यह भी माना जाता है कि गंगा में अस्थियों का विसर्जन करने से व्यक्ति के किए गए पापों से मुक्ति मिलती है.
गंगा में विसर्जन करने से नहीं होता पुनर्जन्म
मान्यता है कि राजा भागीरथ अपनी कठिन तपस्या के दम पर गंगा को स्वर्ग से पृथ्वी पर लेकर आए थे. जिससे उनके पूर्वजों को मोक्ष मिल सकें. यही कारण है कि गंगा नदी को मोक्षदायिनी भी कहा जाता है. वहीं अगर अस्थि को गंगा में विसर्जित करा जाए तो ना सिर्फ स्वर्ग बल्कि ब्रह्मलोक तक की प्राप्ति होती है.
इससे आत्मा का पुनर्जन्म का चक्र भी खत्म हो जाता है और परम शांति की प्राप्ति होती है.
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Frequently Asked Questions
गंगा नदी को मोक्षदायिनी क्यों कहा जाता है?
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