गुप्त नवरात्रि की 9 रहस्यमय सिद्धियां क्या है! तंत्र-विद्या के लिए क्यों जरूरी है ये 9 दिन?
Gupt Navratri 2025: आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि आज से शुरू हो चुकी है. तंत्र-विद्या करने वाले साधकों के लिए गुप्त नवरात्रि के 9 दिन रहस्यमय सिद्धियों को प्राप्त करने का साधन है.

Gupt Navratri: आज से गुप्त नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है. ऐसे में गुप्त नवरात्रि साधना या विशेष तांत्रिक अनुष्ठान के लिए महत्वपूर्ण समय होता है. इस दौरान मां दुर्गा के 9 रूपों की पूजा-आराधना की जाती है. लेकिन गुप्त नवरात्रि के पीछे एक गहरा रहस्य भी छिपा हुआ है. जानते हैं गुप्त नवरात्रि के 9 दिनों से जुड़े 9 रहस्य क्या है?
हिंदू धर्म के अनुसार गुप्त नवरात्रि के दौरान पूजा पाठ करने से आध्यात्मिक शाक्ति मिलने के साथ मन और मस्तिष्क शांत होता है. इस दौरान ऐसे साधक जो तंत्र-विद्या करते हैं, उनके लिए गुप्त नवरात्रि दैवीय सिद्धि पाने के लिए महत्वपूर्ण होती है.
गुप्त नवरात्रि का पहला दिन और पहला रहस्य
इस दिन साधक मां दुर्गा की प्रथम रूप देवी शैलपुत्री की आराधना कर अपनी शक्ति को जागृत करता है. इस दिन जो साधक विधि-विधान से मां शैलपुत्री की पूजा करता है, उसके आत्मविश्वास में कई गुना वृद्धि होती है.
गुप्त नवरात्रि का दूसरा दिन
गुप्त नवरात्रि का दूसरा दिन देवी ब्रह्मचारिणी को समर्पित होता है. ब्रह्मचारिणी देवी को चंद्रमा की देवी भी कहा जाता है. इस दिन साधना करने से मन और चित्त दोनों शांत होते हैं. साथ ही मानसिक तनाव से भी मुक्ति मिलती है.
गुप्त नवरात्रि का तीसरा दिन
गुप्त नवरात्रि का तीसरा दिन मां चंद्रघंटा को समर्पित होता है. इस दिन जो साधक मां चंद्रघंटा की निष्ठावान होकर पूजा अर्चना करता है, उसे नकारात्मक ऊर्जा से छुटकारा मिलता है.
गुप्त नवरात्रि का चौथा दिन
गुप्त नवरात्रि का चौथा दिन देवी कूष्मांडा को समर्पित होता है. देवी कूष्मांडा को ब्रह्मंड का सर्जक यानी रचना करने वाला कह जाता है. इस दिन विशेष तांत्रिक अनुष्ठान करने से साधक ऊर्जावान होता है. साथ ही उसे दीर्घायु का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है.
गुप्त नवरात्रि का पांचवा दिन
गुप्त नवरात्रि का पांचवा दिन देवी स्कंदमाता को समर्पित होता है. इस दिन साधक तंत्र विद्याओं के जरिए अपनी चेतना को उच्च स्तर तक ले जाने की कोशिश करता है.
गुप्त नवरात्रि का छठा दिन
गुप्त नवरात्रि का छठा दिन मां कात्यायनी को समर्पित होता है. छठे दिन जो साधक मां कात्यायनी का ध्यान करके तंत्र विद्या करते हैं, उन्हें गुप्त सिद्धियों का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
गुप्त नवरात्रि का सातवां दिन
गुप्त नवरात्रि का सप्तम दिन देवी कालरात्रि को समर्पित होता है. इस दिन जो साधक अपने भय पर विजय पाने के लिए कालरात्रि को ध्यान करके तंत्र विद्या करता है, वह आत्मशक्ति को प्राप्त करता है.
गुप्त नवरात्रि का अष्टम दिन
गुप्त नवरात्रि के आठवें दिन मां गौरी की पूजा की जाती है. मां गौरी की पूजा अर्चना करने से साधक की विशेष कामनाओं की पूर्ति होती है. इस दिन कई तांत्रिक तंत्र विद्या का अनुष्ठान करते हैं.
गुप्त नवरात्रि का नवम दिन
गुप्त नवरात्रि का नवम दिन देवी सिद्धिदात्री को समर्पित होता है. इस दिन जो साधक साधना करता है, उसे मोक्ष और परम ज्ञान की प्राप्ति होती है. हालांकि इन सभी अनुष्ठानों को करने के कड़े नियम होते हैं. ये सभी अनुष्ठान सिद्ध पुरुष, साधु संत या तांत्रिक ही करते हैं. आमजनों के लिए इन तंत्र विद्या को करना सरल नहीं होता है. इन अनुष्ठानों को गुरु की देखरेख में ही किया जाता है.
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