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अब अपनी कदकाठी के नाप के कपड़े पहनेंगे भारतीय
रेडीमेड कपड़ों के साइज को लेकर आम लोगों की दिक्कत जल्द ही दूर होने की उम्मीद है. सरकार ने भारतीयों की कदकाठी के हिसाब से मानक साइज चार्ट बनाने की एक परियोजना को मंजूरी दी है.
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नयी दिल्लीः रेडीमेड कपड़ों के साइज को लेकर आम लोगों की दिक्कत जल्द ही दूर होने की उम्मीद है. सरकार ने भारतीयों की कदकाठी के हिसाब से मानक साइज चार्ट बनाने की एक परियोजना को मंजूरी दी है. इस पहल का उद्देश्य एक तरह से अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोप के चार्ट पर निर्भरता को खत्म करना भी है.
दुनिया में अपनी तरह की सबसे बड़ी इस पहल से कपड़ा उद्योग और आम लोगों विशेष रूप से महिलाओं को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है जो आमतौर पर खुद के साथ-साथ सारे परिवार के लिए कपड़ों की खरीदारी करती हैं.
कैसे तैयार होगा साइज- राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान (निफ्ट) राष्ट्रीय आकार सर्वे ‘इंडिया साइज’ कर रहा है. इसके तहत देश भर में 25,000 व्यक्तियों की कदकाठी का माप किया जाएगा. इसके आधार पर समूचे वस्त्र, परिधान उद्योग के लिए एक मानक साइज चार्ट तैयार किया जाएगा.
2021 तक आ जाएंगे परिणाम- निफ्ट की निदेशक वंदना नारंग ने कहा कि भारत सरकार की मंजूरी से शुरू की जा रही इस परियोजना की लागत 30 करोड़ रुपये है. इस रिसर्च के परिणाम 2021 तक आने की उम्मीद है और तैयार मानक साइज चार्ट को दो साल में कार्यान्वित किया जाएगा.
इन शहरों के लोगों को किया जाएगा शामिल- इस रिसर्च के तहत देश को छह क्षेत्रों में बांटते हुए छह शहरों कोलकाता, मुंबई, नयी दिल्ली, हैदराबाद, बेंगलुरु और शिलांग में 25,000 महिला और पुरुषों की कदकाठी का वैज्ञानिक आधार पर मापन किया जाएगा. नारंग ने कहा कि किसी भी देश में यह अपनी तरह का सबसे बड़ा सर्वे है. इसमें 3डी समूची बॉडी स्कैनर का इस्तेमाल किया जाएगा और 15 से 65 वर्ष आयुवर्ग के व्यक्ति इसमें शामिल होंगे.
क्या कहना है एक्सपर्ट का- प्रमुख वस्त्र ब्रांड रेमंड लिमिटेड के अध्यक्ष गौरव महाजन ने उम्मीद जताई है कि इस पहल से ग्राहकों और वस्त्र उद्योग को काफी मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि मानक साइज चार्ट नहीं होने से न केवल कंपनियों बल्कि उपभोक्ताओं को भी बड़ी परेशानी होती है.
क्यों लिया गया ये निर्णय- भारत में इस समय बिकने वाले ज्यादातर अंतरराष्ट्रीय ब्रांड के कपड़े यूरोप, ब्रिटेन या अमेरिकी साइज चार्ट के हिसाब से होते हैं. महाजन के अनुसार, भारतीयों, यूरोपीय और अमेरिकी लोगों की कदम काठी, डीलडौल में काफी अंतर है. यही कारण है कि अक्स र कपड़ों पर लिखे साइज और भारतीय ग्राहक की वास्तविक कदकाठी में मेल नहीं होता.
निफ्ट का कहना है कि देश में सिलेसिलाए कपड़ों को लौटाए जाने का एक बड़ा कारण फिटिंग है. एक अनुमान के अनुसार कुल बिके कपड़ों में से 20-40 प्रतिशत कपड़े मुख्य रूप से साइज की दिक्कत के चलते रिटर्न हो जाते हैं. यह प्रतिशत ईकामर्स कंपनियों के आने के बाद बढ़ा है.
क्या फायदा होगा इससे- महाजन ने उम्मीद जताई है कि भारतीय परिधानों के लिए इस तरह का मानक साइज चार्ट बहुत मददगार साबित होगा. इससे जहां देश-विदेशी में भारतीय माप के हिसाब से बेहतर फिटिंग वाले परिधान उपलब्ध होंगे, ग्राहकों का संतुष्टि स्तर बढ़ेगा वहीं उद्योग जगत को रिटर्न में होने वाले नुकसान से निजात मिलेगी. अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और चीन सहित दर्जन से अधिक देश अपने देशवासियों की कदकाठी के हिसाब से साइज चार्ज पहले ही तैयार कर चुके हैं.
भारत का परिधान उद्योग 2021 तक 123 अरब डालर होने की उम्मीद है और यह परिधान निर्यात में पांचवें पायदान पर है.
ये रिसर्च के दावे पर हैं. ABP न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता. आप किसी भी सुझाव पर अमल या इलाज शुरू करने से पहले अपने एक्सपर्ट की सलाह जरूर ले लें.
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