Cost of liver transplant in India: लिवर ट्रांसप्लांट में क्या डोनर का पूरा लिवर लगाया जाता है? जान लें इसका पूरा प्रोसेस और खर्चा
Liver transplant: भारत में हर साल बड़ी संख्या में लोग लिवर ट्रांसप्लांट के लिए इंतजार करते रहते हैं. आपको बताते हैं कि क्या पूरा लिवर ट्रांसप्लांट होता है और इसमें कितना खर्च आता है?

Liver Transplant Surgery: हर साल देश में एक बड़ी आबादी है, जो लिवर की समस्या से जूझती है, जिसमें लिवर सिरोसिस, हेपेटाइटिस, लिवर फेल्योर और कैंसर जैसी दिक्कतें शामिल हैं. इन मरीजों को जब दवाओं या अन्य तरीके से राहत नहीं मिलती, तो डॉक्टर लिवर ट्रांसप्लांट करने की सलाह देते हैं. ऐसे में आम लोगों के बीच हमेशा से एक सवाल रहता है कि क्या लिवर ट्रांसप्लांट में मरीज को पूरा लिवर लगाया जाता है या फिर आधा लिवर. चलिए आपको इसके बारे में बताते हैं और ये भी बताते हैं कि लिवर ट्रांसप्लांट करने में कितने रुपये का खर्च आता है.
क्या पूरा लिवर ट्रांसप्लांट होता है?
आपको बताते चलें कि लिवर ही हमारे शरीर का वह अंग है, जो खुद को रीजनरेट यानी दोबारा विकसित कर सकता है. यही कारण है कि मरीज को पूरा लिवर नहीं लगाया जाता है. इसमें दो प्रोसेस होते हैं. पहला है लिविंग डोनर. इसमें आमतौर पर डोनर के लिवर का सिर्फ 60 से 70 प्रतिशत हिस्सा निकाला जाता है और मरीज को ट्रांसप्लांट किया जाता है. कुछ ही महीनों के बाद दोनों का लिवर शेप ले लेता है. दूसरा प्रोसेस है कैडेवरिक डोनर का यानी मृत व्यक्ति के लिवर को पूरा भी ट्रांसप्लांट किया जा सकता है, लेकिन इसे दो हिस्सों में भी बांटकर अलग-अलग मरीजों में लगाया जा सकता है.
क्या होती है प्रक्रिया?
भारत में एक कानून है Transplantation of Human Organs and Tissues Act, 1994 (THOTA Act). इसके अनुसार, जीवित डोनर केवल करीबी रिश्तेदार ही हो सकते हैं जैसे माता-पिता, भाई-बहन, बच्चे, पति-पत्नी. इनके अलावा अगर कोई लिवर देता है, तो उसको अनुमति की जरूरत होती है. लिवर लेने के लिए पहले मरीजों की जांच की जाती है. मरीज के खून की जांच, इमेजिंग, लिवर फंक्शन टेस्ट और फुल बॉडी की जांच की जाती है. लिवर को लगाने के लिए सर्जरी की जाती है, जिसमें डोनर से लिवर का हिस्सा निकालकर मरीज में ट्रांसप्लांट किया जाता है.
सर्जरी 8 से 12 घंटे तक चल सकती है और ICU में निगरानी की जरूरत होती है. इसके बाद डोनर आमतौर पर 10 से 15 दिनों में सामान्य जीवन में लौट सकता है और मरीज को 3 से 6 महीने तक दवाइयों और नियमित जांच की जरूरत होती है. अगर बात करें कि इसके लिए कितने पैसे लगते हैं, तो यह जगह के हिसाब से बदलता रहता है. जैसे कि 12 से 21 लाख रुपये के बीच इसकी एक नॉर्मल फीस जाती है और यह बढ़ भी सकती है. दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और बाकी शहरों में कीमत कम और ज्यादा होती रहती है.
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Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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Source: IOCL























