रावलपिंडी में ही पाकिस्तान ने क्यों बनाया आर्मी हेडक्वार्टर, इस्लामाबाद क्यों नहीं? जानिए वजह
आमतौर पर किसी भी देश की सेना का हेडक्वार्टर देश की राजधानी के पास स्थित होता है, हालांकि पाकिस्तान में ऐसा नहीं है. पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद है, लेकिन आर्मी हेडक्वार्टर रावलपिंडी में स्थित है.

भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य संघर्ष फिलहाल खत्म हो गया है. 7 मई की रात ऑपरेशन सिंदूर के बाद बौखलाए पाकिस्तान ने भारत पर कई हमले किए, लेकिन भारतीय सेना ने ज्यादातर हमले नाकाम कर दिए. जवाबी कार्रवाई में भारत ने पाकिस्तान का बड़ा नुकसान किया, जिसके बाद पाकिस्तान सीजफायर के लिए बातचीत की टेबल पर आने के लिए राजी हो गया. इसी के साथ भारत और पाकिस्तान के बीच 3 दिन तक चला सैन्य संघर्ष भी खत्म हो गया है.
इस सैन्य संघर्ष के बीच सबसे ज्यादा चर्चा में जो नाम आया, वह है- रावलपिंडी. यह पाकिस्तान का एक प्रमुख शहर है और यहां पाकिस्तानी आर्मी का हेडक्वार्टर भी है. क्या आपने कभी सोचा है कि पाकिस्तान ने राजधानी इस्लामाबाद, लाहौर या कराची जैसे बड़े और ऐतिहासिक शहर को छोड़कर रावलपिंडी में ही अपना आर्मी हेडक्वार्टर क्यों बनाया? चलिए आपको इसके बारे में बताते हैं.
भारत की आजादी से है इसका कनेक्शन
जब भारत में ब्रिटिश राज था, तब ब्रिटिश सेना की उत्तरी कमांड का सेंटर रावलपिंडी हुआ करता था. सेना से जुड़े सभी संसाधन यहां पहले से ही मौजूद थे. 1947 में भारत की आजादी के बाद जब पाकिस्तान अलग हुआ तो उसने रावलपिंडी में ब्रिटिश सेना के ही संसाधनों का उपयोग करना शुरू करना शुरू कर दिया और इसे ही अपना हेड क्वार्टर बनाकर मजबूती दी. साल बीतते गए और पाकिस्तान पहले से ज्यादा मजबूत हुआ, लेकिन सेना ने अपना हेडक्वार्टर किसी और शहर में शिफ्ट नहीं किया.
इस्लामाबाद के राजधानी बनने के बाद भी नहीं शिफ्ट किया आर्मी हेडक्वार्टर
आमतौर पर सेना का हेडक्वार्टर देश की राजधानी के पास स्थित होता है, हालांकि पाकिस्तान में ऐसा नहीं हुआ. 1960 में जब पाकिस्तान ने इस्लामाबाद को अपनी स्थाई राजधानी के रूप में स्थापित किया, तब भी सेना ने अपना मुख्यालय शिफ्ट नहीं किया. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि 1947 से 1960 तक पाकिस्तानी सेना ने खुद को रावलपिंडी में काफी मजबूत कर लिया था और यहां संसाधनों में भी पर्याप्त इजाफा कर लिया था. इन संसाधनों को रावलपिंडी से इस्लामाबाद शिफ्ट करने के लिए काफी बजट की जरूरत थी, जो उस समय पाकिस्तान के पास नहीं था. वहीं, कराची और लाहौर जैसे शहर को इसलिए नहीं चुना गया, क्योंकि वे काफी भीड़भाड़ वाले शहर थे. ऐसे में पाकिस्तान का हेडक्वार्टर हमेशा के लिए रावलपिंडी ही रह गया.
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Source: IOCL





















