लैब में क्यों नहीं बनाया जा सकता है खून? जानें इसे लेकर क्या कहता है साइंस
Why Human Blood Can Not Made In Labs: लैब में खून बनाना कोई आसान काम नहीं है. यह बहुत ही कठिन और खर्चीला काम है. चलिए जानें कि विज्ञान इसके बारे में आखिर क्या कहता है.

खून एक ऐसी अनमोल चीज है, जिसके बिना इंसान का जीवन ही संभव नहीं है. अगर कभी किसी को खून की जरूरत होती है तो खून मिलना थोड़ा मुश्किल हो जाता है, जबकि डॉक्टर्स हमेशा हेल्दी ब्लड डोनेशन के लिए कहते रहते हैं. अगर अचानक से भारी मात्रा में ब्लड की जरूरत पड़ने लगे तो उसका पर्याप्त इंतजाम शायद ही हो सके. दुनिया के किसी भी देश की भारत में भी मेडिकल सेक्टर में स्वस्थ लोगों के खून की लगातार जरूरत होती है, जिससे की जरूरतमंदों की जान बचाई जा सकती है.
इसीलिए साइंस ने बहुत तरक्की कर ली है और ब्रिटेन में लैब में ब्लड बनाया भी जा चुका है, लेकिन यह कितना सफल है, अभी तक इसकी पुष्टि नहीं हुई है. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि लैब में खून बनाने को लेकर विज्ञान क्या कहता है.
लैब में क्यों नहीं बन सकता खून
इंसान के खून में बहुत सारी कोशिकाएं, हजारों प्रोटीन, हजारों हॉर्मोन्स, प्लाज्मा, व्हाइट ब्लड सेल्स, रेड ब्लड सेल्स, पानी, ऑक्सीजन, ATP, लिपिड, फैट्स, जैसी कई सारी चीजें पाई जाती हैं. ये सारी चीजें किसी के ब्लड में डेली हेल्दी लाइफस्टाइल और रूटीन के जरिए ही आती हैं, बाकी कुछ चीजेंं नेचुरल भी होती हैं. अब ये सारे सेल्स और प्लेटलेट्स अलग-अलग काम करते हैं. इन सेल्स को सही ढंग से दोबारा पेश करना और उनको एक साथ काम करने के लिए मिलाना मुश्किल और बहुत जटिल काम है. खून में सारी चीजों को मिलाकर यह सुनिश्चित कर पाना कि ये किसी की पूरी जिंदगी में ठीक ढंग से काम करेंगे यह तय करना बहुत बड़ी चुनौती है.
लैब में खून बनाना कितना मुश्किल और खर्चीला
कुछ वक्त पहले खबर आई थी कि ब्रिटेन में दुनिया में पहली बार लैब में विकसित खून लोगों को चढ़ाया गया था. इसका मकसद यह तय करना था कि जो खून की कमी से पीड़ित लोग या जिनको खून से संबंधित कोई भी रोग है, वो हमेशा डोनर पर निर्भर न रहें. लेकिन लैब में खून बनाना आसान काम नहीं है. इसे प्वाइंट वाइज समझते हैं-
- बड़े पैमाने पर लैब में खून का उत्पादन करना एक बेहद मुश्किल, जटिल और खर्चीला काम है. इसमें तमाम सारी चुनौतियां भी हैं, जैसे कि वित्तीय और तकनीकी चुनौती.
- रिपोर्ट्स की मानें तो लैब में खून बनाने में न सिर्फ बहुत ज्यादा खर्चा आएगा, बल्कि इसमें समय भी बहुत लगता है. हालांकि इसको लेकर वैज्ञानिकों ने कोई पुख्ता जानकारी नहीं दी है.
- हालांकि अगर यह भविष्य में सफल होता है तो मानव शरीर पर इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं हुआ तो सिकल सेल और थैलीसीमिया जैसे मरीजों के लिए वरदान के रूप में काम करेगा.
- लैब ब्लड ट्रायल के जरिए वैज्ञानिकों ने यह आशा जताई थी कि इसमें मौजूद सेल्स सामान्य के मुकाबले ज्यादा बेहतर काम करेंगे. हालांकि फिर भी यह बहुत कठिन और लंबी प्रॉसेस है.
यह भी पढ़ें: एक ही लड़की से शादी करते हैं दोनों भाई, भारत में यहां निभाई जाती है ये अजीब परंपरा

