कौन है गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स का मालिक, कैसे होती है इनकी कमाई?
गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स की शुरुआत 1955 में हुई थी और आज इसका स्वामित्व जिम पैटिसन ग्रुप के पास है. कंपनी रिकॉर्ड दर्ज कराने की फीस, टीवी शो, ब्रांड सहयोग और लाइव इवेंट्स से अरबों की कमाई करती है.

गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स आज दुनिया के सबसे चर्चित और भरोसेमंद किताब और ब्रांड में से एक है. 1955 में इसकी पहली कॉपी छपी थी और तभी से यह सालाना प्रकाशित हो रही है. 70 साल इस यात्रा में गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स केवल किताब तक सीमित नहीं रही, बल्कि अब टीवी शो, सोशल मीडिया लाइव इवेंट्स और डिजिटल प्लेटफॉर्म बन चुकी है.
कैसे हुई शुरुआत?
इसकी कहानी की शुरुआत 1950 के दशक में हुई थी, जब गिनीज ब्रेवरी के मैनेजिंग डायरेक्टर सर ह्यू बीवर की किसी चीज को लेकर बहस छिड़ गई. जवाब किसी भी संदर्भ पुस्तक में नहीं मिला और यहीं से एक विचार आया कि ऐसी एक किताब होनी चाहिए जो हर सवाल का जवाब दे सके. इसी आइडिया को मूर्त रूप देने के लिए 1954 में पत्रकार नॉरिस और रॉस में मैकव्हर्टर को जोड़ा गया और इसके 1 साल बाद पहली एडिशन प्रकाशित हुई.
मालिक कौन है?
शुरुआत में यह प्रोजेक्ट गिनीज ब्रेवरी का हिस्सा था, लेकिन 2001 में इसका मालिकाना हक बदल गया. आज गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स का स्वामित्व कनाडा की कंपनी जिम पैटिसन ग्रुप के पास है. इसका मुख्यालय लंदन में है और न्यूयॉर्क, बीजिंग, टोक्यो और दुबई जैसे शहरों में इसके दफ्तर मौजूद है.
कमाई का मॉडल
गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स अब सिर्फ किताब की बिक्री तक सीमित नहीं है. हर साल यह करीब 48 हजार से ज्यादा आवेदन दुनियाभर से प्राप्त करता है, जिनमें से केवल कुछ हजार को मान्यता मिलती है. रिकॉर्ड दर्ज कराने के लिए कई बार कंपनियां और संस्थाएं गिनीत वर्ल्ड रिकॉर्ड्स को फीस देकर बुलाती हैं, ताकि उनके प्रयास को आधिकारिक रूप से दर्ज किया जा सके. यह फीस गिनीज की बड़ी कमाई का जरिया है. इसके अलावा किताबों की बिक्री, टीवी शो, ब्रांड सहयोग, लाइव इवेंट्स और सोशल मीडिया एंगेजमेंट से भी कंपनी मोटी कमाई करती हैं. खास बात यह है कि कई बार बड़े कॉरपोरेट और यहां तक कि सरकारें भी अपनी छवि सुधारने के लिए गिनीज रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज करने पर करोड़ों रुपये खर्च करती हैं.
विवाद भी कम नहीं
गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स पर कई बार पैसे लेकर वैनिटी रिकॉर्ड्स कराने के आरोप लगे हैं. 2015 में तुर्कमेनिस्तान और हाल के सालों में यूएई और मिश्र जैसे देशों पर गिनीज रिकॉर्ड्स का इस्तेमाल अपनी छवी सुधारने के लिए करने के आरोप लगे हैं. इसके अलावा खतरनाक और जानवरों को नुकसान पहुंचाने वाले कई पुराने रिकॉर्ड्स को अब रद्द किया जा चुका है.
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Source: IOCL
























