Delhi Road Names: किसने रखे थे दिल्ली की सड़कों के नाम, किस धर्म के लोगों को दी गई तरजीह?
Delhi Road Names: दिल्ली की सड़कों के नाम सिर्फ पहचान नहीं, बल्कि उनके पीछे छिपे ऐतिहासिक, धार्मिक और राजनीतिक संदर्भों की कहानी कहते हैं. चलिए जानें कि उन नामों में किस धर्म का प्रभाव दिखता है.

Delhi Road Names: भारत की राजधानी दिल्ली केवल प्रशासनिक और राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र नहीं है, बल्कि इसका हर द्वार, सड़क और बाजार सदियों पुरानी कहानियों और ऐतिहासिक धरोहरों को समेटे हुए है. शहर की सड़कों के नाम केवल संकेत नहीं, बल्कि उनके पीछे के सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक संदर्भों को दर्शाते हैं. पुरानी दिल्ली की गलियों से लेकर नई दिल्ली की आलीशान कॉलोनियों तक, हर नाम किसी न किसी ऐतिहासिक व्यक्ति, घटना या समुदाय से जुड़ा हुआ है.
दिल्ली की जगहों के नाम
पुरानी दिल्ली की सड़कों और बाजारों के नाम मुख्यतः मुगल काल में रखे गए थे. उदाहरण के लिए, चांदनी चौक, दरियागंज, निज़ामुद्दीन और कश्मीरी गेट जैसे नाम सीधे उस समय के सामाजिक और धार्मिक संदर्भों से जुड़े थे. इन नामों में अक्सर मुस्लिम शासकों, सूफी संतों या उनके खानदानों का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है. मुगल काल में दिल्ली की सड़कों के नामकरण में मुसलमानों का प्रभुत्व था, क्योंकि प्रशासनिक और धार्मिक संस्थाएं उन्हीं के नियंत्रण में थीं.
अधिकारियों के नाम पर रखे गए जगहों के नाम
ब्रिटिश शासन के दौरान नई दिल्ली और आसपास की कॉलोनियों का निर्माण हुआ, जिसमें सड़क और कॉलोनियों के नाम ब्रिटिश अधिकारियों, सम्राटों और कुछ स्थानीय हिंदू नेताओं के नाम पर रखे गए. इस समय प्रशासनिक प्राथमिकता अक्सर ब्रिटिश हितों पर आधारित थी. उदाहरण के लिए, रायबहादुर और सर नामक पदवी वाले अधिकारियों के नाम पर कुछ कॉलोनियों और सड़कों का नाम रखा गया.
इस दौरान पुराने मुगल और मुस्लिम संदर्भों वाली सड़कों को भी प्रशासनिक रिकॉर्ड में दर्ज किया गया, लेकिन नई सड़कों पर हिंदू और ब्रिटिश प्रभाव अधिक दिखाई दिया.
स्वतंत्रता के बाद चालू हुआ नाम का बदलाव
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद दिल्ली की सड़क और कॉलोनियों के नामों में बदलाव की प्रक्रिया शुरू हुई. नई सरकारों ने स्वतंत्रता सेनानियों, समाज सुधारकों और राष्ट्रवादियों के नाम पर सड़कें और मार्ग बनाए. राम लल्ला रोड, नेताजी सुभाष मार्ग और पटेल मार्ग जैसे नाम इसी प्रक्रिया का हिस्सा हैं. हालांकि, पुराने हिस्सों में कई नाम अब भी मुस्लिम नेताओं और संतों के नाम पर बने हुए हैं, जो शहर के ऐतिहासिक और धार्मिक स्वरूप को दर्शाते हैं.
किस धर्म का प्रभाव
धार्मिक प्राथमिकता के संदर्भ में देखा जाए तो, पुरानी दिल्ली में मुस्लिम प्रभाव अधिक रहा, वहीं नई दिल्ली और प्रशासनिक कॉलोनियों में हिंदू और ब्रिटिश प्रभाव दिखाई देता है. यह इतिहास, सत्ता और धर्म का मिश्रण दिल्ली की सड़कों के नामों में स्पष्ट रूप से दिखाता है.
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Source: IOCL
























