कौन सा देश परमाणु बम बना रहा कौन नहीं... इसका पता कैसे लगा लेता है अमेरिका, कैसे होती है जासूसी?
दुनिया में कोई देश अमेरिका की निगाहों से नहीं बच पाता है चाहे वो परमाणु परीक्षण हो या मिसाइल की हरकत हो. आइए जानें कि अमेरिका को इन सब बातों की भनक कैसे लग जाती है.

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक अमेरिकी टीवी चैनल से बातचीत में बड़ा दावा किया है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान गुप्त रूप से भूमिगत परमाणु परीक्षण कर रहा है. ट्रंप के मुताबिक रूस और चीन जैसे देश भी ऐसी ही गतिविधियों में शामिल हैं. उनका कहना है कि इन अंडरग्राउंड परमाणु परीक्षणों के कारण जमीन के भीतर हल्के झटके महसूस किए जा रहे हैं. आइए जानते हैं कि अमेरिका इस बात का पता कैसे लगा लेता है कि कौन सा देश परमाणु बम बना रहा है और कौन नहीं.
अमेरिका को कैसे लग जाती है हर चीज की भनक
आप सोचिए, पाकिस्तान के रेगिस्तान में या भारत के पोखरण में कोई गुप्त परीक्षण चल रहा हो और हजारों किलोमीटर दूर व्हाइट हाउस में किसी स्क्रीन पर उसकी हलचल दिख जाए, ये किसी साइंस फिक्शन फिल्म की कहानी नहीं, बल्कि अमेरिका की असली ताकत है. अभी हाल ही में अमेरिका ने दावा किया कि पाकिस्तान परमाणु परीक्षण कर रहा है. यह खबर अमेरिकी खुफिया नेटवर्क के जरिए सामने आई. अब बड़ा सवाल यही है कि आखिर अमेरिका को हर देश की सीक्रेट गतिविधियों की भनक कैसे लग जाती है?
कैसे होती है जासूसी
अमेरिका के पास दुनिया का सबसे बड़ा इंटेलिजेंस नेटवर्क है. उसकी जासूसी एजेंसी CIA (सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी) के एजेंट लगभग हर देश में मौजूद हैं. ये एजेंट सिर्फ सूचनाएं ही नहीं जुटाते, बल्कि कई बार उस देश की सरकारी व्यवस्था में भी घुसपैठ कर लेते हैं. इसी वजह से अमेरिका को अक्सर पहले से ही मालूम होता है कि कौन देश क्या बना रहा है, किस प्रयोगशाला में कौन सा हथियार तैयार हो रहा है और किस डिपार्टमेंट में क्या प्लान बन रहा है.
भारत में हुए परीक्षण की अमेरिका को नहीं लगी थी भनक
अगर आपको याद हो, भारत ने जब 11 मई 1998 को पोखरण में ‘ऑपरेशन शक्ति’ यानी दूसरा परमाणु परीक्षण किया था, तब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे. उस समय भारत ने अमेरिका की आंखों में धूल झोंक दी थी. अमेरिकी सैटेलाइट्स लगातार भारत पर नजर रख रहे थे, लेकिन भारत ने इतनी गोपनीयता रखी कि परीक्षण से ठीक पहले तक अमेरिका को भनक तक नहीं लगी. ये वही एक मौका था जब अमेरिका की निगरानी प्रणाली चकमा खा गई थी.
अमेरिका का सर्विलांस सिस्टम
लेकिन आज हालात बदल चुके हैं. अमेरिका ने अपने स्पेस सर्विलांस सिस्टम को इतना मजबूत बना लिया है कि कोई भी देश पूरी तरह छिपकर परीक्षण नहीं कर सकता है. उसकी नई तकनीक Foo Fighter Satellite दुनिया के हर कोने में हाइपरसोनिक मिसाइल की गतिविधियों पर नजर रखती है. यह पता लगाती है कि कौन-सा देश मिसाइल बना रहा है, किस दिशा में दागी जा रही है और किस टारगेट को हिट किया गया है. इसे अमेरिकी स्पेस फोर्स का मिसाइल ट्रैकिंग स्पेसक्राफ्ट कहा जा रहा है.
हर जगह है अमेरिका की आंख
सच तो यह है कि आज के दौर में कोई भी देश अमेरिका की निगाहों से बच नहीं सकता. चाहे धरती पर हो या आसमान में उसकी आंख हर जगह है. ये जासूसी अब जासूसों के जरिए नहीं, बल्कि सैटेलाइट्स, डेटा एनालिटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए होती है. और शायद यही वजह है कि जब भी कोई देश कुछ गुप्त करने की कोशिश करता है, अमेरिका को सबसे पहले भनक लगती है.
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Source: IOCL
























