कई साल पहले यूपी की तरह दिल्ली में भी था बुलडोजर का खौफ, देखते ही सहम जाते थे लोग
उत्तर प्रदेश में जिस तरह से आजकल बुलडोजर एक्शन में है, इसी तरह दिल्ली में एक वक्त था, जब बुलडोजर के देखते ही लोग सहम जाते थे. लोग अपने से घरों से बाहर नहीं निकलते थे.

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार का बुलडोजर रुकने का नाम नहीं ले रहा है. करीब तीन दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन के खिलाफ जिम्मेदारों को फटकार लगाई है. यही वजह है कि उत्तर प्रदेश में बुलडोजर का खौफ बरकरार है. ऐसा ही एक वक्त दिल्ली ने भी देखा है, जब लोग बुलडोजर को देखते ही सहम जाते थे. वो इमरजेंसी का दौर था. उस वक्त भी लोगों के घरों पर बुलडोजर के जरिए ताबड़तोड़ कार्रवाई हुई थी.
जब पत्थर की लकीर बन गया संजय गांधी का आदेश
1976 में जब देश में इमरजेंसी लगी थी, तब इंदिरा गांधी पीएम थीं, लेकिन सरकार पर्दे के पीछे से चल रही थी और इसमें उनके बेटे संजय गांधी का हाथ था. उस वक्त संजय गांधी का आदेश पत्थर की लकीर हुआ करता था. उस वक्त डीडीए के वाइस चेयरमैन जगमोहन के लिए संजय गांधी भगवान स्वरूप हुआ करते थे. संजय गांधी के मुंह से निकला एक शब्द उस वक्त कानून बन जाता था. तभी संजय गांधी ने दिल्ली के सौंदर्यीकरण की बात की थी.
सौंदर्यीकरण के नाम पर घरों पर चला बुलडोजर
उस दौर में जामा मस्जिद, लाल किला और तुर्कमान गेट के आसपास के इलाकों को इसके लिए मार्क किया गया था. संजय गांधी ने इसकी कमान जगमोहन को सौंपी, क्योंकि वो उस वक्त तेज तर्रार थे और गांधी के बेहद करीब भी थे. तुर्कमान गेट के पास पुरानी मलिन बस्तियों को साफ करने की मंशा से कार्रवाई शुरू की गई. वहां रह रहे लोगों से कहा गया कि वो कहीं दूर की बस्तियों में चले जाएं, लेकिन उनका कहना था कि वो मुगल काल से वहां बसे हैं और जाने से इनकार कर दिया.
इस शख्स के बुलडोजर को देखते ही सहम जाते थे दिल्ली के लोग
वहां के लोगों का कहना था कि शहर जाने के लिए उनको किराए के लिए बहुत पैसे देने पड़ेंगे. इसलिए वहां के लोगों ने उनके घरों पर बुलडोजर चलाने का तीखा विरोध किया. इसके बाद तो जगमोहन की बुलडोजर कार्रवाई हिंसक हो गई. बुलडोजर चलता गया और कार्रवाई आगे बढ़ती गई. उस वक्त दिल्ली के लोगों में बुलडोजर और जगमोहन के नाम का खौफ बैठ गया था. एक वक्त ऐसा भी आया जब पुरानी दिल्ली के लोग जगमोहन का नाम सुनते ही अपने घरों में दुबक जाते थे.
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