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यदि पृथ्वी पर नहीं रही चुंबकीय जगह तो क्या होगा? जानिए सबकुछ

समय-समय पर पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्रों में बदलाव होता रहता है, जिसके चलते हम कई शताब्दियों तक एक तरह की सुरक्षा से दूर हो जाते हैं. आखिर ये इतना जरूरी क्यों है? चलिए जान लेते हैं.

पृथ्वी पर एक खास चुंबकीय क्षेत्र मौजूद रहता है, जो समय-समय पर बदलता रहता है. ये क्षेत्र लगातार चलते रहने वाले विद्युत आवेशों के जरिए बनते हैं. ये कितना जरुरी ये इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यदि ये न हो तो पृथ्वी पर जीवन मौजूद नहीं हो सकता. तो चलिए आज इसके बारे में जानते हैं.

कैसे बनता है पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र?

पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र बाहरी कोर के अंदर पिघले हुए लोहे की गति से उत्पन्न होता हैजब ये तरल धातु बहना शुरू करती है तो उस समय ये विद्युत धाराएं उत्पन्न कर रही होती है, जो बदले में चुंबकीय क्षेत्र का निर्माण करती हैं. हालांकि देखा जाए तो पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र एक छड़ चुंबक के जैसा ही है, जिसमें उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव होते हैं, लेकिन ये उतना स्थिर नहीं है क्योंकि ये पृथ्वी के अंदर जटिल प्रक्रियाओं के जरिए उत्पन्न होता है. इन्हीं प्रक्रियाओं के कारण चुंबकीय ध्रुव भटक जाते हैं.

इसका उत्तरी ध्रुव हर साल लगभग 15 किलोमीटर की गति से आगे बढ़ता है, लेकिन 1990 के दशक से इसकी गति और ज्यादा बढ़ गई है और अब ये साइबेरिया की ओर लगभग 55 किलोमीटर प्रति वर्ष की गति से आगे बढ़ रहा है. हालांकि हो सकता है कि ये एक 'चुंबकीय उलटफेर' का संकेत हो. जिसमें चुंबकीय उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव अपनी जगह बदलते हैं. पिछले 71 मिलियन सालों में ऐसा 171 बार हुआ है. अब फिर वही समय आ गया है.

पृथ्वी पर चुंबकीय क्षेत्र न रहे तो क्या होगा?

अब जरा सोचिए कि पृथ्वी पर ये चुंबकीय क्षेत्र रहे ही न तो क्या होगा? तो बता दें कि वैज्ञानिकों ने मध्य अटलांटिक पर्वतमाला के दोनों ओर चुंबकीय क्षेत्र को मापकर चुंबकीय उत्क्रमण की खोज की है, आपको जानकर हैरानी होगी कि इस जगह पिघली हुई चट्टान ट्यूब से टूथपेस्ट की तरह बाहर निकलती है. जैसे-जैसे यह ठोस होती जाती है, इसके क्रिस्टल पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र की दिशा में इकट्ठा होते जाते हैं. माना जाता है कि ये बदलाव एक हजार से दस हजार सालों के बीच होता है.

पृथ्वी पर चुंबकीय क्षेत्र होना हमारी जिंदगी के लिए भी बेहद जरूरी है. दरअसल, पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र अंतरिक्ष में दूर तक फैला हुआ है, जो पृथ्वी के चारों ओर एक सुरक्षात्मक बुलबुला बनाता है, जो ग्रह की सतह को सूर्य की 'सौर हवा' के कणों और गहरे अंतरिक्ष से आने वाले उच्च ऊर्जा वाले 'कॉस्मिक किरण' कणों के तूफान से बचाता है. इन सभी चीजों के लिए पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का होना बहुत जरूरी है.

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