अगर पिघल जाए दुनिया की पूरी बर्फ तो क्या होगा, भारत के कौन से राज्य सबसे पहले डूबेंगे?
धरती की बर्फ पिघलने की कहानी कोई फिल्मी कल्पना नहीं, बल्कि एक आने वाला जल प्रलय है. ऐसे में सवाल सिर्फ इतना है कि अगर धरती की सारी बर्फ पिघल जाए तो आखिर भारत के कौन से हिस्से डूबेंगे.

सोचिए, अगर एक दिन अचानक धरती की सारी बर्फ पिघल जाए तो क्या होगा? न कोई किनारा बचेगा, न सीमाएं वही रहेंगी. समुद्र का स्तर इतना बढ़ जाएगा कि देश, शहर और सभ्यताएं इतिहास में समा जाएंगी. वैज्ञानिकों के मुताबिक, अगर यह हुआ तो पृथ्वी का नक्शा पूरी तरह बदल जाएगा. भारत जैसे देश, जिनके तटीय इलाके करोड़ों लोगों का घर हैं, सबसे पहले इसकी चपेट में आएंगे. ऐसे में सवाल है कि क्या हम इस अनकहे अंत की ओर बढ़ रहे हैं? चलिए जानें कि इसके बाद भारत के कौन से राज्य पहले डूबेंगे.
क्या होगा अगर सारी बर्फ पिघल जाए तो?
धरती पर मौजूद तमाम ग्लेशियरों, हिमखंडों और ध्रुवीय बर्फ की चादरों में इतनी बर्फ जमा है कि अगर वह सब एक साथ पिघल जाए, तो समुद्र का स्तर करीब 70 मीटर यानी लगभग 230 फीट तक बढ़ जाएगा. यह बदलाव केवल तटीय इलाकों को नहीं, बल्कि पूरी मानव सभ्यता को हिला देगा. वैज्ञानिकों का मानना है कि ऐसा होने में सैकड़ों साल लग सकते हैं, लेकिन जिस तेजी से ग्लोबल वॉर्मिंग और जलवायु परिवर्तन बढ़ रहे हैं, उस हिसाब से खतरे की दस्तक अब सुनी जाने लगी है.
भारत के कौन से हिस्से डूब जाएंगे?
अगर सारी बर्फ पिघल गई तो भारत का तटीय नक्शा सबसे पहले बदल जाएगा. पश्चिम बंगाल, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और केरल जैसे राज्य, जिनकी लंबी समुद्री सीमाएं हैं, धीरे-धीरे पानी में डूब जाएंगे. खास तौर पर कोलकाता, चेन्नई, विशाखापट्टनम, कोच्चि और कटक जैसे बड़े शहर पूरी तरह जलमग्न हो जाएंगे. गुजरात का कच्छ क्षेत्र, जो पहले से ही समुद्र के नजदीक है, पूरी तरह पानी में समा सकता है.
दुनिया के किन हिस्सों का आस्तित्व मिटेगा?
दुनिया के बड़े तटीय शहर जैसे न्यूयॉर्क, फ्लोरिडा, एम्स्टर्डम, सैन फ्रांसिस्को और शंघाई भी डूब जाएंगे. निचले द्वीपों जैसे मालदीव, फिजी, श्रीलंका आदि का अस्तित्व मिट जाएगा. समुद्र तट के पास बसे देशों की सीमाएं बदल जाएंगी और पूरी पृथ्वी का नक्शा वैसा नहीं रहेगा जैसा हम जानते हैं. पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र पर असर और भी गहरा होगा. समुद्र का बढ़ता तापमान और खारापन समुद्री जीवों की प्रजातियों को खत्म कर देगा.
कोरल रीफ, जो समुद्र का सबसे महत्वपूर्ण पारिस्थितिक ढांचा हैं, नष्ट हो जाएंगे. इसके अलावा, मछलियों और अन्य समुद्री जीवों की संख्या में तेज गिरावट आएगी, जिससे भोजन की पूरी श्रृंखला प्रभावित होगी.
कितना खतरनाक होगा असर?
सारी बर्फ पिघलने से जलवायु परिवर्तन की रफ्तार और तेज हो जाएगी. तापमान इतना बढ़ जाएगा कि धरती के कुछ हिस्से रहने लायक नहीं रहेंगे. बाढ़, सूखा, तूफान और अत्यधिक गर्मी जैसी प्राकृतिक आपदाएं लगातार बढ़ेंगी. मानव समाज पर इसका असर बेहद विनाशकारी होगा. करोड़ों लोग अपने घर, जमीन और रोजगार खो देंगे. बड़े पैमाने पर क्लाइमेट माइग्रेशन (जलवायु पलायन) शुरू होगा. देशों के बीच सीमाएं बदलेंगी और संसाधनों को लेकर संघर्ष बढ़ेगा.
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Source: IOCL
























