क्या है चीन का सोशल क्रेडिट सिस्टम, भारत में यह लागू हुआ तो किसे होगा सबसे ज्यादा नुकसान?
Social Credit System: चीन का सोशल क्रेडिट सिस्टम नागरिकों के व्यवहार और आर्थिक गतिविधियों के आधार पर स्कोर तय करता है, लेकिन अगर यह भारत में लागू होता है तो आखिर किसे ज्यादा नुकसान होगा?

चीन दुनिया के उन देशों में शामिल है, जो अपने देश नागरिकों पर सख्त नियंत्रण रखते हैं. इसी नियंत्रण को और मजबूत करने के लिए चीन ने कुछ साल पहले सोशल क्रेडिट सिस्टम लागू किया. यह सिस्टम किसी व्यक्ति या संस्था के सामाजिक और आर्थिक व्यवहार को स्कोर में बदल देता है और उसी स्कोर के आधार पर नागरिकों को सुविधाएं या पाबंदियां मिलती हैं. सरल शब्दों में कहा जाए तो यह एक तरह का रेवॉर्ड और पनिशमेंट मॉडल दोनों है, क्योंकि जहां अच्छे व्यवहार पर इनाम और गलतियों पर सजा मिलती है.
कैसे काम करता है सोशल क्रेडिट सिस्टम
चीन में यह सिस्टम बैंकों, सरकारी विभागों, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स और CCTV कैमरों से मिले डेटा के आधार पर काम करता है. अगर कोई नागरिक समय पर कर्ज चुकाता है, समय पर बिजली-पानी का बिल देता है, ट्रैफिक नियमों का ठीक से पालन करता है और सरकार के नियमों का सम्मान करता है, तो उसको अच्छा स्कोर मिलता है. वहीं, टैक्स चोरी करना, कर्ज न चुकाना, सोशल मीडिया पर सरकार की आलोचना करना या बार-बार ट्रैफिक नियम तोड़ना स्कोर को घटा देता है.
अच्छे और खराब स्कोर का असर
जिनका स्कोर अच्छा है, उन्हें आसानी से बैंक लोन, पासपोर्ट और नौकरी मिलती है. उन्हें ट्रेन या फ्लाइट टिकट खरीदने में भी प्राथमिकता दी जाती है और सरकारी योजनाओं का सीधा लाभ पहुंचता है. लेकिन जिनका स्कोर खराब है, वे कई सुविधाओं से वंचित रह जाते हैं. उन्हें यात्रा करने से रोका जा सकता है, बच्चों के बेहतर स्कूलों में एडमिशन नहीं मिलता और कई बार सार्वजनिक मंचों पर उनका नाम ब्लैकलिस्ट में डाल दिया जाता है.
भारत में लागू हुआ तो किसे होगा नुकसान?
अगर यही सिस्टम भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में लागू होता है, तो सबसे ज्यादा दिक्कत उन लोगों को होगी जो बार-बार ट्रैफिक नियम तोड़ते हैं और चालान भरने से बचते हैं, टैक्स चोरी करते हैं या बैंक लोन वापस नहीं चुकाते, सोशल मीडिया पर अफवाहें, फेक न्यूज और नफरत फैलाने वाली पोस्ट डालते हैं. सरकारी सब्सिडी या योजनाओं का गलत फायदा उठाते हैं.
सबसे बड़ी समस्या यहां यह होगी कि भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एक मौलिक अधिकार है. अगर सरकार चीन जैसा मॉडल अपनाती है, तो सोशल मीडिया पर सरकार की आलोचना करने वाले पत्रकार, कार्यकर्ता और आम लोग भी लो स्कोर की मार झेल सकते हैं. इससे लोकतंत्र पर खतरे की आशंका बढ़ जाएगी.
भारत में लागू करना आसान नहीं
दरअसल चीन का सोशल क्रेडिट सिस्टम वहां की कंट्रोल पॉलिटिक्स का हिस्सा है, जिसका मकसद नागरिकों पर निगरानी बढ़ाकर उन्हें अनुशासित करना है. भारत में इसे लागू करना आसान नहीं होगा, क्योंकि यहां पारदर्शिता और स्वतंत्रता लोकतंत्र की बुनियाद है. हालांकि, अगर ठीक तरीके से लागू किया जाए, तो यह भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी को रोकने में मददगार हो सकता है. लेकिन चीन जैसा कड़ा और सर्विलांस-आधारित मॉडल भारत में लागू हुआ, तो सबसे बड़ा नुकसान आम लोगों और समाज के कमजोर तबके को उठाना पड़ सकता है.
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