अमेरिका को कुछ भी बेचना बंद कर दे भारत तो क्या होगा, US में कितनी बढ़ जाएगी महंगाई?
अगर भारत अमेरिका को निर्यात रोक दें तो अमेरिका पूरी तरह सुरक्षित नहीं रहेगा. दरअसल अमेरिकी बाजार में भारत से आने वाले सामानों के दाम बढ़ सकते हैं. खासतौर पर जेनेटिक दवाएं महंगी हो जाएंगी.

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार को लेकर तनाव एक बार फिर बढ़ गया है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि वह भारत से आने वाले चावल पर एक्स्ट्रा टैरिफ लगाने पर विचार कर रहे हैं. ट्रंप का आरोप है कि भारत, वियतनाम और थाईलैंड जैसे देश अमेरिका में बहुत सस्ते दाम पर चावल बेच रहे हैं, जिससे अमेरिकी किसान नुकसान झेल रहे हैं. ट्रंप ने यह बात व्हाइट हाउस में उसे समय कही, जब वह किसानों के लिए नहीं आर्थिक मदद की घोषणा कर रहे थे. वहीं टैरिफ को लेकर भारत और अमेरिका के बीच लगातार चल रहे विवाद के बाद अब यह सवाल भी उठने लगा है कि अगर भारत अमेरिका को कुछ भी बेचना पूरी तरह बंद कर दें तो इसका कितना बड़ा असर अमेरिका की अर्थव्यवस्था और महंगाई पड़ेगा? इससे अमेरिका में महंगाई कितनी बढ़ जाएगी?
अमेरिका के बाजार में भारतीय चावल की हिस्सेदारी
आईबीईएफ के अनुसार भारत ने 2024-25 में अमेरिका को लगभग 2.34 लाख टन चावल निर्यात किया जो भारत के कुल 52.4 लाख बासमती निर्यात का 5 प्रतिशत से भी कम है. वहीं भारत के लिए अमेरिकी बाजार छोटा है, लेकिन ट्रंप के लगातार बढ़ते टैरिफ भारतीय निर्यातकों पर असर डाल रहा है.
अगर भारत व्यापार रोक दें तो अमेरिका पर कितना असर पड़ेगा
अगर भारत अमेरिका को निर्यात रोक दें तो अमेरिका पूरी तरह सुरक्षित नहीं रहेगा. दरअसल अमेरिकी बाजार में भारत से आने वाले सामानों के दाम बढ़ सकते हैं. खासतौर पर जेनेटिक दवाएं, कपड़े, आईटी सेवाएं और कुछ इलेक्ट्रॉनिक पार्ट्स अमेरिका में काफी महंगे हो जाएंगे. वहीं भारत से व्यापार ठप होने के बाद अमेरिका का वियतनाम या अन्य देशों से वैकल्पिक सप्लायर ढूंढना संभव तो है, लेकिन सामानों की कीमत भारत की अपेक्षा ज्यादा होगी. इसका मतलब है कि अमेरिका में जरूरी उत्पादों की महंगाई बढ़ सकती है.
अमेरिका को क्या हो सकता है नुकसान?
भारत से व्यापार खत्म होने के बाद अमेरिका को आर्थिक नुकसान भारत की तुलना में कम होगा. लेकिन फिर भी अमेरिका को कुछ जरूरी झटके जरूर लग सकते हैं. दरअसल भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समाप्त होने का असर दूसरे सेक्टरों पर भी पड़ेगा. अमेरिकी यूनिवर्सिटी में भारतीय छात्रों की संख्या घट सकती है, आईटी और टेक सेक्टर में भारतीय प्रोफेशनल्स की कमी हो सकती है. जेनेरिक दवाओं की कीमतें बढ़ सकती है और सप्लाई चैन का दबाव लगातार बढ़ सकता है. इसके अलावा ट्रेड एनालिस्ट का कहना है कि यह नुकसान आर्थिक कम और जियोपॉलिटिकल ज्यादा होगा.
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