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बड़े जानवरों के चेहरे लंबे क्यों होते हैं? जानें इसके पीछे क्या है साइंस

आपने घोड़ा, गाय, बैल जैसे बड़े जानवरों को देखा होगा. इनके चेहरे बाकी छोटे जानवरों से लंबे होते हैं. चलिए, आपको बताते हैं कि इनके चेहरे लंबे क्यों होते हैं.

अगर आप ध्यान से देखें तो पाएंगे कि हाथी, घोड़ा, ऊंट, गाय या भैंस जैसे बड़े जानवरों के चेहरे यानी थूथन छोटे जानवरों की तुलना में अधिक लंबे और आगे की ओर खिंचे हुए होते हैं. वहीं, बिल्ली, खरगोश, चूहा या गिलहरी जैसे छोटे जीवों का चेहरा अपेक्षाकृत गोल या छोटा होता है. आखिर इसके पीछे क्या कारण है? क्या ये सिर्फ आकार का फर्क है या इसके पीछे कोई गहरी जैविक और वैज्ञानिक वजह छिपी है?. चलिए, इसके बारे में विस्तार से समझते हैं.

बड़े जानवरों के चेहरे लंबे क्यों होते हैं?

सबसे पहले समझना जरूरी है कि जानवरों के चेहरे की बनावट उनके आकार, जीवनशैली, भोजन की प्रकृति और पर्यावरण के अनुसार विकसित होती है. इसे जैव-विकास की प्रक्रिया कहा जाता है, जिसमें लाखों वर्षों में शरीर उस रूप में ढलता है जो उसके जीने के लिए सबसे उपयुक्त होता है.

बड़े जानवरों का शरीर ज्यादा विशाल होता है, इसलिए उन्हें अधिक भोजन की आवश्यकता होती है. ज्यादातर बड़े शाकाहारी जानवरों को दिनभर चरना या पत्तियां खाना पड़ता है. लंबे चेहरे या थूथन उन्हें जमीन के करीब झुककर अधिक आराम से खाना खाने में मदद करते हैं. जैसे घोड़े का लंबा थूथन उसे लगातार घास चरने में सक्षम बनाता है, वहीं गाय और भैंस का भी चेहरा इस तरह विकसित हुआ है कि वे बिना ज्यादा झुके ज्यादा देर तक भोजन कर सकें.

अगल चेहरे लंबे न हो तो क्या होगा?

बड़े जानवरों के चेहरे लंबे होना उनके शरीर की कार्यप्रणाली और जीवनशैली के लिए बेहद जरूरी है. अगर उनके चेहरे लंबे न हों, तो उन्हें भोजन खाने, सूंघने और सांस लेने में दिक्कत होने लगेगी. लंबे चेहरे में दांतों को ठीक से जगह मिलती है, जिससे वे घास-पत्तियां और कठोर भोजन आसानी से चबा सकते हैं. इसके अलावा, लंबा चेहरा उनकी गर्मी निकालने में मदद करता है, जिससे शरीर का तापमान नियंत्रित रहता है. नाक लंबी होने से सूंघने की क्षमता भी बेहतर होती है, जिससे वे भोजन या खतरे को दूर से पहचान सकते हैं. अगर बड़े जानवरों के चेहरे छोटे हो जाएं, तो उनकी प्राकृतिक क्षमताएं कमजोर हो जाएंगी, जिससे उनका जीना मुश्किल हो सकता है.

बड़े जानवरों के चेहरे लंबे होने का एक कारण यह भी है कि इससे उन्हें अपने पर्यावरण के अनुसार ढलने में मदद मिलती है. जैसे हाथी की सूंड न केवल खाने और पानी पीने के काम आती है, बल्कि वह इससे चीजों को उठाने, खुद को ठंडा करने और संवाद करने का भी काम करता है. इसी तरह घोड़े और गाय जैसे जानवर लंबे चेहरे से जमीन से आसानी से खाना चुन पाते हैं.

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