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किसी शहर का नाम बदलने से क्या पड़ता है असर, क्या काम-काज के तरीके में भी होता है बदलाव 

देश में जिलों के नाम बदलने का सिलसिला लगातार जारी है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि किसी भी शहर का नाम बदलने से वहां के काम-काज में क्या क्या बदलाव होता है. आइए आज हम बताते हैं.

 

देश में जिलों के नाम बदलने का सिलसिला अभी जारी है. बीते कुछ सालों में उत्तर प्रदेश में कई जिलों के नाम बदले गए हैं. अब गाजियाबाद जिले का भी नाम इस सूची में जुड़ गया है. जानकारी के मुताबिक नगर निगम की बोर्ड बैठक में जिले का नाम बदलने के लिए सदन की मंजूरी मिल गई है. लेकिन सवाल ये है कि क्या जिलों के नाम बदलने पर उस जिले में काम-काज के तरीके में भी कुछ बदलाव होता है? आज हम विस्तार से आपको इसके बारे में बताएंगे. 

कैसे बदले जाते हैं नाम ?

किसी भी जिले या शहर का नाम बदलना इतना आसान नहीं होता है. इसके लिए कैबिनेट तक प्रस्ताव जाता है. इसके बाद कैबिनेट में प्रस्ताव पास होने के बाद ही शहर या जिले का नाम बदलने को अनुमति मिलती है.  जब प्रस्ताव पारित हो जाता है, तो फिर नए शहर या जिले के नाम का गजट पत्र तैयार होता है, जिसके बाद नए नाम को मंजूरी मिल जाती है.

क्या दस्तावेजों में बदलता है नाम ?

किसी भी शहर या जिले का नाम बदलने के बाद दस्तावेजों में भी बदलाव होता है. लेकिन पहले से जारी हो चुके दस्तावेजों में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं होता है, यानी आपके पास जो पहले से दस्तावेज हैं, उसमें कोई बदलाव नहीं किए जाते हैं. लेकिन  सरकार की तरफ से जो नए दस्तावेज जारी किए जाते हैं, उनमें पुराने की जगह शहर का नया नाम प्रिंट होता है. उदाहरण के लिए अगर आपके पास इलाहाबाद में बने दस्तावेज हैं, तो इनमें तो कोई बदलाव नहीं होगा. लेकिन जब नया दस्तावेज मिलेगा या पुराना दस्तावेज रिनुअल होगा उसमें नए शहर का नाम प्रयागराज प्रिंट होकर आएगा. लेकिन शहर का सारा आधिकारिक काम पहले की तरह ही होगा, उसमें नाम के अलावा किसी तरह का कोई बदलाव नहीं होता है.

रेलवे स्टेशन और कार्यालय का नाम

शहर का नाम बदलने के साथ ही सभी रेलवे स्टेशन और कार्यालयों के बाहर लगे बोर्ड भी बदल जाते हैं. इन स्टेशन और कार्यालय पर नए नाम के बोर्ड लगाए जाते हैं. साथ ही आईआरसीटीसी की वेबसाइट पर भी नए नाम से टिकट बुक होगा. 

बस स्टेशन का नाम

जिला या शहर का नाम बदलने के साथ ही बस स्टैंड का नाम भी बदल जाएगा. बस स्टैंड के बाहर बोर्ड पर वेबसाइट पर नए नाम से आपको बुकिंग करनी पड़ेगी. 

जानिए कितने रुपये होते हैं खर्च

किसी शहर या जगह का नाम बदला जाता है, तो उसमें करोड़ों रुपय का खर्च आता है. मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक औसतन एक शहर का नाम बदलने में 300 करोड़ रुपए तक खर्च होते हैं. अगर वो कोई मेट्रो सिटी है, उस स्थिति में ये राशि 1000 करोड़ तक भी पहुंच सकती है. शहर के नए नाम के साथ ही वहां पर स्थित हर आधिकारिक स्थानों के नामों में बदलाव किया जाता है. 

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