Tejas Jet Crash: दुबई में एयर शो के दौरान क्रैश हुआ तेजस फाइटर जेट, क्या इसका होता है इंश्योरेंस?
Tejas Jet Crash: दुबई एयर शो में भारतीय तेजस लड़ाकू विमान का स्टंट के दौरान नियंत्रण बिगड़ा और वह जोरदार धमाके के साथ क्रैश हो गया. आइए जानें कि तेजस फाइटर जेट कितने रुपये में बनता है.

Tejas Jet Crash: दुबई एयर शो में आज यानि 21 नवंबर 2025 को एक चौंकाने वाली घटना सामने आई, जब भारत का तेजस लड़ाकू विमान अपने प्रदर्शन के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो गया. अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि पायलट समय रहते विमान से बाहर निकल पाया या नहीं. सोशल मीडिया पर एक वीडियो सामने आया है जिसमें दिख रहा है कि तेजस आसमान में शानदार स्टंट दिखाते हुए अचानक नियंत्रण खो बैठा, तेज रफ्तार में नीचे आया और जमीन से टकराते ही जबरदस्त धमाका हुआ. टक्कर के बाद मौके पर सिर्फ आग की ऊंची-ऊंची लपटें ही दिखाई दीं.
आइए इसी क्रम में जान लेते हैं कि आखिर एक तेजस फाइटर जेट कितने रुपये में बनता है और क्या इसका इंश्योरेंस होता है या नहीं.
कितनी होती है एक तेजस की लागत
सबसे पहले लागत की बात करें तो हाल ही में कुछ महीने पहले भारत सरकार ने 97 Tejas Mk-1A जेट्स की खरीद के लिए HAL के साथ 62,370 करोड़ का समझौता किया था. अगर इस रकम को हर जेट में बांटा जाए, तो प्रति विमान की औसत कीमत लगभग 680 करोड़ रुपये पहुंचती है. यह आंकड़ा कुछ रिपोर्ट्स के पहले के अनुमान से कहीं ज्यादा है. उदाहरण के लिए, HAL ने पहले कहा था कि तेजस Mk-1A के एयरफ्रेम की मूल कीमत लगभग 309 करोड़ रुपये है, लेकिन इसमें विकास, प्रशिक्षण, स्पेयर पार्ट्स, ग्राउंड सपोर्ट सिस्टम और अन्य खर्च शामिल नहीं हैं.
कौन-कौन से खर्चे होते हैं शामिल?
दूसरे सौदे में भी ऐसा ही अनुमान लगाया गया था, जब 83 जेटों की खरीद पर कुल लागत लगभग 48,000 करोड़ थी. इन आंकड़ों में सिर्फ विमान बनाना नहीं, बल्कि ऑपरेशन को सपोर्ट करने वाले इंफ्रास्ट्रक्चर का खर्च भी शामिल होता है.
क्या तेजस का इंश्योरेंस होता है?
अब सवाल आ जाता है कि क्या तेजस जेट का इंश्योरेंस होता है? तो जवाब है कि साधारण नागरिक विमानों की तरह मामूली बीमा पॉलिसी तेजस जैसे सैन्य विमान पर लागू नहीं होती है. फाइटर जेट्स, खासकर स्वदेशी निर्माण वाले, अक्सर सरकारी सेल्फ इंश्योरेंस मॉडल पर चलते हैं. इसका मतलब है कि दुर्घटना या क्षति की लागत सरकार या रक्षा मंत्रालय ही उठाता है. सार्वजनिक रूप से ऐसी कोई रिपोर्ट सामने नहीं आई है जो यह कहे कि तेजस के लिए निजी बीमा पॉलिसी कराई जाती है.
क्यों नहीं होता इंश्योरेंस
भारतीय वायुसेना के लिए खरीदे जाने वाले फाइटर जेट, जैसे तेजस, का बीमा आम तौर पर डिलीवरी तक ही HAL (हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड) करती है. यानी जब तक जेट HAL से निकलकर वायुसेना के पास नहीं पहुंच जाता, तब तक उसका बीमा रहता है, लेकिन जैसे ही विमान आधिकारिक रूप से वायुसेना में शामिल हो जाता है, उसके बाद उस पर किसी भी तरह की कॉमर्शियल बीमा पॉलिसी लागू नहीं होती, क्योंकि यह देश की सुरक्षा और सैन्य ऑपरेशनों से जुड़ा मामला होता है.
इसके बाद विमान के रख-रखाव, उड़ान के दौरान होने वाले जोखिमों और अगर कोई नुकसान हो जाए तो उसकी भरपाई की जिम्मेदारी भारत सरकार और रक्षा मंत्रालय की होती है. उदाहरण के तौर पर, 2018 में हुए एक सुखोई क्रैश में HAL ने सिर्फ वही बीमा क्लेम किया था, जो विमान वायुसेना को सौंपने से पहले तक लागू था.
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Source: IOCL






















